Loading election data...

कलकत्ता हाईकोर्ट का निर्देश अवैध शिक्षकों को अगर बर्खास्त नहीं कर सकते तो आयोग को भंग कर देना चाहिए

पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला मामला सुलझने की जगह उलझते जा रहा है. गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया है कि अगर अवैध तरीकें से की गई शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द नहीं किया जा सकता है . ऐसे में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग को ही भंग कर दिया जाना चाहिए.

By Shinki Singh | November 17, 2022 3:41 PM
an image

पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला मामला सुलझने की जगह उलझते जा रहा है. गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta high court) ने आयोग को निर्देश दिया है कि अगर अवैध तरीकें से की गई शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द नहीं किया जा सकता है तो ऐसे में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) को ही भंग कर दिया जाना चाहिए. आयोग ने तर्क दिया कि विचाराधीन शिक्षक तीन साल से अधिक समय से सेवा में हैं और उनके खिलाफ अब तक अपराध की कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है. न्यायमूर्ति बसु ने आयोग से कहा कि अवैध नियुक्तियों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. इस मामले को लेकर पुन: 10.30 बजे कोर्ट में सुनवाई होने की उम्मीद जताई जा रही है.

Also Read: West Bengal Breaking News LIVE :डेंगू के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए बंगाल में कांग्रेस व भाजपा का प्रदर्शन
अवैध रुप से नियुक्ति पाने वाले शिक्षक नहीं हो सकते

हाईकोर्ट का कहना है कि जिन लोगों ने नियुक्ति के लिए अवैध तरीका अपनाया है वह शिक्षक हो ही नहीं सकते है. अगर उन्हें रखा गया तो छात्रों को नुकसान होगा और बंगाल का भविष्य अंधकार में डूब जाएगा. इससे राज्य की शिक्षा को नुकसान नहीं होगा, बल्कि छात्रों के जीवन को नुकसान होगा. ग्रुप सी, ग्रुप डी के मामले में न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा पारित बर्खास्तगी आदेश में संशोधन की मांग करते हुए आयोग द्वारा एक आवेदन दायर किया गया था . उस आवेदन के बारे में वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने आज कोर्ट में उसका जिक्र किया.

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

हाईकोर्ट ने कल सुबह 10:30 बजे तक राज्य सरकार को सवाल जवाब के लिए तलब किया है. आखिरकार आयोग क्यों अवैध नियुक्तियों पर कार्रवाई नहीं कर रहा है. न्यायमूर्ति बिस्वजीत बोस ने कहा कि स्थिति अलग है जब सरकार का स्कूल सेवा आयोग पर कोई नियंत्रण नहीं है तो ऐसे में आयोग को भंग कर दिया जाना चाहिए. राज्य सरकार की ओर से क्या कदम उठाया जा रहा है यह जवाब कोर्ट को देना होगा.

Also Read: पश्चिम बंगाल में सांसद की कार ने मां के साथ बैंक जा रहे बच्चे को मारा धक्का, हुई मौत

Exit mobile version