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पश्चिम बंगाल : कलकत्ता हाईकोर्ट ने गर्भवती महिला कैदियों की स्थिति पर जताई चिंता, कही ये बात

पश्चिम बंगाल की जेलों में बंद महिला कैदी गर्भवती हो रही हैं. वहीं अलग-अलग जेलों में 196 बच्चे भी पल रहे हैं. हाइकोर्ट में रिपोर्ट पेश करने के दौरान एमिकस क्यूरी ने एक गर्भवती महिला और एक सुधार गृह के भीतर पैदा हुए 15 बच्चों की आंखों-देखी भी बतायी.

कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य के संशोधनागारों में महिला कैदियों की दुर्दशा पर गंभीर चिंता जतायी है. इसे लेकर कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम व न्यायाधीश सुप्रतीम भट्टाचार्य की एकल पीठ पर याचिका दायर की गयी है, याचिका में कहा गया है कि बंगाल की अलग-अलग जेलों में पहले से ही इन महिलाओं से 196 बच्चे जन्म ले चुके हैं, जबकि वे यहां सजा काट रहीं हैं. कोर्ट से मांग की गयी है कि महिला जेलों में पुरुषों की एंट्री पर बैन लगाया जाये. कलकत्ता उच्च न्यायालय के ‘एमिकस क्यूरी’ (न्याय मित्र) ने ये याचिका दाखिल की है. उन्होंने सूबे के ‘इंस्पेक्टर जनरल ऑफ प्रिजंस’ के साथ एक जेल का दौरा भी किया. वहां उन्होंने एक महिला कैदी को गर्भवती देखा. इसके अलावा वहां 15 बच्चे अपनी मां के साथ रह रहे थे. बच्चों की माताएं, यानी महिला कैदी करेक्शनल होम्स में ही कस्टडी में रह रही थीं. कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने के बाद स्वीकार किया कि ये वाकई एक गंभीर मुद्दा है. मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली बेंच ने आदेश दिया कि आपराधिक मामलों पर सुनवाई करने वाली खंडपीठ के सामने यह याचिका रखी जाये. साथ ही बंगाल के पब्लिक प्रॉसिक्यूटर को भी उस दौरान मौजूद रहने को कहा गया है. हाइकोर्ट को बताया गया है कि जेल में ही बच्चे पैदा हो रहे हैं. साथ ही करेक्शनल होम्स में जो पुरुष कर्मचारी नौकरी करते हैं, उन्हें महिलाओं के रहने वाले सेक्शन में एंट्री न देने का आग्रह किया गया है.

बंगाल की जेलों में उनकी क्षमता से 1.3 गुना अधिक कैदी हैं

दरअसल जेलों में बढ़ती भीड़ पर 2018 में कोर्ट ने खुद एक्शन लेते हुए एक न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) एडवोकेट तापस कुमार भांज को जिम्मेदारी सौंपी थी, कि वे मामले की जांच करें. एमिकस क्यूरी ने गुरुवार को हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें दावा किया गया है कि पश्चिम बंगाल की जेलों में बंद महिला कैदी गर्भवती हो रही हैं. वहीं अलग-अलग जेलों में 196 बच्चे भी पल रहे हैं. उन्होंने सलाह दी कि महिला बैरक में पुरुष कर्मचारी के जाने पर रोक लगे. उल्लेखनीय है कि तापस कुमार भंज ने 25 जनवरी को दिये एक नोट में यह सुझाव भी दिये थे कि सभी जिला जज अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सुधार गृहों में विजिट करें, ताकि यह पता लगाया जा सके कि सुधार गृहों में रहने के दौरान कितनी महिला कैदी गर्भवती हुई हैं. उन्होंने महिला कैदियों का यौन शोषण रोकने के लिए उन्हें सुधार गृह भेजने से पहले उनका गर्भावस्था परीक्षण कराने की भी सलाह दी थी. उन्होंने कहा था कि इसकी शुरुआत पश्चिम बंगाल के सभी पुलिस स्टेशनों से की जा सकती है. इसके लिए कोर्ट द्वारा जरूरी आदेश/निर्देश दिये जा सकते हैं. हाइकोर्ट में रिपोर्ट पेश करने के दौरान एमिकस क्यूरी ने एक गर्भवती महिला और एक सुधार गृह के भीतर पैदा हुए 15 बच्चों की आंखों-देखी भी बतायी. तापस कुमार भंज ने कहा कि कुछ बच्चों का जन्म तो उनकी आंखों के सामने हुआ. पश्चिम बंगाल की जेलें संकट से जूझ रही हैं, क्योंकि यहां भीड़भाड़ खतरनाक स्तर तक पहुंच गयी है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2023 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक बंगाल की जेलों में उनकी क्षमता से 1.3 गुना अधिक कैदी हैं. भारत में जेल सांख्यिकी-2022 की रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल की जेलों में 19 हजार 556 पुरुष और एक हजार 920 महिलाएं कैद हैं.

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