कोलकाता: Post Poll Violence: राज्य में चुनाव बाद हिंसा की वजह से अपने घर छोड़कर भागने वालों को लौटाने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक नयी कमेटी गठित की है. कमेटी में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग राज्य मानवाधिकार आयोग के एक-एक प्रतिनिधि तथा स्टेट लीगल एड सर्विस के सचिव रहेंगे. तीन सदस्यीय इस कमेटी का गठन कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव तथा न्यायाधीश राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने किया है.
यह कमेटी लोगों को उनके घर लौटाने की नये सिरे से व्यवस्था करेगी. साथ ही सीबीआई व एसआईटी से उनकी जांच रिपोर्ट कलकत्ता हाईकोर्ट ने तलब की है. लोगों को उनके घरों में लौटाने के लिए राज्य सरकार ने क्या कदम उठाये हैं, उसकी रिपोर्ट भी देने का निर्देश अदालत ने दिया है. अदालत ने जांच के हित में सीबीआई व एसआईटी को अतिरिक्त अधिकार दिये हैं.
मौजूदा मामलों के अलावा अगर किसी शिकायत पर दूसरी कोई जांच वे करना चाहें, तो उसका भी मौका अदालत उन्हें देगी. इसके लिए वे अदालत में आवेदन कर सकेंगे. चुनाव बाद हिंसा के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट की बृहत्तर बेंच ने हत्या, दुष्कर्म व दुष्कर्म की कोशिश जैसे मामलों की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा है. आगजनी, इलाके में अशांति व मारपीट जैसी घटनाओं की जांच का जिम्मा एसआईटी को दिया गया है.
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बुधवार को अदालत में सीबीआई और एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट पेश की. सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई ने कहा है कि चुनाव बाद हिंसा के मामले में 58 एफआईआर दर्ज किये गये. उनमें से 47 मामलों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तथा 11 मामले राज्य से मिले हैं. छह अन्य मामले सीबीआई को राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी से मिले हैं. 26 मामलों की चार्जशीट पेश की गयी है. 20 मामलों की जांच जारी है. 250 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गयी है. 224 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
दूसरी ओर, एसआइटी ने बताया है कि 35 मामले उन्हें सीबीआई से मिले हैं. 31 मामलों में चार्जशीट पेश की गयी है. एक मामले में क्लोजर रिपोर्ट पेश की गयी है. इधर, अदालत के निर्देश के बाद भी काकुड़गाछी में मारे गये भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार के परिजन को मुअआवजा नहीं मिलने का आरोप अभिजीत के भाई ने लगाया है.
अदालत ने अगले दो महीने के भीतर इस संबंध में मुख्य सचिव को विचार कर फैसला लेने का निर्देश दिया है. साथ ही अदालत ने चुनाव बाद हिंसा में पीड़ित लोगों को मुआवजा दिये जाने संबंधी कोई योजना चालू की जा सकती है या नहीं, इस संबंध में राज्य सरकार को फैसला लेने के लिए कहा है.