कोलकाता: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में लौटे मुकुल रॉय को लोक लेखा समिति (पीएसी) के चेयरमैन पद से हटाने संबंधी याचिका पर कलकत्ता हाइकोर्ट में 10 अगस्त को सुनवाई होगी. इस संबंध में शुक्रवार को एक जनहित याचिका दायर की गयी. याचिका में अनुरोध किया गया है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा में पीएसी के अध्यक्ष के पद से विधायक मुकुल रॉय को हटा दिया जाये.
राज्य सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह मामला विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आता है. याचिकाकर्ता भाजपा विधायक अंबिका राय ने दावा किया कि परंपरागत रूप से पीएसी अध्यक्ष पद पर किसी विपक्षी सदस्य को नियुक्त किया जाता है. भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर कृष्णनगर उत्तर विधानसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद मुकुल रॉय सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये. इसलिए उन्हें इस पद से हटा दिया जाना चाहिए.
राज्य की ओर से पेश महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने इस अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि यह अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास है और यह उन्हें तय करना है कि पद के लिए कौन पात्र हैं. दत्ता ने दावा किया कि संविधान के अनुच्छेद 212 के अनुसार, सदन के कामकाज से जुड़े मामले में कोई अदालत स्पीकर के फैसलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है. उन्होंने दलील दी कि जनहित याचिका विचारणीय नहीं है और इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए.
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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति आर भारद्वाज की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को यह बताते हुए चार अगस्त तक एक संक्षिप्त नोट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया कि यह जनहित याचिका क्यों सुनवाई योग्य है. पीठ ने कहा कि राज्य इसके बाद अपना जवाब दाखिल करने के लिए स्वतंत्र होगा. मामले में अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी.
ज्ञात हो कि भाजपा ने पीएसी चेयरमैन के लिए देश के जाने-माने अर्थशास्त्री अशोक लाहिड़ी का नाम दिया था. स्पीकर ने भाजपा के विरोध के बावजूद मुकुल रॉय को इस पद पर नियुक्त कर दिया था. स्पीकर ने दावे के साथ कहा था कि उन्होंने कानून के अनुरूप ही निर्णय लिया है. वहीं तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कहा था कि मुकुल रॉय भाजपा के विधायक हैं और सरकार ने विपक्षी दल को पीएसी का चेयरमैन बनाया है. इसमें भाजपा को कोई आपत्ति क्यों होनी चाहिए.
Posted By: Mithilesh Jha