Sardha Chit Fund Scam News: देबजानी मुखर्जी को कलकत्ता हाइकोर्ट का निर्देश, सीबीआइ अधिकारियों के साथ सहयोग करें

सारधा चिटफंड घोटाला की आरोपी देबजानी मुखर्जी को कलकत्ता हाइकोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) के अधिकारियों के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया है. देबजानी मुखर्जी की जमानत अर्जी पर सुनवाई को स्थगित करते हुए जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस अनिरुद्ध रॉय की खंडपीठ ने कहा कि 8 सप्ताह बाद फिर वह मामले की सुनवाई करेगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 2, 2020 6:57 PM

कोलकाता : सारधा चिटफंड घोटाला की आरोपी देबजानी मुखर्जी को कलकत्ता हाइकोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) के अधिकारियों के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया है. देबजानी मुखर्जी की जमानत अर्जी पर सुनवाई को स्थगित करते हुए जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस अनिरुद्ध रॉय की खंडपीठ ने कहा कि 8 सप्ताह बाद फिर वह मामले की सुनवाई करेगा.

खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को निवेशकों के हजारों करोड़ रुपये के धन के गबन मामले में सीबीआइ की जांच में पूरी तरह सहयोग करने का निर्देश दिया. पीठ ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को इस मामले में किसी तरह की पूछताछ और उनकी आवाज के नमूने के मामले में पूरी तरह सहयोग करना चाहिए.

मुख्य आरोपी सुदीप्त सेन की करीबी सहयोगी और मामले में कथित रूप से संलिप्त रहीं देबजानी मुखर्जी ने दावा किया कि वह करीब 7 साल से हिरासत में है. अब उसे जमानत दी जानी चाहिए. सीबीआइ की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वाइजे दस्तूर ने दलील दी कि याचिकाकर्ता ने मामले से जुड़े अन्य आरोपियों के साथ जांच को तथा अदालत को उलझाने के लिए जाल बुना, ताकि मामले में देरी हो.

Also Read: बंगाल चुनाव 2021 से पहले हाइकोर्ट ने ‘अम्फान’ चक्रवात के राहत कार्य की जांच के दिये आदेश, केंद्र पर बौखलायीं ममता बनर्जी

सीबीआइ के वकील ने दलील दी कि सह-आरोपी सुदीप्त सेन और इस याचिकाकर्ता से हिरासत में पूछताछ के लिए साधारण आवेदन में इसलिए महीनों लग गये, क्योंकि अनगिनत आपत्तियां दर्ज करायीं गयीं. उन्होंने यह भी कहा कि मामले में सामने आये कुछ टेप रिकॉर्ड के साक्ष्यों से मिलान करने के लिहाज से देबजानी मुखर्जी की आवाज का नमूना लेने के लिए 27 नवंबर को आदेश प्राप्त किया गया है.

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने दलील दी कि याचिकाकर्ता की आवाज का नमूना लेने से भी पहले इस स्तर पर उनके अनुरोध पर विचार करना उचित नहीं होगा. सारधा समूह ने पश्चिम बंगाल में कथित तौर पर लाखों लोगों को कई चिटफंड योजनाओं के माध्यम से चूना लगाया था. कंपनी वर्ष 2013 में बैठ गयी और लोगों को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इसके प्रोमोटर सुदीप्त सेन और देबजानी मुखर्जी को उसी साल कश्मीर के सोनमर्ग से गिरफ्तार किया गया था.

Also Read: TMC का दावा, मान गये शुभेंदु अधिकारी, तृणमूल में ही रहेंगे, बागी नेता बोले, पार्टी के साथ काम करना असंभव

Posted By : Mithilesh Jha

Next Article

Exit mobile version