कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. मंगलवार को बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया. हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि शुभेंदु अधिकारी की दलील में दम है.
दरअसल, पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की ओर से कलकत्ता उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई थी. अधिकारी की दलील थी कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए सीटों को आरक्षित करने के वास्ते एक ही मानदंड लागू किया जाना चाहिए.
शुभेंदु अधिकारी की याचिका पर मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आर भारद्वाज की खंडपीठ में सुनवाई हुई. जहां अदालत ने कहा कि इस चरण में किसी भी तरह का दखल राज्य में पंचायत चुनाव को टाल सकता है. हालांकि, अदालत ने यह भी माना है कि 2023 के स्थानीय निकाय चुनावों में सीट आरक्षण मानदंड को लेकर याचिकाकर्ता शुभेंदु अधिकारी की दलील में दम है.
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सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि निर्वाचन आयोग की अधिसूचना और दिशा निर्देशों के अनुसार पिछड़े वर्ग की आबादी को निर्धारित करने के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया जा रहा है, जबकि 2011 की जनगणना के आधार पर एससी/एसटी आबादी की गणना की जा रही है.
मामले में कोर्ट ने चुनाव आयोग को फैसला करने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा कि कोलकाता राज्य चुनाव आयोग पर सीटों के आरक्षण को लेकर भारतीय जनता पार्टी के विधायक द्वारा उठाए गए बिन्दुओं पर फैसला करे. बता दें कि राज्य में पंचायत चुनाव इस साल के मध्य में होने की संभावना है.