कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट ने पश्चिम बंगाल पुलिस को उस डॉक्टर का जब्त किया गया मोबाइल फोन और सिम कार्ड फौरन लौटने के निर्देश दिये हैं, जिसने कोरोना वायरस के मरीजों और संदिग्धों का इलाज कर रहे साथी डॉक्टरों के लिए सुरक्षा उपकरण की कथित कमी का जिक्र करते हुए सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट किये थे.
कैंसर रोग चिकित्सक इंद्रनील खान ने बुधवार को अदालत का रुख करते हुए पुलिस पर उत्पीड़न का आरोप लगाया. उस पर, राज्य सरकार की ओर से उसके अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों को सुरक्षा उपकरण कथित तौर पर मुहैया न कराने के संबंध में फेसबुक पर कुछ पोस्ट करने के लिए दक्षिण 24 परगना जिले के महेशतला पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी.
देशव्यापी लॉकडाउन के कारण कलकत्ता हाइकोर्ट वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये केवल आवश्यक मामलों पर ही सुनवाई कर रहा है. जस्टिस आईपी मुखर्जी ने डॉक्टर के पोस्ट पढ़े. उन्होंने अपने आदेश में कहा कि रिट याचिकाकर्ता द्वारा किये गये ट्वीट के बाद स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने मामले पर प्रकाश डालने के लिए उसका आभार जताया था.
अदालत ने कहा कि अगर किसी विचार की अभिव्यक्ति से सरकार का अपमान होता है, तो वह विचार व्यक्त करने वाले व्यक्ति को डराकर आरोप से बचाव नहीं कर सकती. जस्टिस मुखर्जी ने कहा कि राज्य ऐसा तब कर सकता है, जब कोई नागरिक किसी दूसरे व्यक्ति या देश के वृहद हित को नुकसान पहुंचाने की मंशा से दुर्भावनापूर्वक कथित तथ्यों का प्रसार करने की कोशिश करके इस आजादी का इस्तेमाल करने का प्रयास करता है.
उन्होंने आदेश दिया कि अगर प्रथम दृष्टया सभी सबूत अपराध का खुलासा करें, तो पुलिस याचिकाकर्ता को गिरफ्तार किये बगैर उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर सकती है. याचिका का निस्तारण करते हुए अदालत ने डॉक्टरों को कुछ समय के लिए इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर कोई पोस्ट न करने के लिए कहा था.
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस से जुड़ी किसी भी गलत सूचना के लिए दंड का प्रावधान किया गया है. लोगों को हिदायत दी जा रही है कि इस जानलेवा विषाणु के बारे में कोई भी भ्रामक या गलत जानकारी कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया पर शेयर न करे. ऐसा करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी. हालांकि, डॉक्टर ने जो पोस्ट किया था, वह अव्यवस्था को दर्शाता है.