बिहार में राजस्व और भूमि विवाद सुलझाने के लिए शुरू होंगे कॉल सेंटर, दाखिल-खारिज में लगेंगे सिर्फ इतने दिन
जमीन संबंधी समस्याओं के निदान को लेकर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा दो माह के अंदर एक कॉल सेंटर की सेवा शुरू की जा रही है. कॉल सेंटर का नंबर भी जल्द ही विभाग द्वारा जारी कर दिया जायेगा.
बिहार सरकार में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता ने बुधवार को अपने विभाग के ऑनलाइन होने से लोगों को होने वाले फायदे के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अधिकारियों के साथ लगातार बैठक कर विभाग की समीक्षा की जा रही है. उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग में दाखिल खारिज से संबंधित मामले का निपटारा तेजी से किया जा रहा है. अब 35 दिनों में दाखिल-खारिज की प्रक्रिया पूरी की जा रही है. इसके अलावा विवादित जमीन की दाखिल-खारिज की प्रक्रिया भी 75 दिनों में पूरी की जाएगी. इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि राजस्व विभाग में विवादों के निपटारे तथा समस्याओं को सुनने के लिए जल्द ही कॉल सेंटर की स्थापना की जाएगी, जिसके माध्यम से सुनवाई और कार्रवाई में तेजी आयेगी.
कॉल सेंटर से होगा म्यूटेशन व जमाबंदी संबंधी शिकायतों का सुधार
आलोक कुमार मेहता ने बताया कि जमीन संबंधी समस्याओं के निदान को लेकर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा एक कॉल सेंटर की सेवा शुरू की जा रही है. जमीन को लेकर विभाग में एक केंद्रीयकृत कॉल सेंटर दो महीने के अंदर काम करने लगेगा. कॉल सेंटर का नंबर भी जल्द ही विभाग द्वारा जारी कर दिया जायेगा. इस नंबर पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की सेवाओं में म्युटेशन, जमाबंदी में सुधार, अतिक्रमण की शिकायतें या सुझाव दिया जा सकेगा. कॉल सेंटर में भूमि सर्वे से संबंधित किसी भी मामले के बारे में भी शिकायतें या सुझाव भी दिया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि इस संबंध में सभी जरूरी निर्देश अधिकारियों को दिया दिया गया है.
10101 विशेष सर्वेक्षण कर्मियों की होगी बहाली
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री ने बताया कि राज्य में जल्द ही 10101 विशेष सर्वेक्षण कर्मियों की बहाली हो जायेगी. इनकी बहाली होने के साथ ही बिहार के सभी जिलों में भूमि सर्वेक्षण का कार्य शुरू कर दिया जायेगा. वर्तमान में प्रथम चरण के 20 जिलों के 89 अंचलों में भूमि सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है. मार्च 2024 तक राज्य के करीब 5000 गांवों में भूमि सर्वेक्षण का काम पूर्ण हो जायेगा.
24 हजार भूमिहीनों को आवंटित की जाएगी जमीन
आलोक मेहता ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष के अंत तक लगभग 24 हजार वास रहित भूमिहीनों को आवास हेतु भूमि बसेरा-1 के तहत जमीन आवंटित कर दिया जायेगा. उसके बाद बसेरा-2 के सर्वे से प्राप्त भूमिहीनों को आवास की भूमि आवंटित की जायेगी. फिलहाल हल्का कर्मचारियों द्वारा मोबाईल एप के जरिये भूमिहीन परिवारों का बसेरा-2 के तहत सर्वेक्षण किया जा रहा है. बसेरा-2 से प्राप्त भूमिहीनों के बीच अगले वित्तीय वर्ष में वास के लिए भूमि का आवंटन किया जायेगा. यह विभाग की सर्वोच्च प्राथमिकता है. सरकारी जमीन उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में सरकार निजी जमीन भी खरीदकर भूमिहीनों में वितरित करेगी.
यहां मिला म्यूटेशन का सबसे अधिक लंबित कार्य
आलोक कुमार मेहता ने बताया कि म्यूटेशन का सबसे अधिक कार्य पटना, मुजफ्फरपुर, गया, अररिया में लंबित पाया गया है. ऐसे में अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि इन जिलों में जाकर मामले की गंभीरता से जांच करें और दाषियों के खिलाफ कार्रवाई करें. इस अवसर पर विभाग के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा और सचिव जय सिंह भी उपस्थित थे.
Also Read: बिहार में अब दाखिल खारिज प्रक्रिया होगी आसान, फर्स्ट इन -फर्स्ट आउट सिस्टम होगा लागू: आलोक मेहता
राजस्व विभाग का कार्य ऑनलाइन होने से लोगों को हुई सुविधा
भूमि सुधार, राजस्व एवं गन्ना उद्योग मंत्री आलोक कुमार मेहता ने कहा कि विभाग के ऑनलाइन होने की वजह से लोगों को काफी मदद मिल रही है. घर बैठे-बैद जमीन से संबधित कागजात ऑनलाइन मिल जा रहे हैं. कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ रहे हैं. उम्मीदए है कि जिस तरह से हमारा विभाग कार्य कर रहा है उससे लोगों की शिकायतें जल्द से जल्द दूर होगी. हमने विभाग के अधिकारियों को भूमि संबंधी विवाद का जल्द से जल्द निपटारा करने को कहा है.
राजनैतिक कारणों से जातीय गणना का विरोध : आलोक कुमार मेहता
इसके अलावा मंत्री आलोक कुमार मेहता ने कहा कि जाति गणना 2022 का विरोध लोग राजनैतिक कारणों से कर रहे हैं. ऐसे लोग समाज को गुमराह कर रहे हैं और वे सामाजिक न्याय के विरोधी हैं. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि वर्तमान में 15 प्रतिशत आबादी वालों का कब्जा 85 प्रतिशत सरकारी नौकरियों पर है. उन्होंने कहा कि जाति गणना को लेकर विरोध करनेवालों का गणित कमजोर है. रालोजद के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के द्वारा गणना को लेकर उठाये जा रहे सवाल पर उन्होंने कहा कि वह तो साइंस कॉलेज के छात्र रहे हैं. इस गणना के विरोध करनेवाले समाज के शुभचिंतक नहीं हैं. अतिपिछड़ा वर्ग की अधिक जनसंख्या और आरक्षण में भागीदारी को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि तमिलनाडु ने तो आरक्षण के सीमा का रास्ता तो खोल ही दिया है.