कानपुर: निकाय चुनाव खत्म हो गए. लेकिन, प्रत्याशी खर्च का ब्यौरा देने से कतरा रहे हैं. चुनाव कार्यालय व कोषागार से सभी को नोटिस भेजने की तैयारी की जा रही है. नगर निकाय चुनाव में सभी प्रत्याशियों को नामांकन से पहले एक अलग खाता खोलना था.उससे ही चुनाव के सभी खर्च करने थे. निर्वाचन आयोग ने महापौर के लिए 40 लाख और पार्षद के लिए तीन लाख रुपये खर्च की सीमा तय की थी. सभी प्रत्याशियों को चुनाव खत्म होने के बाद ही खर्च का ब्यौरा देना था.अगर किसी प्रत्याशी ने खर्च का ब्यौरा नहीं दिया तो उसकी जमानत राशि वापस नहीं होगी.हर बार चुनाव खत्म होते ही प्रत्याशी खर्च का ब्यौरा देने में जुट जाते हैं इस बार किसी प्रत्याशी ने चुनाव खर्च का ब्यौरा नहीं दिया है.
अगर प्रत्याशियों ने समय से ब्यौरा नहीं दिया तो अगली बार उसके चुनाव लड़ने पर रोक लग सकती है. अब चुनाव कार्यालय व कोषागार उनको रिमाइंडर के रूप में नोटिस भेजने जा रहा है. प्रत्याशी को अधिकतम 90 दिन में चुनाव खर्च का ब्यौरा देना है. उसके बाद कोई ब्यौरा नहीं लेगा. बता दे कि नगर निगम, नगर पंचायत और नगर पालिका सभी सदस्य,अध्यक्ष प्रत्याशी को खर्च का ब्यौरा जमा करना है.
राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनाव के परिणाम को सरकार को सौंप दिया है. राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार ने प्रमुख सचिव नगर विकास विभाग अमृत अभिजात को सभी 760 नगरीय निकायों के परिणाम की सूची भेजी है. निकाय गठन की अधिसूचना के साथ अब शपथ ग्रहण का कार्यक्रम जारी होगा. इसके आधार पर 29 मई तक शपथ ग्रहण कराया जाएगा.इसके बाद 1 जून को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में बदलता नगरीय परिवेश विषय पर कार्यशाला कराने की तैयारी है. राज्य सरकार नगर निगम और पालिका परिषद अधिनियम में दी गई व्यवस्था के आधार पर सीटों और वार्डों का आरक्षण कराते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव कराने का कार्यक्रम सौंपती है.
रिपोर्ट: आयुष तिवारी