वाराणसी: कैंट रोडवेज से आनंद विहार जाने वाले यात्रियों को बड़ी राहत, कोरोना के बाद से बंद बस सेवा हुई शुरू
कोरोना वायरस के दौरान वाराणसी से आनंद विहार के लिए बंद हो चुकी नॉन एसी बस सेवा फिर से शुरू कर दी गई है. लॉकडाउन से पहले वाराणसी परिक्षेत्र के ग्रामीण डिपो की नई दिल्ली के बीच एसी बस वॉल्वो और स्कैनिया चलती थी.
Varanasi: नोवेल कोरोनावायरस के दौरान वाराणसी से आनंद विहार के लिए बंद हो चुकी नॉन एसी बस सेवा फिर से शुरू कर दी गई है. लॉकडाउन से पहले वाराणसी परिक्षेत्र के ग्रामीण डिपो की नई दिल्ली के बीच एसी बस वॉल्वो और स्कैनिया चलती थी. मगर, कोरोना के कारण यह सेवा बंद हो गई, अब नॉन एसी बस सेवा इटावा डिपो की ओर से शुरू की गई है.
इटावा डिपो की यह साधारण बस रोजाना शाम 6.30 बजे कैंट स्टेशन से रवाना होकर प्रयागराज, कानपुर, इटावा होते हुए अगले दिन सुबह 11.30 बजे आनंद विहार पहुंचा रही है. लगभग 17 से 18 घंटे में वाराणसी से आनंद विहार का सफर तय हो रहा है. रोडवेज वाराणसी परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक गौरव वर्मा के अनुसार वाराणसी-नई दिल्ली का प्रति यात्री किराया 1254 रुपये है.
भारत-नेपाल बस सेवा सितंबर में हो सकती है शुरू
वाराणसी रोडवेज की इंडो-नेपाल मैत्री बस सेवा भी कोरोना के समय से ही बंद है. काठमांडो और वाराणसी के बीच परमिट को लेकर समझौता हुआ है. क्षेत्रीय प्रबंधक के अनुसार सितंबर माह में इस सेवा के बहाल होने की उम्मीद है.
हरिद्वार के लिए एसी बस सेवा जल्द
काशी विश्वनाथ की नगरी से हरिद्वार के बीच एसी बस सेवा जल्द शुरू होने के लिए दोनों राज्यों के बीच परमिट को लेकर सहमति बनी है. ऐसा पहली बार होगा कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी से उत्तराखंड के हरिद्वार तक रोडवेज की बसें चलेंगी. इससे दोनों राज्यों के तीर्थ यात्रियों को बहुत सहूलियत होगी. क्षेत्रीय प्रबंधक गौरव वर्मा ने बताया कि इसका प्रस्ताव मुख्यालय भेजा गया है, परमिट को लेकर सहमति बन गई है.
बिहार के लिए फिर शुरू होगी बस सेवा
रोडवेज कैंट से तीन वर्ष पहले बिहार के गया और डेहरी के लिए साधारण बसें संचालित होती थीं. बाद में परमिट नवीनीकरण नहीं होने और यात्रियों की संख्या कम होने के चलते यह बस सेवा बंद हो गई. क्षेत्रीय प्रबंधक के अनुसार जल्द ही यह सेवा शुरू होगी. चंदौली और वाराणसी से बिहार के लिए बसें चलेंगी. चंदौली में 200 करोड़ से इंटर स्टेट बस अड्डा भी बनाया जाना है.
बीएचयू और ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टरों की कमी दूर होगी
बीएचयू अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर में आने वाले मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी. जरूरत के हिसाब से बेड बढ़ाए जाएंगे. साथ ही डॉक्टरों की भी कमी भी दूर की जाएगी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने रविवार को बीएचयू में स्वास्थ्य सुविधाओं की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को भरोसा दिलाया कि मरीज के लिए धन की कमी आड़े नहीं आएगी.
उन्होंने वर्तमान में मिल रहीं सुविधाओं के साथ ही शुरू होने वाली परियोजनाओं पर आधारित प्रेजेंटेशन भी देखा. विश्वविद्यालय के लक्ष्मण दास अतिथि गृह में हुई बैठक में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त प्रयास से फंड के साथ-साथ मरीज की सेवाओं से जुड़ी चुनौतियों का हर संभव समाधान कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने करें कि सभी को आयुष्मान योजना का लाभ मिले.
नीति आयोग के सदस्य डॉ.वीके पॉल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी को निशुल्क चिकित्सा सुविधा मुहैया कराए जाने का जो संकल्प लिया है उसको साकार करने की दिशा में हर संभव प्रयास किया जाएगा. कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने सर सुंदरलाल अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर की ओर से मरीजों को दी जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी देने के साथ ही इस दिशा में चुनौतियों से भी अवगत कराया.
ट्रामा सेंटर प्रभारी प्रोफेसर सौरभ सिंह ने बीएचयू में चल रही योजनाओं के साथ ही शुरू होने वाली परियोजनाओं से भी अवगत कराया. चिकित्सा अधीक्षक डॉ.केके गुप्ता ने आयुष्मान भारत योजना के बारे में जानकारी दी. बैठक में कुलगुरु प्रो. वीके शुक्ला, कुलसचिव प्रो. अरुण सिंह, डॉ. अभय ठाकुर, प्रो. एसके सिंह, जिलाधिकारी एस. राजलिंगम, सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी आदि मौजूद रहे.
इन परियोजनाओं के शुरू करने पर बनी सहमति
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क्रिटिकल केयर यूनिट
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बोन एंड टिशु बैंक
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जीरियाट्रिक केयर एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर(नेशनल एजिंग सेंटर)
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एडवांस केयर स्पाइनल इंजरी रिहैबिलिटेशन सेंटर
अर्थव्यवस्था को सुधारने में मददगार साबित होगा बायोगैस प्लांट
स्वास्थ्य मंत्री ने शहंशाहपुर स्थित पनिहरा में गोवर्धन स्कीम के तहत निर्मित बायोगैस प्लांट का निरीक्षण किया. उन्होंने कहा कि यह बायोगैस प्लांट अर्थव्यवस्था को सुधारने में मददगार साबित होगा. प्लांट से केवल गैस ही नहीं बनती है, बल्कि इसकी स्लरी से मैन्योर भी बनता है, जो किसानों के लिए बहुत उपयोगी है. रसायन और उर्वरक के उपयोग से फसल उत्पादन में स्थिरता आ चुकी है.
इसके प्रयोग से मिट्टी की सेहत भी बिगड़ती है. ऐसी स्थिति में ऑर्गेनिक और मैन्योर का उपयोग करने से फसल की उत्पादकता बढ़ती है और मिट्टी की सेहत भी अच्छी बनी रहती है. कहा कि ऐसे प्रोजेक्ट से ईंधन के मामले में जो हमारी आयात निर्भरता है, वह भी खत्म होगी. इसी सोच के साथ गोवर्धन प्रोजेक्ट सारे देश में चलाई जा रही है. यह ऐसा मॉडल निकलेगा जो कृषि के क्षेत्र को भी मदद करेगा और सतत विकास वाला होगा.