नववर्ष 2077 आज से शुरू हो गया है. इसके साथ ही नौ दिवसीय नवरात्रि भी शुरू हो गई. ज्योतिषाचार्य सुशील पुरोहित ने बताया कि रेवती नक्षत्र और मीन राशि की चंद्रमा के गोचर में हो रहा है, यह संयोग देश के लिए अति शुभ रहेगा. नया साल चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होता है. इस बार यह तिथि 25 मार्च को है.
यानी उस दिन परिधावी संवत्सर की विदाई और ‘प्रमादी’ नामक संवत्सर का शुभारंभ होने वाला है. इसके राजा बुध और मंत्री चंद्र हैं. उन्होंने कहा कि बुधवार को मंगल का मकर राशि में प्रवेश हो रहा है तथा मंगल राहु की समसप्तक स्थिति समाप्त होगी. इससे कोरोना वायरस के समाधान की प्रबल संभावना है. उन्होंने कहा कि किसी भी दवाई या वैज्ञानिक अाविष्कार या खोज का कारक ग्रह राहु होता है.
चूंकि अभी राहु का परम शत्रु ग्रह मंगल आमने-सामने अर्थात ज्योतिषी भाषा में समसप्तक थे, जिसके कारण राहु-केतू जनित इस महामारी की दवा खोजी नहीं जा सकी, क्योंकि राहु से मंगल समसप्तक होने के कारण अग्नि कारक मंगल ग्रह के अग्नि तत्व की राशि धनु ने अपनी अग्नि से राहू को अत्यंत कमजोर कर दिया था. बुधवार से मंगल के मकर राशि में प्रवेश से राहु-मंगल की समसप्तक अर्थात आमने-सामने की स्थिति समाप्त हो गयी है, जिससे अब वैज्ञानिक खोज का कारक ग्रह राहु के प्रभाव से बहुत जल्द ही वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का इलाज खोज लिया जायेगा. उन्होंने बताया कि जब तक गोचर में गुरु केतु की युती सितंबर 2020 तक रहेगी तब तक विश्व में कोरोना वायरस के छींट-पुट केस मिलते रहेंगे.
सुशील पुरोहित ने कहा कि 26 दिसंबर को मूल नक्षत्र धनु राशि में सूर्य ग्रहण के साथ ही कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू हुआ था. सूर्यग्रहण का प्रभाव कम से कम तीन माह तक रहता है. 31 मार्च से बृहस्पति मकर राशि में प्रवेश करेगा और इसी दिन मंगल धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश होगा.
उससे वायरस का प्रकोप थोड़ा कम होगा. 13 अप्रैल से सूर्य मेष राशि से उच्च राशि के हो जायेंगे. इससे वायरस से पीड़ित व्यक्तियों का ठीक होना शुरू हो जायेगा. 19 अप्रैल से 21 जून तक तापमान भी बढ़ जायेगा. यह भी वायरस के प्रभाव को कम करेगा. 23 सिंतबर को केतु वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा. इससे सितंबर के अंत तक इसका प्रभाव पूरी तरह खत्म होने की संभावना है.