Career In Meteorologist: आज के टाइम में कई ऐसे छात्र-छात्राएं हैं, जो अपने करियर को लेकर कन्फ्यूज रहते हैं. 12वीं के बाद बच्चों को समझ नहीं आता है कि किस फील्ड में अपना करियर बनाएं. आज हम आपका कन्फ्यूजन दूर करने वाले हैं. अगर आपका मन मौसम की जानकारियों को जानने की जिज्ञासा रहती है कि आज का मौसम कैसा रहेगा, बारिश कब होगी जैसे संबंधित जानकारी. अक्सर आपने देखा होगा कि मौसम खराब या बारिश होने वाली होती है लेकिन हमें 1 घंटे पहले पता चल जाता है कि बारिश होने वाली है. लोगों को अलर्ट कर दिया जाता है. बदलते मौसम का हाल बताने वाले को मौसम वैज्ञानिक कहते हैं. अगर आप भी मौसम वैज्ञानिक बनना चाहते हैं तो इसमे अपना करियर बना सकते हैं. आइये जानते हैं कोर्स के बारें में सबकुछ…
मौसम वैज्ञानिक एक वैज्ञानिक होता है जो पृथ्वी के वायुमंडल, जलवायु, और मौसम परिवर्तनों का अध्ययन करता है. इसका मुख्य उद्देश्य मौसम के पूर्वानुमान और उनके प्रभाव को समझना होता है ताकि लोगों को सुरक्षित रहने और उनके जीवन को प्रभावित करने वाली स्थितियों से बचने के लिए समय में उपाय किया जा सके. मौसम विज्ञान के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले प्रोफेशनल्स को मीटिअरोलॉजिस्ट, क्लाइमेटोलॉजिस्ट और एटमॉस्फेरिक साइंटिस्ट कहा जाता है. एक मौसम विज्ञानी का मुख्य कार्य वायुमंडलीय स्थितियों के बारे में जानकारी एकत्र करना और उसका विश्लेषण करना होता है. आप अगर मौसम विज्ञान में रुचि रखते हैं, तो स्कूली शिक्षा के बाद मीटिअरोलॉजिस्ट बनने की तैयारी शुरू कर सकते हैं.
मान्यताप्राप्त संस्थान से साइंस स्ट्रीम यानी फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स या बायोलॉजी के साथ 12वीं करनेवाले छात्र मीटिअरोलॉजी या एटमॉस्फेरिक साइंस में स्नातक कर सकते हैं. स्नातक के बाद पीएचडी व रिसर्च के क्षेत्र में भी जा सकते हैं.
मीटिअरोलॉजी का कोर्स छात्र में इस क्षेत्र से संबंधित कई स्किल्स, जैसे डेटा कलेक्शन, डेटा एनालिसिस, फोरकास्टिंग, कंप्यूटर मॉडलिंग आदि विकसित करता है. इस विषय में छात्रों को वैश्विक वायुमंडल, मौसम मापन और विश्लेषण, वायुमंडलीय ऊष्मप्रवैगिकी, वायुमंडलीय भौतिकी, मौसम विश्लेषण और पूर्वानुमान, समुद्री मौसम विज्ञान आदि के बारे में बारीक जानकारी एकत्र करना सिखाया जाता है.
इस करियर को चुनने वाले युवाओं के पास अच्छा डेटा एनालिसिस स्किल, कम्युनिकेशन स्किल, प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल व समय पर निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए. उन्हें मौखिक व लिखित दोनों तरीके से निष्कर्षों और भविष्यवाणियों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने में सक्षम होना चाहिए. उत्कृष्ट कंप्यूटर कौशल बहुत जरूरी है, क्योंकि मौसम विज्ञान एडवांस टेक्नोलॉजी और सॉफ्टवेयर पर निर्भर करता है.
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आईआईटी खड़गपुर, पश्चिम बंगाल.
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भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु.
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देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर.
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इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटिअरोलॉजी, पुणे.
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पंजाब यूनिवर्सिटी, पटियाला.
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एग्रीकल्चर मीटिअरोलॉजी : इस शाखा में वैज्ञानिकों द्वारा फसलों की पैदावार एवं उससे होने वाले नुकसान में मौसम संबंधी सूचनाओं का आकलन किया जाता है.
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अप्लाइड मीटिअरोलॉजी : इसमें एयरक्राफ्ट डिजाइन, वायु प्रदूषण एवं नियंत्रण आर्किटेक्चरल डिजाइन, अर्बन प्लानिंग, एअर कंडिशनिंग, टूरिज्म डेवलपमेंट आदि के प्रति थ्योरी रिसर्च करते हैं.
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फिजिकल मीटिअरोलॉजी : इसमें सोलर रेडिएशन, पृथ्वी में विलयन एवं वायुमंडलीय व्यवस्था आदि का अध्ययन किया जाता है.
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क्लाइमेटोलॉजी : क्लाइमेटोलॉजी में किसी क्षेत्र या स्थान विशेष की जलवायु का अध्ययन किया जाता है. कुछ महीनों के लिए किसी एक क्षेत्र में अध्ययन कर उस क्षेत्र के जलवायु प्रभाव और उससे होने वाले बदलावों के बारे में विस्तार से शोध किया जाता है.
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सिनॉप्टिक मीटिअरोलॉजी : इसमें कम दबाव के क्षेत्र, वायु, जल, चक्रवात, दबाव स्तर एवं एकत्र किया जाने वाला मानचित्र जो पूरे विश्व के मौसम का सिनॉप्टिक व्यू बताता है आदि की जानकारी प्राप्त की जाती है.
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डायनेमिक मीटिअरोलॉजी : इसमें गणितीय सूत्रों के जरिये वायुमंडलीय प्रक्रियाओं का अध्ययन करते हैं.
मौसम वैज्ञानिक का वेतन उनके पद और अनुभव के अनुसार अलग-अलग हो सकता है. भारत में मौसम विज्ञानी का औसत वार्षिक वेतन INR 6.8 LPA है. मासिक वेतन 52,123 रुपये से 53,352 रुपये तक है और उच्चतम वेतन 10 एलपीए है.
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यदि उम्मीदवार भारत के कुछ शीर्ष कॉलेजों से मौसम विज्ञान में शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं तो उन्हें प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी. मौसम विज्ञान के इच्छुक उम्मीदवार सबसे आम परीक्षाओं में जेईई, डीयूईटी, गेट, एआईईईई और आईआईटी जेएएम शामिल हैं. कुछ शीर्ष परीक्षाओं का विवरण निम्नलिखित तालिका में उल्लिखित है.
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