कोलकाता/नयी दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने एमबीबीएस की आरक्षित श्रेणी की सीट के लिए इच्छुक अभ्यर्थियों को जाति प्रमाणपत्र जारी करने में अनियमितताओं के आरोपों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) से जांच कराने के मुद्दे पर कलकत्ता हाइकोर्ट की दो पीठ में टकराव से संबंधित याचिकाएं सोमवार को अपने हाथ में ले लीं. सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डीवाइ चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि उसने इस मुद्दे से संबंधित सभी मामलों को अपने हाथ में लेने का फैसला किया है और तीन सप्ताह की अवधि में दलीलें पूरी करने का निर्देश दिया है.
उक्त पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस भी शामिल हैं. सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा: हम याचिकाओं को ठीक तीन सप्ताह बाद सूचीबद्ध करेंगे. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की विशेष बेंच ने मामले के सभी पक्षकारों को अगली सुनवाई से पहले हलफनामा जमा करने का निर्देश दिया है. पीठ ने कहा कि सभी पक्षकार लिखित रूप में अपना बयान अदालत में जमा करें. उल्लेखनीय है कि शीर्ष अदालत की पीठ पहले इस विवाद को निपटाने के लिए 27 जनवरी को अवकाश के दिन बैठी थी, जहां एक असहमत न्यायाधीश ने खंडपीठ के उस आदेश को खारिज कर दिया था, जिसने उनके निर्देश को रद्द कर दिया था.
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खंडपीठ ने सीबीआइ जांच का निर्देश देने के साथ केंद्रीय एजेंसी को जांच आगे बढ़ने के न्यायाधीश के निर्देश को रद्द कर दिया था. विवादास्पद न्यायिक स्थिति को हल करने के प्रयास के तहत सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को कथित अनियमितताओं की सीबीआइ जांच को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय की दो पीठों के बीच टकराव के मद्देनजर ‘मामला अपने हाथ में लेने’ और सभी कार्यवाही पर रोक लगाने का फैसला किया. न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली ने खंडपीठ के न्यायाधीश सौमेन सेन पर पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी के हितों के लिए सीबीआइ जांच के उनके आदेश को खारिज करने का आरोप लगाया था.