झारखंड पंचायत चुनाव : गढ़वा में जातीय समीकरण हुआ फेल, राजनीतिक पार्टियों का भी नहीं चला दांव
झारखंड पंचायत चुनाव के पहले चरण में गढ़वा में जातीय समीकरण फेल नजर आया. वहीं, राजनीतिक पार्टियों के दांवे भी काम नहीं आये. यहां जात-पात की राजनीति से ऊपर उठकर मतदाताओं ने वोट किया.
Jharkhand Panchayat Chunav: झारखंड पंचायत चुनाव के प्रथम चरण में जातीय समीकरण फेल हो गया. वहीं, राजनीतिक पार्टियों का कोई भी दांव काम नहीं आया. जातीय समीकरण पर जीत की आस में रहे उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा. वहीं, राजनीतिक पार्टियों के समर्थित उम्मीदवारों को बड़ा झटका लगा. गढ़वा जिला अंतर्गत रंका अनुमंडल क्षेत्र के रमकंडा प्रखंड में जातीय समीकरण और राजनीतिक पार्टी के भरोसे मैदान में उतरे आधा दर्जन प्रत्याशियों को सफलता नहीं मिली. यहां जात-पात की राजनीति से ऊपर उठकर मतदाताओं ने वोट किया. वहीं, राजनीतिक पार्टी में रहने के बावजूद अपनी व्यक्तिगत छवि के आधार पर कुछ प्रत्याशियों को वोट मिला.
रंजू पांडेय हुई निर्वाचित
जानकारी के अनुसार, प्रखंड मुख्यालय की रमकंडा पंचायत में ब्राह्मण समुदाय के 11 मतदाता हैं. वहीं, ओबीसी और अनुसूचित जाति की एक बड़ी आबादी है. लेकिन, इस बार के चुनाव में ओबीसी और अनुसूचित जाति के प्रत्याशियों को बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा. जबकि जातीय समीकरण पर प्रत्याशी जीत की उम्मीद लगाये बैठे थे. वहीं, ब्राह्मण समुदाय की मुखिया प्रत्याशी रंजू पांडेय 788 मत लाकर निर्वाचित हुई.
जातीय समीकरण नहीं आया काम
इसी तरह बलिगढ़ पंचायत से मुखिया बने विनोद प्रसाद 560 मतों के अंतर से जीत दर्ज किया. जबकि इस पंचायत में ओबीसी मतदाताओं की संख्या अन्य जाति के मतदाताओं की अपेक्षा कम है. इसी तरह हरहे पंचायत से श्रवण प्रसाद दोबारा मुखिया निर्वाचित हुए हैं. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी व पूर्व टीपीसी एरिया कमांडर नितांत उर्फ विश्वनाथ सिंह को 693 मतों से हराया. जबकि इस पंचायत में वैश्य समाज की संख्या आदिवसियों की अपेक्षा कम है. इसके अलावे उदयपुर पंचायत में जात-पात से ऊपर उठकर यहां के मतदाताओं ने तत्कालीन मुखिया राजकिशोर यादव की पत्नी शकुंतला देवी को जीत दिलाया. इन्हें 1098 वोट मिला.
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राजनीतिक पार्टियों के समर्थित प्रत्याशी हार गये
जानकारी के अनुसार, झारखंड मुक्ति मोर्चा के समर्थित जिला परिषद सदस्य पद की प्रत्याशी गायत्री गुप्ता चुनाव हार गयी. वह तीसरे नंबर पर रही. 2015 के चुनाव में यहां से उन्हें जीत मिली थी. इसी तरह जिला परिषद पद में भारतीय जनता पार्टी के समर्थित उम्मीदवार सोनू देवी को भी हार का सामना करना पड़ा. इसी तरह झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी के पदधारी बिराजपुर से चुनाव लड़ रहे तत्कालीन मुखिया विजय प्रकाश कुजूर की पत्नी आशा कुजूर को भी हार का सामना करना पड़ा. इस पंचायत से झामुमो पार्टी के कई कार्यकर्ता चुनाव मैदान में थे. लेकिन, इस पंचायत से बिना किसी राजनीतिक पार्टी से संबंध रखने वाले प्रत्याशी ललिता लकड़ा को जीत मिली है. इसी तरह रमकंडा पंचायत से चुनाव लड़ रही झामुमो के जिला सह सचिव संजय प्रसाद की पत्नी अनु देवी भी हार गयी. उदयपुर और चेटे से चुनाव जीते निर्वाचित मुखिया शकुंतला देवी के पति राजकिशोर यादव व कमेश कोरवा झामुमो से संबंध रखने के बावजूद अपने व्यक्तिगत छवि पर जीत हासिल की है. जबकि राजनीतिक दलों के नेता अपने समर्थित प्रत्याशियों को जीत दिलाने के लिये पार्टी स्तरीय कार्यकर्ताओं की आधा दर्जन बैठकें की थी.
इन्हें मिली दोबारा जीत, बची प्रतिष्ठा
इस बार की पंचायत चुनाव में रमकंडा प्रखंड के तीन मुखिया, एक बीडीसी एवं दर्जन भर ग्राम पंचायत सदस्यों की प्रतिष्ठा बची है. यहां के मतदाताओं ने पुनः भरोसा करते हुए दोबारा निर्वाचित किया है. इनमें बलिगढ़ पंचायत से तत्कालीन मुखिया रहे अनिता देवी के पति विनोद प्रसाद, हरहे पंचायत के तत्कालीन मुखिया श्रवण प्रसाद, उदयपुर पंचायत से तत्कालीन मुखिया रहे राजकिशोर यादव की पत्नी शकुंतला देवी निर्वाचीत हुई. उक्त सभी निर्वाचित मुखिया अपने प्रतिद्वंदी को 500 से अधिक मतों के अंतर से पराजित किया. इसी तरह रकसी पंचायत से तत्कालीन मुखिया रहीं रमावती देवी बीडीसी पद में निर्वाचित हुई. इसके अलावे चेटे पंचायत से समाजसेवी कमलेश कुमार यादव के समर्थित उम्मीदवार कमेश कोरवा को इस बार जीत मिली है. इस पंचायत में समाजसेवी श्री यादव का बड़ा प्रभाव है. उन्होंने 2010 के चुनाव में अपनी पत्नी चंद्रावत यादव, 2015 के चुनाव में सीट बदलने के कारण समर्थित उम्मीदवार सोमरिया देवी को जीत दिलाया था.
रिपोर्ट : मुकेश तिवारी, रमकंडा, गढ़वा.