West Bengal SSC Scam: पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) के जरिये स्कूलों में होने वाली नियुक्तियों में घोटाले की आग की लपट पहले ही पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी तक पहुंच चुकी है. मामले में धनशोधन पहलू की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पार्थ और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी को पिछले महीने ही गिरफ्तार किया था.
ईडी के बाद अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उपरोक्त मामले में डब्ल्यूबीएसएससी की नियुक्ति समिति के पूर्व सलाहकार डॉ शांति प्रसाद सिन्हा और डब्ल्यूबीएसएससी के पूर्व सचिव अशोक कुमार साहा को गिरफ्तार किया है. इस मामले में सीबीआई की ओर से की गयी यह पहली गिरफ्तारी है.
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#WATCH Kolkata: Both accused in the WB teacher recruitment scam, come out of the Sambhunath Pandit hospital after getting their medical conducted.
Former School Service Commission (SSC) advisor SP Sinha and former SSC chairman Ashok Saha had been arrested by CBI earlier today. https://t.co/xYbAa2FNfW pic.twitter.com/lImnaXF9EC
— ANI (@ANI) August 10, 2022
सिन्हा और साहा की गिरफ्तारी के पहले सीबीआई ने दोनों से घंटों पूछताछ की थी. दोनों को बुधवार को यहां सीबीआई कार्यालय में बुलाया गया था. उनसे कई सवाल पूछे गये. सूत्रों के अनुसार, सीबीआई अधिकारियों ने सिन्हा से यह जानने की कोशिश की कि डब्ल्यूबीएसएससी की नियुक्ति के संबंध में समिति द्वारा लिये गये फैसलों में किन लोगों की भूमिका रही थी? डब्ल्यूबीएसएससी की सलाहकार समिति क्यों बनायी गयी? किसके निर्देशन में इस समिति का गठन हुआ? समिति के सदस्य कौन होंगे, यह किसने तय किया? डब्ल्यूबीएसएससी सलाहकार समिति को किसने नियंत्रित किया? समिति के नियंत्रण में तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की भूमिका क्या थी? पूछताछ के दौरान वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गयी. पूछताछ में उनके दिये बयान में विसंगतियां मिलते ही दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया.
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गौरतलब है कि कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश पर डब्ल्यूबीएसएससी के जरिये स्कूलों में हुई नियुक्तियों के घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है. सीबीआई द्वारा दर्ज की गयी प्राथमिकी में सिन्हा और साहा के अलावा डब्ल्यूबीएसएससी नियुक्ति समिति के पूर्व सदस्य व एसएससी के तत्कालीन प्रोग्रामिंग ऑफिसर समरजीत आचार्य, एसएससी के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर सौमित्र सरकार, पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ कल्याणमय गांगुली का नाम भी शामिल है. उनके खिलाफ भारतीय दंड विधान की धाराओं 120(बी), 417, 465 व 34 व प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट (अमेंडमेंट), 2018 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया है.