West Bengal : अब उत्तर बंगाल में डेरा लगायेगी सीबीआई, राज्य सरकार करेगी मदद
अदालत ने मामले में सीबीआई के वकील की दलील को वैध पाया और राज्य सरकार को इसके लिए आवश्यक व्यवस्था करने का निर्देश दिया था. इससे पहले, राज्य पुलिस से 10 कर्मियों की सीबीआई में प्रतिनियुक्ति को भी मंजूरी मिली है,
पश्चिम बंगाल में विभिन्न मामलों की जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) अब उत्तर बंगाल में भी अस्थायी कार्यालय स्थापित करने जा रही है. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से हर तरह का लॉजिस्टिक सपोर्ट मिलेगा. वहां केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों के लिए परिवहन व्यवस्था राज्य सरकार करेगी. कलकत्ता हाइकोर्ट की ओर से इसी हफ्ते इस बाबत राज्य सरकार को निर्देश दिये जाने के बाद केंद्रीय एजेंसी ने इसकी सारी तैयारियां पूरी कर ली है. मामले में सीबीआई) की अपील के बाद अदालत ने यह निर्देश दिया है. सीबीआई के वकील ने अदालत को सूचित किया था कि अक्सर उनके अधिकारियों को विभिन्न मामलों में जांच के लिए कोलकाता से उत्तर बंगाल की यात्रा करनी पड़ती है.
ऐसी स्थिति में उन्हें वहां एक स्थायी कैंप कार्यालय की आवश्यकता है, जो राज्य सरकार के सहयोग के बिना संभव नहीं है. अदालत ने मामले में सीबीआई के वकील की दलील को वैध पाया और राज्य सरकार को इसके लिए आवश्यक व्यवस्था करने का निर्देश दिया था. इससे पहले, राज्य पुलिस से 10 कर्मियों की सीबीआइ में प्रतिनियुक्ति को भी मंजूरी मिली है, जिसमें दो इंस्पेक्टर और आठ कांस्टेबल शामिल हैं. माना जा रहा है कि उत्तर बंगाल में जांच को तेज करने के लिहाज से सीबीआई का यह कदम बेहद महत्वपूर्ण है.
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राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए जमीन अधिग्रहण पर हाइकोर्ट ने लगायी रोक
कलकत्ता हाइकोर्ट ने राज्य में राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. केंद्र सरकार के 2013 के नये कानून के तहत मुआवजा नहीं दिये जाने के कारण हाइकोर्ट ने अधिग्रहण पर रोक लगायी है. माना जा रहा है कि इससे राष्ट्रीय राजमार्ग के विस्तारीकरण की प्रक्रिया धीमी पड़ सकती है. शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट के न्यायाधीश विवेक चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार ने नये नियम के अनुसार जमीन दाताओं के सभी शेड्यूल को मानते हुए मुआवजा नहीं दिये जाने तक अधिग्रहण प्रक्रिया स्थगित रहेगी.
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क्या है मामला
मालदा के चांचल में 81 नंबर राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए बाइपास बनाने का काम होना है. इसके लिए केंद्र सरकार ने जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की थी. उसमें एक ईंट भट्ठे की भी जमीन भी आ गयी थी. आरोप है कि केंद्र सरकार ने इसके लिए वित्तीय मुआवजा देने में 1956 के पुराने कानून का सहारा लिया, जबकि 2013 में इसमें किये गये संशोधन को नहीं माना गया. इसी को लेकर जमीन मालिक आदर्श कुमार ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. आरोपों को सही पाये जाने के बाद कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए जमीन अधिग्रहण पर रोक लगा दी है.