बंगाल में एक्शन में आई सीबीआई, चुनाव के बाद हिंसा मामले में नौ केस दर्ज
सीबीआई पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामले में क्षेत्रवार जांच करेगी और हर जोन में तफ्तीश संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी संभाल रहे हैं ताकि कथित जघन्य अपराध के मामलों में पूरी तरह जांच हो.
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के संबंध में नौ मामले दर्ज किए हैं. सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि हिंसा के मामलों की जांच का जिम्मा संभाल रही जांच एजेंसी की सभी चार विशेष इकाइयों ने अपने दलों को कोलकाता से, राज्य के अपराध स्थलों में भेजा है. सूत्रों ने बताया कि कुछ और मामले दर्ज किए जाने की प्रक्रिया में हैं और उनमें से कुछ मामले राज्य सरकार ने सौंपे हैं.
कलकत्ता हाई कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने इस साल की शुरुआत में पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा के दौरान कथित दुष्कर्म और हत्या के मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी है. हाई कोर्ट ने दो मई को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्य में हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक समिति द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद ये निर्देश दिए.
ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने राज्य में आठ चरणों में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के साथ कड़े मुकाबले के बाद शानदार जीत दर्ज की. स्वतंत्र जांच की मांग कर रही जनहित याचिकाओं पर सर्वसम्मति से फैसला देते हुए हाई कोर्ट की पीठ ने सभी अन्य मामलों की जांच के लिए राज्य पुलिस अधिकारियों के एक विशेष कार्य बल (एसआईटी) का भी गठन करने का आदेश दिया.
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एसआईटी में पश्चिम बंगाल कैडर के आईपीएस अधिकारी सुमन बाला साहू, सौमेन मित्रा और रणवीर कुमार शामिल होंगे. पीठ सीबीआई और एसआईटी दोनों की जांच की निगरानी करेगी और उसने दोनों एजेंसियों को छह हफ्तों के भीतर स्थिति रिपोर्ट सौंपने को कहा है. पीठ ने कहा कि ऐसे आरोप हैं कि शिकायतकर्ताओं को मामले वापस लेने के लिए धमकाया जा रहा है और हत्या के कई मामलों को बिना प्राथमिकी दर्ज किए और जांच किए बिना स्वाभाविक मौत के मामले बताया जा रहा है.
हाई कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल पुलिस ने शिकायतों पर कार्रवाई न करने के आरोपों पर उचित जवाब नहीं दिया और उन्हें तवज्जो न देने की कोशिश की. उसने कहा कि इसमें निश्चित तौर पर एक स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की आवश्यकता है. पीठ ने कहा कि अदालत द्वारा इस मामले पर सुनवाई शुरू किए हुए तीन महीने बीत गए हैं लेकिन ‘‘राज्य ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की.
Posted By : Amitabh Kumar