Jharkhand News: रामगढ़ जिले के सीसीएल बरका-सयाल क्षेत्र की भुरकुंडा परियोजना अंतर्गत दो साल से बंद बलकुदरा खुली खदान से शुक्रवार से एक बार फिर कोयला उत्पादन शुरू हो गया है. पहले दिन 60 टन कोयले का उत्पादन हुआ. इसे सौंदा बी साइडिंग भेजा गया. यह खदान 30 सितंबर 2020 से सीटीओ नहीं मिलने के कारण बंद थी. खदान से कोयला उत्पादन कार्य का उद्घाटन परियोजना पदाधिकारी मनोज कुमार पाठक ने किया.
हर महीने कम से कम 44 हजार टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य
कोयला उत्पादन शुरू होने से प्रबंधन ने राहत की सांस ली है. खदान से आउटसोर्सिंग कंपनी पीएलआर द्वारा उत्पादन कार्य किया जा रहा है. प्रबंधन ने बताया कि मार्च तक करीब चार लाख टन कोयला उत्पादन करने की योजना है. शुरुआत में हर महीने कम से कम 44 हजार टन कोयला निकालने का प्रयास किया जायेगा. गुजरते समय के साथ उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जायेगा. खदान में वर्तमान में 6.5 लाख टन कोयला मौजूद है. इसके विस्तारीकरण की भी कोशिश चल रही है. विस्तारीकरण के बाद खदान की क्षमता 20 लाख टन हो जायेगी. तीन-चार साल तक निर्बाध उत्पादन हो सकेगा. बताया गया कि खदान में करीब 45 लाख टन कोयले का भंडार था, जिसमें से 32 लाख टन कोयला निकाला जा चुका है.
खदान को आउटसोर्सिंग से चलाने की योजना
प्रबंधन ने डिपार्टमेंटल खुली खदान के बाबत बताया कि यह खदान फिलहाल बंद है. इसे नये सिरे से खोलने के लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है. खदान को आउटसोर्सिंग से चलाने की योजना है. खदान में 12 मिलियन टन कोयले का भंडार मौजूद है. परियोजना पदाधिकारी ने बताया कि बलकुदरा खदान से उत्पादन कार्यों में स्थानीय रैयत विस्थापित ग्रामीणों, श्रमिक संगठनों व क्षेत्र के लोगों से पूरी सहयोग की उम्मीद है. मौके पर एसओएम राजकुमार वर्णवाल, पंकज कुमार सिंह, एसएन रामकुमार, अविनाश चंद्रा, बबलू कुमार, अनुज कुमार, रवि रेड्डी, शशिभूषण सिंह, पप्पू सिंह, शैलेंद्र सिंह, अमरेंद्र सिंह, बैजनाथ कुमार, बलकुदरा मुखिया विजय मुंडा, कुरसे मुखिया संदीप उरांव, प्रदीप मांझी, शंकर मांझी, विस्थापित नेता वीरेंद्र मांझी, राहुल कुमार आदि उपस्थित थे.