टंडवा (चतरा), वरुण सिंह: मगध संघमित्रा क्षेत्र अंतर्गत संघमित्रा कोल परियोजना शुरू करने की दिशा में सीसीएल ने पहल तेज कर दी है. दूसरे चरण में छुटे जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का काम शुरू कर दिया गया है. दूसरे चरण में 1193.19 (482.87 हेक्टेयर) एकड़ जमीन अधिग्रहण का प्रस्ताव है, जिसमें सेक्शन सेवन की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है. भारत सरकार के कोयला मंत्रालय द्वारा 23 मई 2023 को अधिसूचना जारी कर दी गयी है. अधिसूचना प्रकाशन से एक माह तक आपत्ति करने का समय रहता है, जिसमें अबतक कोई आपत्ति दर्ज नहीं की गयी. दूसरे चरण में संघमित्रा परियोजना के ब्लॉक ए, बी, सी, डी व ई के लिए जमीन अधिग्रहण का प्रस्ताव है, जिसमें ब्लाक ए में मनातू की 14.85 एकड़, बनवार की 246.16, बनालाथ की 39.79, कुड़लौंग की 145.54 एकड़, बी के लिए कुंडी की 54.40, सराढू की 82.03, कुड़लौंगा की 19.68 एकड़़, सी में सराढू की 401.10 एकड़, डी में कुड़लौंगा की 2.12 एकड़, सराढू की 113.40 एकड़, हेचबालिया की 28.38 एकड़ व ब्लॉक ई में होन्हे की 45.77 एकड़ जमीन अधिग्रहण को लेकर सेक्शन सेवन लगाया गया है.
2250 हेक्टेयर में प्रस्तावित है परियोजना
संघमित्रा कोल परियोजना लगभग 2250 हेक्टेयर (रेलवे साइडिंग सहित) में प्रस्तावित है. जिसमें 908.14 हेक्टेयर वन भूमि है. प्रथम चरण में 1239.66 हेक्टेयर जमीन पर 2014 में सेक्शन नाइन की प्रक्रिया हो चुकी है. दूसरे चरण में मई 2023 में 428.87 हेक्टेयर भूमि पर सेक्शन सेवन लगा दिया गया है, जिसमें जल्द सेक्शन नाइन लगा दिया जायेगा. तीसरे चरण में रेलवे साइडिंग के लिए 138 हेक्टेयर भूमि पर सभी सेक्शन लगाने की प्रक्रिया चल रही है. इसके बाद जमीन अधिग्रहण संबंधित प्रक्रिया पूरी हो जायेगी. प्रस्तावित संघमित्रा कोल परियोजना में मगध कोल परियोजना से भी भूमि हस्तांतरित की गयी है. मगध कोल परियोजना लगभग 2150 हेक्टेयर भूमि पर प्रस्तावित थी, जिसमें से सराढू व कुड़लौंगा के 478 हेक्टेयर भूमि को मगध से हटा कर संघमित्रा कोल परियोजना में हस्तांतरित कर दिया गया है. प्रक्रिया शुरू होने से लोगों को नौकरी व मुआवजा की उम्मीद जगी है.
अब तक चार बार हुआ टेंडर
संघमित्रा कोल परियोजना को लेकर अब तक चार बार टेंडर हुआ है. एमडीओ मोड (25 वर्ष) में होने के कारण कंपनियां रुचि नहीं दिखा रही हैं. एकबार एक कंपनी ने टेंडर डाला भी, तो सिंगल टेंडर होने के कारण कंपनी को काम नहीं मिल पाया. अब सीसीएल इसे एमडीओ मोड से हटा कर आठ साल के टेंडर में लाने जा रही है. फिर टेंडर लेकर सीएमपीडीआई द्वारा प्रक्रिया पूरी की जा रही है. कंपनी सूत्रों की मानें, तो चार माह के अंदर फिर परियोजना टेंडर की प्रक्रिया की जायेगी.
Also Read: झारखंड: रांची की छात्रा ने धनबाद में की आत्महत्या, सुसाइड नोट बरामद, हिरासत में कोचिंग संचालक
क्या है सेक्शन सेवन व नाइन प्रक्रिया
भारत सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण कई प्रक्रियाओं से होकर गुजरता है. इन्हीं प्रक्रिया में सेक्शन सेवन व नाइन है. सेक्शन सेवन में भारत सरकार अधिसूचना जारी कर जमीन अधिग्रहण की सूचना खाता प्लॉट सहित प्रकाशित करती है, जिसमें जनता को सूचित किया जाता है कि किस प्रयोजनार्थ जमीन ली जा रही है. सेवन के बाद नाइन की प्रक्रिया शुरू होती है. सेक्शन नाइन में जमीन का अधिग्रहण कर लिया जाता है, जिसके बाद जमीन की खरीद-बिक्री बंद कर दी जाती है.