Prayagraj News: प्रयागराज में Bipin Rawat की लगेगी प्रतिमा, सड़क का भी रखा जाएगा नाम

देश के प्रथम सीडीएस बिपिन रावत के नाम किसी प्रमुख सड़क का नामकरण होने के साथ ही उनकी मूर्ति भी किसी एक प्रमुख चौराहे पर लगाई जाएगी. CDS की शहर के प्रमुख चौराहे पर मूर्ति लगाने का भी प्रस्ताव और नगर निगम के सामने रखा गया.

By Prabhat Khabar News Desk | December 12, 2021 11:17 AM
an image

तीनों सेना के प्रमुख रहे शहीद जनरल बिपिन रावत के नाम प्रयागराज की प्रमुख सड़क का नामकरण किया जाएगा. जिसका प्रस्ताव को मेयर अभिलाषा गुप्ता की अध्यक्षा में नगर निगम की सदन में रखा गया. इस प्रस्ताव को सभी पार्षदों एक स्वर में पारित कर दिया. प्रस्ताव को कांग्रेस नेता मुकुंद तिवारी ने सदन के सामने लिखित में दिया था. जिसपर सभी ने अपनी सहमति दी.

मिनी सदन की कारवाई शुरू होने से पहले तमिलनाडु में हवाई हादसे में शहीद हुए देश के प्रथम CDS तीनों सेनाओं के प्रमुख बिपिन रावत व अन्य शहीद सैनिकों की आत्मा की शांति के लिए मौन रखकर सभी ने प्रार्थना की.

देश के प्रथम सीडीएस बिपिन रावत के नाम किसी प्रमुख सड़क का नामकरण होने के साथ ही उनकी मूर्ति भी किसी एक प्रमुख चौराहे पर लगाई जाएगी. CDS की शहर के प्रमुख चौराहे पर मूर्ति लगाने का भी प्रस्ताव और नगर निगम के सामने रखा गया. महापौर अभिलाषा गुप्ता नंदी ने कहा की इस प्रस्ताव को अब शासन के पास भेजा जाएगा. शासन की मंजूरी मिलते ही जल्द से जल्द इसे अमल में लाया जाए.

गौरतलब है की CDS बिपिन रावत ने ही कुंभ के साल प्रयागराज को किले के अंदर कैद अक्षय वट आम जनों के लिए खोलने की सौगात दी थी. तत्कालीन समय की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ CDS विपिन रावत यहां पहुंचे थे. मुगल सम्राट अकबर के समय बने किले के अंदर कैद अक्षय वट करीब दो सौ से अधिक साल बाद उन्होंने आम जनता के लिए अक्षय वट को खोल दिया. कुंभ के साल करीब पांच करोड़ लोगों ने अक्षय वट का दर्शन किया था. अब भी संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु पातालपुरी के साथ ही मूल अक्षय वट का दर्शन कर सकते है.

अकबर के किले के अंदर अक्षय वट के बारे में मान्यता है की यह प्रलय के पूर्व का वट है. प्रभु राम ने वनवास के समय अक्षय वट की पूजा की थी. इस लिए भी त्रिवेणी संगम के पास किले के यमुना नदी किनारे के छोर पर स्थित अक्षय वट का दर्शन का विशेष महत्व है. किले के निर्माण के बाद यह वट अंदर हो गया. मुगल शासन के बाद किले पर अंग्रेजो का कब्जा हो गया. देश आजाद हुआ तो आर्मी ने यह अपना आयुध भंडार बना अपने कब्जे में ले लिया. अभी भी किला आर्मी के ही अधीन है.

Also Read: Prayagraj News: जीबी पंत संस्थान में नियुक्ति में ओबीसी आरक्षण की अनदेखी, छात्रों ने फूंका निदेशक का पुतला

रिपोर्ट : एसके इलाहाबादी

Exit mobile version