धनबाद : नेशनल एकेडमिक डिपॉजिट्री (एनएडी) द्वारा संचालित डिजिलॉकर पर अपलोड प्रमाण पत्र को क्या झारखंड में मान्यता नहीं दी जा रही है? यह सवाल इसलिए अहम है कि क्योंकि बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय से 2021 में बीएड करने वाले एक दर्जन से अधिक विद्यार्थियों की नौकरी दांव पर लग गयी है. इन विद्यार्थियों ने झारखंड स्टॉफ सलेक्शन कमिशन (जेएसएससी) द्वारा आयोजित लैब असिस्टेंट नियुक्ति परीक्षा पास कर ली है. अभी जेएसएससी सफल अभ्यर्थियों के शैक्षणिक दस्तावेजों का सत्यापन करा रहा है. शुक्रवार डॉक्यूमेंट वेरीफिरेशन का अंतिम दिन है. ऐसे में परेशान विद्यार्थी मूल प्रमाणपत्र के लिए बीबीएमकेयू और जेसएससी का चक्कर लगा रहे हैं. गुरुवार को भी ऐसे अभ्यर्थी विवि पहुंचकर कुलपति प्रो पवन कुमार पोद्दार को समस्या से अवगत कराया. कुलपति ने जेएसएससी के चेयरमैन से बात कर हल निकालने का भरोसा दिया है. बता दें कि बीबीएमकेयू से 2021 में बीएड करने वाले छात्रों को अब तक मूल प्रमाणपत्र नहीं दिया गया है. विवि इन्हें यह मूल प्रमाणपत्र मार्च में प्रस्तावित दीक्षांत समारोह में देने की बात कर रहा है. हालांकि नेशनल एकेडमिक डिपॉजिट्री (एनएडी) द्वारा संचालित डिजिलॉकर पर डिजिटल सर्टिफिकेट अपलोड कर दिया गया है. छात्र वहां से सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सकते हैं. लेकिन डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन में जेएसएससी द्वारा डीजी लॉकर से डाउनलोड सर्टिफिकेट स्वीकार्य नहीं किया जा रहा है.
जेएसएससी द्वारा डिजिलॉकर से डाउनलोड सर्टिफिकेट को अस्वीकार कर देने पर बीबीएमकेयू प्रशासन ने ऐसे विद्यार्थियों को बोनाफाइड सर्टिफिकेट जारी किया था. इसमें उल्लेख है कि विवि द्वारा डिजिलॉकर पर अपलोड किया गया प्रमाणपत्र मूल प्रमाणपत्र के सामान ही प्रमाणित है. छात्रों को उनका मूल प्रमाणपत्र मार्च 2024 में दीक्षांत समारोह में प्रदान किया जायेगा. साथ ही बताया गया है कि डिजिलॉकर पर सर्टिफिकेट आइटी एक्ट 9ए के तहत जारी किये गये हैं.
बीबीएमकेयू के अनुरोध को बीपीएसएस ने स्वीकारा
इधर बीबीएमकेयू प्रशासन द्वारा झारखंड में जेएसएससी और बिहार में बीपीएससी को पत्र लिखकर डिजिलॉकर पर जारी प्रमाणपत्र को स्वीकार करने काअनुरोध किया गया था. इसके बाद बीपीएससी ने बीबीएमकेयू से 2021 में बीएड की पढ़ाई पूरी करने वाले अभ्यर्थियों के डिजिलॉकर के सर्टिफिकेट को मान्यता दे दी. लेकिन झारखंड में जेएसएससी ने अब तक इसे स्वीकार नहीं किया है.
जेएसएससी चेयरमैन नीरज सिन्हा मूल प्रमाणपत्र के सत्यापन की मुख्य वजह यह है कि यह पता चल सके कि अभ्यर्थी कहीं और भी नौकरी नहीं करते हो. इसलिए इसका सत्यापन अनिवार्य है. जहां तक डीजी लॉकर या विवि द्वारा जारी बोनाफाइड सर्टिफिकेट की मान्यता प्रश्न है, इस पर राज्य सरकार का निर्णय अंतिम होगा.
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