West Bengal School Service Commission: पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के अध्यक्ष सिद्धार्थ मजूमदार शुक्रवार को अवमानना याचिकाओं के सिलसिले में कलकत्ता हाइकोर्ट के समक्ष पेश हुए और उन्होंने कोर्ट से मांगी माफी. उन्होंने कहा कि हमने कोर्ट के आदेश की व्याख्या करने में गलती की है.” सिद्धार्थ मजूमदार ने कहा कि जादवपुर विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा उत्तर पुस्तिकों की जांच की गयी है. उन्होंने अंग्रेजी और बाल विकास और शिक्षा शास्त्र विभागों की उत्तर पुस्तिकों की जांच की और एक रिपोर्ट दी है. जादवपुर विश्वविद्यालय से रिपोर्ट गुरुवार रात प्राप्त हुई थी.
उन सभी की जांच नहीं की गयी है. एसएससी अध्यक्ष के बयान के आधार पर मामले को आगे की जांच के लिए शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. एसएससी उस अवधि के भीतर विशेषज्ञों की रिपोर्ट की जांच करेगा.
गौरतलब है कि वर्ष 2011 में उच्च प्राथमिक टीईटी परीक्षा को लेकर ही दिक्कत हुई थी. ये याचिकाएं उन उम्मीदवारों ने दायर की हैं, जिनका आरोप है कि 2011 की शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में पाठ्यक्रम से बाहर के प्रश्नों के संबंध में पहले दिये गये आदेश के अनुसार उन्हें अंक नहीं दिये गये थे. उच्च न्यायालय ने 17 मार्च को एसएससी अध्यक्ष द्वारा दायर अनुपालन हलफनामा को खारिज करते हुए उन्हें 24 मार्च को पेश होने का निर्देश दिया था. इस निर्देश का पालन करते हुए सिद्धार्थ मजूमदार न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की अदालत में पेश हुए.
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अदालत ने 83 उम्मीदवारों द्वारा दायर अवमानना याचिकाओं पर यह निर्देश जारी किया था. अदालत ने एसएससी अध्यक्ष को अगले शुक्रवार तक यह बताने को कहा कि प्रक्रियात्मक त्रुटियों के सुधार की दिशा में कितनी प्रगति हुई है. न्यायमूर्ति मंथा ने 17 मार्च को सुनवाई के दौरान कहा था कि यह स्पष्ट है कि किसी भी याचिकाकर्ता को पाठ्यक्रम से बाहर के प्रश्नों के लिए अंक नहीं दिये गये हैं. अदालत में 83 उम्मीदवारों द्वारा पांच अवमानना याचिकाएं दायर की गयी हैं.