Chaiti Chhath 2022 Kharna Date Time: कल से नहाय खाय के साथ चैती छठ महापर्व की शुरुआत हो गई है. हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में दो बार छठ का महापर्व मनाया जाता है. कार्तिक मास यानी अक्टूबर-नवंबर में पड़ने वाली छठ का अधिक महत्व है. इसके अलावा दूसरी छठ चैत्र मास में पड़ती है. इस पर्व में भी सूर्य की उपासना करना शुभ माना जाता है.
खरना को लोहंडा भी कहती हैं. छठ पर्व में इस दिन का विशेष महत्व होता है. नहाय-खाय वाले दिन घर को पवित्र कर व्रती अगले दिन की तैयारी करती हैं. जब खरना आता है तो सुबह व्रती स्नान ध्यान करके पूरे दिन का व्रत रखते हैं. इसी दौरान अगले दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद भी बनाया जाता है. शाम को पूजा के लिए गुड़ से बनी खीर बनाई जाती है. इस खीर को कुछ जगहों पर रसिया भी कहते हैं. इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है. हालांकि शहरी इलाकों में मिट्टी के चूल्हे की उपलब्धता न हो पाने की स्थिति में कुछ लोग नए गैस चूल्हे पर भी इसे बनाते हैं. पर चूल्हा नया हो और अशुद्ध न हो इसका खास ध्यान रखा जाता है
खरना की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करने का भी विशेष नियम है. पूजा करने के बाद व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के दौरान घर के सभी लोगों को बिल्कुल शांत रहना होता है. मान्यता है कि शोर होने के बाद व्रती खाना खाना बंद कर देता है. पूजा का प्रसाद व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के बादी ही परिवार के अन्य लोगों में बांटा जाता है और परिवार उसके बाद ही भोजन करता है.
05 अप्रैल 2022, मंगलवार – नहाय-खाय
06 अप्रैल 2022, बुधवार – खरना
07 अप्रैल 2022, गुरुवार – डूबते सूर्य का अर्घ्य
08 अप्रैल 2022, शुक्रवार – उगते सूर्य का अर्घ्य
सूर्यास्त का समय (संध्या अर्घ्य): – 07 अप्रैल, 05:30 शाम
सूर्योदय का समय (उषा अर्घ्य) – 08 अप्रैल, 06:40 सुबह
प्रसाद रखने के लिए बांस की दो तीन बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने तीन सूप, लोटा, थाली, दूध और जल के लिए ग्लास, नए वस्त्र साड़ी-कुर्ता पजामा, चावल, लाल सिंदूर, धूप और बड़ा दीपक, पानी वाला नारियल, गन्ना जिसमें पत्ता लगा हो, सुथनी और शकरकंदी, हल्दी और अदरक का पौधा हरा हो तो अच्छा, नाशपाती और बड़ा वाला मीठा नींबू, जिसे टाब भी कहते हैं, शहद की की डिब्बी, पान और साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम, चन्दन, मिठाई.