चैत नवरात्र के साथ चैत छठ chaiti chhath 2020 की भी उपासना चल रही है. चैती छठ पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखना होता है. पूरी शुद्धता के साथ इस व्रत को करने का विधान है. छठ पूजा के चारों दिन घरों में छठी मैया के गीत गाए जाते हैं. महिलाओं के अलावा पुरुष भी इस व्रत को रख सकते हैं. व्रत करने वाली महिलाओं को परवैतिन कहा जाता है. व्रत के चार दिनों में उपवास के साथ कठिन नियम और सयंम में रहना होता है. व्रती तमाम सुख सुविधा छोड़ सादगी के साथ इस व्रत को पूरा करती हैं. माना जाता है कि छठ का व्रत chhath vrat करने वाली महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है और उनके सकुशल रहने का आशिर्वाद मिलता है. पुरुष भी अपनी मनोकामना पूर्ण होने के लिए छठ व्रत रखते हैं.आज खरना समपन्न होने के बाद कल शाम में भगवान सुर्य को पहली अर्घ्य दी जाएगी और उसके अगले दिन मंगलवार के दिन प्रात: काल के अर्घ्य के साथ छठ व्रत का समापन हो जाएगा.
कोरोना संक्रमण के लॉकडाउन में घरों में ही होगी सुर्यदेव को अर्घ्य देने की व्यवस्था :
इस वर्ष 2020 में वैश्विक संक्रमण कोरोना वायरस से सर्तकता को देखते हुए चैती छठ chaiti chhath 2020 पूजा से जुड़ी तमाम क्रियाकलापों को घर के अंदर रहकर ही किया जाएगा. कोरोना वायरस से फैल रहे संक्रमण को देखते हुए पूरे देश को लॉक डाउन कर दिया गया है.इसलिए कोई अपने घरों से बाहर न निकल घरों में ही पूजा से जुडे सारे विध करेंगे.कल और परसों भगवान भाष्कर को दिया जाने वाला अर्घ्य भी इस बार बाहर किसी नदी या तालाबों के किनारे जाकर नहीं दिया जाएगा. लोग अपने घरों में ही घर के कैम्पस के अंदर या अपने-अपने छतों पर भी सुर्यदेव को अर्घ्य देने की व्यवसथा कर सकते हैं.कल 30 मार्च दिन सोमवार को सूर्यास्त के समय सुर्यदेव को चैती छठ का पहला अर्घ्य अर्पण होगा.
आइये जानते हैं अपने घरों में रहकर सुर्यदेव को अर्घ्य देने की विधि :
*अपने घर के किसी उपलब्ध हिस्से में एक कुंड बना लें.
* आप अपने घर के छतों पर भी एक कुंड तैयार कर सकते हैं.
* तैयार किए कुंड को पर्याप्त जल से भर दें.
* कुंड के जल में थोड़ा सा गंगाजल डाल दें.
* साफ- सफाई का विशेष ध्यान रखें.
* व्रती इस जलकुंड में खडी होकर भगवान भाष्कर का ध्यान करें
* अब शुभ मुहूर्त में विधिवत पूजा- पाठ कर सुर्यदेव को अर्घ्य अर्पण करें.
पहला अर्घ्य : 30 मार्च 2020 सोमवार ( सूर्यास्त के समय )
दूसरा अर्घ्य : 31 मार्च 2020 मंगलवार ( सूर्योदय के समय )