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Chaiti Chhath Puja 2022: उगते सूर्य को अर्घ्‍य देने के साथ ही चैती छठ संपन्‍न

Chaiti Chhath Puja 2022 Arghya Timings: लोक आस्था का महापर्व छठ भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया. आज चौथा और अंतिम दिन था. आज सुबह करीब 05 बजकर 47 मिनट पर सूर्योदय होने के साथ ही अर्घ्यदान का क्रम आरंभ हो गया था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2022 7:39 AM

मुख्य बातें

Chaiti Chhath Puja 2022 Arghya Timings: लोक आस्था का महापर्व छठ भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया. आज चौथा और अंतिम दिन था. आज सुबह करीब 05 बजकर 47 मिनट पर सूर्योदय होने के साथ ही अर्घ्यदान का क्रम आरंभ हो गया था.

लाइव अपडेट

उगते सूर्य को अर्घ्‍य देने के साथ ही चैती छठ संपन्‍न

लोक आस्था का महापर्व छठ भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया. आज चौथा और अंतिम दिन था. आज सुबह करीब 05 बजकर 47 मिनट पर सूर्योदय होने के साथ ही अर्घ्यदान का क्रम आरंभ हो गया था. इसके बाद व्रती व उनके स्वजनों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर खुद के लिए और समाज व देश के हित की कामना की.इससे पहले शुक्रवार की अलसुबह से ही श्रद्धालु पास के छठ घाटों पर पहुंचने लगे थे. इन घाटों पर रोशनी की बेहतर व्यवस्था होने से यहां का दृश्य मनोहारी था.

Chaiti Chhath Puja 2022 Arghya Time: चैती छठ पूजा ये है सुबह अर्घ्य का समय

  • सूर्योदय का समय (उषा अर्घ) : 8 अप्रैल दिन शुक्रवार सुबह 05:47 बजे

Chaiti Chhath Puja 2022: छठ पूजा का है बड़ा महत्व

आस्था का महापर्व साल में दो बार कार्तिक माह एवं चैत्र माह में मनाया जाता है. छठ पूजा मुख्य रूप से भगवान सूर्य की उपासना है. इस माह में सूर्य मीन राशि में होते हैं तथा यह उच्च राशि की ओर अग्रसर होते हैं. यह व्रत करने वाले श्रद्धालु गंगा में, पवित्र नदी में, जलाशय में या घर में गंगा जल मिला कर स्नान करके व्रत का शुभारंभ करते हैं. यह पर्व नहाय खाय से आरंभ होकर चार दिनों तक चलता है. प्रात: कालीन सूर्य को अर्घ देकर इस व्रत का पारण होता है.

Chaiti Chhath Puja 2022 Arghya Time: संध्या अर्घ्य का समय जानें

  • सूर्यास्त का समय (संध्या अर्घ) : 7 अप्रैल दिन गुरुवार शाम 06:12 बजे

  • सूर्योदय का समय (उषा अर्घ) : 8 अप्रैल दिन शुक्रवार सुबह 05:47 बजे

Chaiti Chhath Puja 2022: संध्या अर्घ्य आज

आज चैती छठ पूजा का तीसरा दिन है. आज छठ घाट पर व्रतियां भगवान सूर्य को डूबते समय अघ्य देंगे. चैती छठ लोक आस्था का पर्व है. छठ पूजा बिहार, झारखंड और नेपाल में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. छठ व्रती अर्घ्य देने के लिए घाट पर निकल रहे हैं. छठ पूजा का व्रत नहाय खाय के साथ मंगलवार से शुरुआत हुआ. आज अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद व्रती कल सुबह उदयमान सूर्य को अर्घ्य देंगे. इसके साथ ही यह महापर्व संपन्न होगा.

Chaiti Chhath Puja 2022: छठ पूजा विधि और पूजा सामग्री

पूरे दिन निराहार और निर्जला व्रत रख शाम के समय नदी या तालाब में जाकर स्नान किया जाता है और सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है. अर्घ्य देने के लिए बांस की तीन बड़ी टोकरी या बांस या पीतल के तीन सूप लें. इनमें चावल, दीपक, लाल सिंदूर, गन्ना, हल्दी, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी रखें. इस दौरान थाली और दूध गिलास ले लें. इसके साथ ही फलों में नाशपाती, शहद, पान, बड़ा नींबू, सुपारी, कैराव, कपूर, मिठाई और चंदन जरूर रखें. इसमें ठेकुआ, मालपुआ, खीर, सूजी का हलवा, पूरी, चावल से बने लड्डू भी रखें. सभी सामग्रियां टोकरी में सजा लें. सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में एक दीपक भी जला लें. इसके बाद नदी में उतर कर सूर्य देव को अर्घ्य दें.

Chaiti Chhath Puja 2022 : चैती छठ का महत्व

सनातन धर्म में महिलाएं अपनी संतान के निरोगिता एवं समृद्धि के लिए छठी माता का पूजन करती है. छठ व्रत करने से घर सुख समृद्धि, संतानों की उन्नति आरोग्यता धन-धान्य की वृद्धि होती है. इस बार कृतिका नक्षत्र एवं प्रीति योग में नहाय खाय के साथ चैती छठ का चार दिनों का महापर्व शुरू हो गया है. सात अप्रैल गुरुवार को व्रती पूरे दिन उपवास रह कर सायं काल में भगवान सूर्य को अर्घ्य देंगे.

Chaiti Chhath Puja 2022 Arghya Time: संध्या अर्घ्य का समय जानें

  • सूर्यास्त का समय (संध्या अर्घ) : 7 अप्रैल दिन गुरुवार शाम 06:12 बजे

  • सूर्योदय का समय (उषा अर्घ) : 8 अप्रैल दिन शुक्रवार सुबह 05:47 बजे

शुभ मुहूर्त में भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें

ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा का अत्यंत कठिन निर्जला व्रत रखने के बाद शुभ मुहूर्त में अर्घ्य अर्पित करना चाहिए. बताया जाता है कि शुभ मुहूर्त में अर्घ्य देने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

सुख-समृद्धि के लिए छठ व्रत

जानकारों का मानना है कि श्रद्धा से छठ पूजा का व्रत रखने से इस व्रत का सैकड़ों गुना यज्ञों का फल प्राप्त होता है. कई लोग केवल संतान ही नहीं बल्कि घर-परिवार में सुख-समृद्धि और धन लाने के लिए भी यह व्रत रखते हैं.

Chaiti Chhath Puja 2022: छठ व्रत के नियम

छठ पूजा के चारों दिन व्रती जमीन पर चटाई पर सोएं. व्रती और घर के सभी सदस्य भी छठ पूजा के दौरान प्याज, लहसुन और मांस-मछली ना खाएं.व्रती स्त्रियां छठ पर्व के चारों दिन नए कपड़े पहनें. महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनें. पूजा के लिए बांस से बने सूप और टोकरी का इस्तेमाल करें. छठ पूजा में गुड़ और गेंहू के आटे के ठेकुआ, फलों में केला और गन्ना ध्यान से रखें.

Chaiti Chhath Puja 2022: छठ पूजा में घाट पर जानें का है महत्व

छठ को महापर्व की संज्ञा दी जाती है. कहते हैं कि यह आस्था और श्रद्धा का सबसे खास त्योहार है. इसलिए इसके प्रति लोगों में बहुत अधिक विश्वास है. दुनियाभर में प्रवासी बिहारी अपने-अपने क्षेत्रों के नजदीकी घाटों पर जाकर भावों सहित छठ पूजा का त्योहार मनाते हैं.

chaiti Chhath Puja 2022: संध्या अर्घ्य का समय

डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का समय- 7 अप्रैल को शाम 5 बजकर 30 मिनट में सूर्यास्त होगा

उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय- 8 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 40 मिनट में सूर्योदय

भक्त क्यों रखते हैं छठ का व्रत


बताया जाता है कि छठ व्रत संतान की रक्षा और उनकी जिंदगी में तरक्की और खुशहाली लाने के लिए किया जाता है. विद्वानों का मानना है कि सच्चे मन‌ से छठ व्रत रखने से इस व्रत का सैकड़ों यज्ञ करने से भी ज्यादा बल प्राप्त होता है. कई लोग केवल संतान ही नहीं बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि लाने के लिए भी यह व्रत रखते हैं.

सुख-समृद्धि और छठ व्रत

जानकारों का मानना है कि श्रद्धा से छठ पूजा का व्रत रखने से इस व्रत का सैकड़ों गुना यज्ञों का फल प्राप्त होता है. कई लोग केवल संतान ही नहीं बल्कि घर-परिवार में सुख-समृद्धि और धन लाने के लिए भी यह व्रत रखते हैं.

घाट पर जाने का महत्व

छठ को महापर्व की संज्ञा दी जाती है. कहते हैं कि यह आस्था और श्रद्धा का सबसे खास त्योहार है. इसलिए इसके प्रति लोगों में बहुत अधिक विश्वास है. दुनियाभर में प्रवासी बिहारी अपने-अपने क्षेत्रों के नजदीकी घाटों पर जाकर भावों सहित छठ पूजा का त्योहार मनाते हैं.

व्रत के नियम…

छठ पूजा के चारों दिन व्रती जमीन पर चटाई पर सोएं. व्रती और घर के सभी सदस्य भी छठ पूजा के दौरान प्याज, लहसुन और मांस-मछली ना खाएं.व्रती स्त्रियां छठ पर्व के चारों दिन नए कपड़े पहनें. महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनें. पूजा के लिए बांस से बने सूप और टोकरी का इस्तेमाल करें. छठ पूजा में गुड़ और गेंहू के आटे के ठेकुआ, फलों में केला और गन्ना ध्यान से रखें.

शुभ मुहूर्त में अर्घ्य का महत्व

ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा का अत्यंत कठिन निर्जला व्रत रखने के बाद शुभ मुहूर्त में अर्घ्य अर्पित करना चाहिए. बताया जाता है कि शुभ मुहूर्त में अर्घ्य देने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

सुख-समृद्धि के लिए छठ

जानकारों का मानना है कि श्रद्धा से छठ पूजा का व्रत रखने से इस व्रत का सैकड़ों गुना यज्ञों का फल प्राप्त होता है. कई लोग केवल संतान ही नहीं बल्कि घर-परिवार में सुख-समृद्धि और धन लाने के लिए भी यह व्रत रखते हैं.

महाभारत में मिलता है उल्लेख

महाभारत में भी छठ पूजा का उल्लेख किया गया है. पांडवों की मां कुंती को विवाह से पूर्व सूर्य देव की उपासना कर आशीर्वाद स्वरुप पुत्र की प्राप्ति हुई जिनका नाम था कर्ण. पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी उनके कष्ट दूर करने हेतु छठ पूजा की थी.

सूर्यदेव की बहन हैं छठ देवी

मान्यता है कि छठ देवी सूर्यदेव की बहन है. इसलिए छठ पर्व पर छठ देवी को प्रसन्न करने हेतु सूर्य देव को प्रसन्न किया जाता है. गंगा-यमुना या किसी भी नदी, सरोवर के तट पर सूर्यदेव की आराधना की जाती है.

छठ व्रत सूर्य देव, उषा, प्रकृति, जल और वायु को समर्पित

छठ पूजा का महत्व बहुत अधिक‌ माना जाता है। छठ व्रत सूर्य देव, उषा, प्रकृति, जल और वायु को समर्पित हैं. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास से करने से नि:संतान स्त्रियों को संतान सुख की प्राप्ति होती हैं.

मन्नतों का पर्व है छठ पूजा

छठ पर्व प्रकृति का त्योहार तो है ही साथ ही इसे मन्नतों का भी पर्व कहा जाता है. छठ व्रत रखने वाली महिला को परवैतिन कहा जाता है. इस दौरान वह 36 घंटे का कठोर निर्जल व्रत रखती हैं. जब तक पूजा संपन्न नहीं हो जाता वह कुछ भी नहीं खाती-पीती हैं. छठी माई से कई मन्नतें भी करतीं हैं.

Chaiti Chhath Puja 2022 Arghya Timings

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की छठी तिथि को चैती छठ के नाम से जाना जाता है. यह चार दिवसीय पर्व का आज तीसरा दिन है.

Happy Chaiti Chhath Puja 2022 Wishes: छठ पूजा का पावन पर्व... यहां से भेजें चैती छठ पर्व की शुभकामनाएं

Chaiti Chhath 2022 : सामग्री लिस्ट

प्रसाद रखने के लिए बांस की दो तीन बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने तीन सूप, लोटा, थाली, दूध और जल के लिए ग्लास, नए वस्त्र साड़ी-कुर्ता पजामा, चावल, लाल सिंदूर, धूप और बड़ा दीपक, पानी वाला नारियल, गन्ना जिसमें पत्ता लगा हो, सुथनी और शकरकंदी, हल्दी और अदरक का पौधा हरा हो तो अच्छा, नाशपाती और बड़ा वाला मीठा नींबू, जिसे टाब भी कहते हैं, शहद की की डिब्बी, पान और साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम, चन्दन, मिठाई.

खरना का महत्व

चैती छठ के दूसरे दिन को खरना कहते हैं इसे लोहंडा के नाम से भी जाना जाता है. इस, दिन सुबूह स्नान आदि के बाद सूर्य देव की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. शाम को पूजा के लिए गुड़ की खीर और रोट बनाई जाती है. भोग को रसिया के नाम के जानते हैं. खरना का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी जलाकर बनाया जाता है. साथ ही इसे मिट्ट या पीतल के ही बर्तनों में बनाते हैं. अगर आपके पास चूल्हा नहीं है, तो साफ गैस भी रख सकते हैं. भगवान सूर्य देव को भोग लगाने से पहले प्रसदा को केले के पत्ते पर रखा जाता है.

सप्तमी के दिन छठ का पारण

छठ का चौथा दिन यानी कि सप्तमी के दिन सुबह उगते सूरज को अर्घ्य देकर विधि-विधान से पूजा संपन्‍न की जाती है. इस दिन घाटों पर खास रौनक दिखती है और महिलाएं छठी माता के गीत गाती हैं. सूर्योदय के साथ ही सुबह का अर्घ दिया जाता है और इस तरह छठ पूजा का पारण यानी समापन होता है. इसके बाद ही घाटों पर प्रसाद दिया जाता है.

छठ पर्व का महत्व

कार्तिक माह में आने वाली छठ पर्व का महत्व अधिक होता है. खरना के दिन व्रती रात को पूजा के बाद गुड़ की खीर खाते हैं और 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं. इसका समापन चौथे दिन सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होता है. आइए जानें खरना का महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में.

सूर्य को अर्घ्य देने का समय

डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का समय- 7 अप्रैल को शाम 5 बजकर 30 मिनट में सूर्यास्त होगा

उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय- 8 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 40 मिनट में सूर्योदय

चैती छठ की प्रमुख तिथियां

6 अप्रैल बुधवार- खरना

7 अप्रैल गुरुवार- डूबते सूर्य को अर्घ्य

8 अप्रैल शुक्रवार- उगते सूर्य का अर्घ्य

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