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झारखंड : सरायकेला में चैत्र महोत्सव का समापन, रात्रि जागरण के साथ छऊ नृत्य की बिखरी छटा

सरायकेला में तीन दिवसीय चैत्र महोत्सव का समापन हुआ. इस मौके पर सरायकेला, खरसावां और मानभूम शैली की छऊ नृत्य पेश कर कलाकारों ने लोगों का मन मोहा. इस दौरान रात्रि जागरण का भी आयोजन हुआ.

सरायकेला-खरसावां, प्रताप मिश्रा/शचीन्द्र दाश : सरायकेला के स्थानीय बिरसा मुंडा स्टेडियम में कला, संस्कृति एवं पर्यटन विभाग तथा जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित चैत्र महोत्सव का समापन हो गया. समापन समारोह में रात्रि जागरण के साथ सरायकेला, मानभूम और खरसावां शैली का छऊ नृत्य प्रस्तुत किया गया.कार्यक्रम के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में एसपी आनंद प्रकाश, जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा व विशिष्ठ अतिथि डीडीसी प्रवीण गागराई उपस्थित थे. चैत्र महोत्सव के आंतिम दिन समारोह का उदघाटन मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया.

तीन शैली की छऊ नृत्य ने बनायी विशेष पहचान

मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए जिप अध्यक्ष सोनाराम बोदरा ने कहा कि सरायकेला-खरसावां सांस्कृतिक राजधानी है. यहां तीनों शैली सरायकेला, खरसावां एवं मानभूम छऊ नृत्य देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अलग पहचान बनायी है. कहा कि छऊ हमारी सांस्कृतिक धरोहर है. इसे संजोये रखना हम सबों का दायित्व है. कला का विकास हो और कलाकारों को उचित मंच मिले इसके लिए जिला प्रशासन का जो प्रयास है वह सराहनीय है.

छऊ कलाकारों ने लोगों को मन मोहा

कार्यक्रम को डीडीसी प्रवीण गागराई ने संबोधित करते हुए कहा कि छऊ कला के साथ दूसरे राज्यों के लोक कलाओं के कलाकारों ने नृत्य प्रस्तुत किया. मौके पर जिला परिषद सदस्य लक्ष्मी देवी, जिप सदस्य स्नेहा रानी महतो, आईटीडीए निदेशक संदीप कुमार दोराईबुरु,एसडीओ रामकृष्ण कुमार, बीडीओ सह निर्देशक मृत्युंजय कुमार, एनडीसी अभय दिवेदी , प्रियंका प्रियदर्शनी, निवेदिता राय, शिप्रा सिन्हा,फैजान सरवर,पूर्व निर्देशक गुरु तपन कुमार पटनायक के अलावे कई उपस्थित थे.

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रात्रि जागरण के साथ तीनों शैली की बिखरी छटा

चैत्र महोत्सव के समापन पर रात्रि जागरण के साथ छऊ की तीनों शैली की छटा बिखेरी गई. कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण के साथ हुई. कलाकारों ने सबसे पहले सरायकेला शैली छऊ नृत्य प्रस्तुत किया. इसके बाद मानभूम एवं खरसावां शैली छऊ नृत्य प्रस्तुत किया गया. कार्यक्रम में स्थानीय संस्था के कलाकारों द्वारा भी छऊ प्रस्तुत किया गया.

चड़क पूजा के तहत लाया गया कालिका घट

चैत्र महोत्सव के समापन दिन में कालिका घट लाया गया. कलियुग पर आधारित कालिका घट में पहले स्थानीय खरकई नदी तट पर पूजा अर्चना के बाद घट लाया गया जिसे गुदड़ी बाजार स्थित शिव मंदिर में स्थापित किया गया. शुक्रवार को पाट संक्रांति घट के साथ समापन होगा.

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