19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Chaitra Navratri 2020 : मां के चौथे स्वरूप देवी कूष्माण्डा की पूजा आज ,जानें पूजा विधि और मंत्र…

नवरात्र के चौथे दिन माता के कुष्माण्डा maa kushmanda स्वरूप की उपासना की जाती है. इस दिन साधक का मन 'अनाहत' चक्र में अवस्थित होता है. अतः इस दिन भक्तों को अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से माता के कूष्माण्डा के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना करनी चाहिए.

नवरात्र के चौथे दिन माता के कुष्माण्डा maa kushmanda स्वरूप की उपासना की जाती है. इस दिन साधक का मन ‘अनाहत’ चक्र में अवस्थित होता है. अतः इस दिन भक्तों को अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से माता के कूष्माण्डा के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना करनी चाहिए.

पौराणिक कथा के अनुसार, जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब माता कूष्माण्डा देवी ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी.अतः यही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं. इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है. वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है. इनके ही तेज और प्रकाश से दसों दिशाएँ प्रकाशित हो रही हैं. ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इनकी ही छाया है. माँ की आठ भुजाएँ हैं.अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी जानी जाती हैं. इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण,कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है और आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है. इनका वाहन सिंह है.अपनी मंद, हल्की हँसी द्वारा अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा देवी के रूप में पूजा जाता है. संस्कृत भाषा में कूष्माण्डा को कुम्हड़ कहा जाता है. बलियों में “कुम्हड़े की बलि ” इन्हें सर्वाधिक प्रिय है. इस कारण से भी माँ कूष्माण्डा कहलाती है.

इस श्लोक का करें जाप:-

सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥

ऐसे करें माता की पूजा…

* स्नान कर माता की पूजा शुरु करें

*पूजास्थल पर मां कूष्माण्डा की मूर्ति स्थापित करें

*माता की मूर्ति को जल से स्नान करायें

*वस्त्रादि पहनाकर मां को भोग लगाएं

*पुष्प व माला माता को अर्पण करें.

*पूजा में मां को लाल रंग का पुष्‍प जरूर अर्पण करे.

*गंगाजल छिड़कर घर के हर कोने को पवित्र करें

*मंत्रोच्चार करते हुए व्रत का संकल्प पढ़ें

*माता की कथा कर मां को प्रसन्न करें.

नवरात्र के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की आराधना की जाती है. इनकी उपासना से सिद्धियों को प्राप्त कर समस्त रोग दूर होते हैं और आयु व यश में वृद्धि होती है. माँ जगदम्बे की कृपा पाने के लिए नवरात्रि में चतुर्थ दिन इसका जाप करना चाहिए.

इस मंत्र के जाप से मां प्रसन्न होती हैं.

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और कूष्माण्डा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको बारंबार प्रणाम करता / करती हूँ. हे माँ, मुझे सभी तरह के पापों से हमें मुक्ति प्रदान करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें