Chaitra Navratri 2021, Ma Brahmacharini Puja Benefits, Swaroop, Origin, History: मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को अपना पति बनाने के लिए कई हजार वर्षों तक कठिन तपस्या की. जिसके कारण ये देवी ब्रह्मचारिणी के रूप में प्राख्यात हुई. आपको बता दें कि इनकी सवारी कोई नहीं है ये नंगे पांव चलती हैं. इनके एक हाथ में कमण्डल तो दूसरे में जपने वाली माला होती है. आइये विस्तार से जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप और प्रकट होनी की कथा के बारे में….
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कुष्मांडा रूप के बाद देवी मां पार्वती ने दक्ष प्रजापति के घर मां ब्रह्मचारिणी के रूप में जन्म लिया. देवी पार्वती महान सती के रूप में जानी गयी थी. उनके अविवाहित रूप को ही मां ब्रह्मचारिणी स्वरूप कहा जाता है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को अपना पति परमेश्वर बनाने के लिए कड़ी तपस्या की थी. ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए अपनी तपस्या के दौरान उन्होंने फूलों पर 1000 साल तक फलाहार रहकर तपस्या की व फर्श पर सोते हुए हरी सब्जियों के आहार पर 100 साल बिता दिए. उनके इसी ब्रह्मचार्य रूप के कारण माता ब्रह्मचारिणी कहा गया.
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चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने की परंपरा है.
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क्या है ब्रह्मचारिणी पूजा का महत्व
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिसके कुंडली में मंगल खराब होता है उन्हें जरूर देवी ब्रह्मचारिणी की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए.
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देवी ब्रह्मचारिणी के पैर में कोई चप्पल नहीं होते
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उनके दो हाथ होते है
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दाहिने हाथ में जपने वाली माला और
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बाएं हाथ में मां ब्रह्मचारिणी कमंडल धारण करती हैं.
Posted By: Sumit Kumar Verma