Chaitra Navratri 2022 Puja Vidhi: आज से चैत्र नवरात्रि शुरू,जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Chaitra Navratri 2022 Puja Vidhi LIVE: चैत्र नवरात्रि आज यानी 2 अप्रैल 2022 से शुरू होने जा रही हैं, जो 11 अप्रैल तक चलेंगी. इस साल की नवरात्रि पूरे 9 दिन की हैं. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान हैं, यहां जानें विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, शुभ रंग, भोग व सामग्री लिस्ट

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 2, 2022 3:53 PM

घर में कलह करने से बचें

नवरात्रि के समय घर में जहां पूजा पाठ का माहौल होता है, वहीं लोग व्रत भी रहते है. ऐसे में गलती से भी ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे घर में कलह की स्थिति उत्पन हो. जिससे व्रत रखने और पूजा पाठ करने वालों के मन को दुख न पहुंचे.

ब्रह्मचर्य का पालन करें

नवरात्रि के 9 दिन साधना कर अपनी आध्यात्मिक शक्ति जगाने के लिए होते हैं. इन 9 दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन सिर्फ तन से ही नहीं बल्कि मन से भी करना चाहिए. किसी भी तरह का कामुक विचार मन में न लाएं और महिलाओं से दूरी बनाकर रहें. नवरात्रि में भूलकर भी किसी महिला का अपमान न करें.

चैत्र नवरात्रि तिथि

02 अप्रैल- प्रतिपदा- मां शैलपुत्री पूजा और घटस्थापना

03 अप्रैल- द्वितीया- मां ब्रह्मचारिणी पूजा

04 अप्रैल- तृतीया- मां चंद्रघंटा पूजा

05 अप्रैल- चतुर्थी- मांकुष्मांडा पूजा

06 अप्रैल- पंचमी- मां स्कंदमाता पूजा

07 अप्रैल- षष्ठी- मां कात्यायनी पूजा

08 अप्रैल- सप्तमी- मां कालरात्रि पूजा

09 अप्रैल- अष्टमी- मां महागौरी

10 अप्रैल- नवमी- मां सिद्धिदात्री, रामनवमी

नवरात्रि का महत्व

चैत्र नवरात्रि उत्सव देवी अंबा (विद्युत) का प्रतिनिधित्व है. वसंत की शुरुआत और शरद ऋतु की शुरुआत को जलवायु और सूरज के प्रभावों के हिसाब से महत्वपूर्ण माना जाता है. और इसे मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माना जाता है. त्योहार की तिथियाँ चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती हैं .नवरात्रि पर्व, माँ-दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति (उदात्त, परम, परम रचनात्मक ऊर्जा) की पूजा का सबसे शुभ और अनोखा अवधि माना जाता है. यह पूजा वैदिक युग से पहले, प्रागैतिहासिक काल से होती आ रही है

शैलपुत्री पूजा मंत्र जानें

”ओम देवी शैलपुत्रायै नमः” का जाप करें.

घटस्थापना मुहूर्त

नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होगी. वहीं, घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:10 से 8:29 मिनट और 11:48 से 12:18 तक रहेगा.

गलती से भी घर में न होने दे कलह

नवरात्रि के समय घर में जहां पूजा पाठ का माहौल होता है, वहीं लोग व्रत भी रहते है. ऐसे में गलती से भी ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे घर में कलह की स्थिति उत्पन हो. जिससे व्रत रखने और पूजा पाठ करने वालों के मन को दुख न पहुंचे.

लहसुन प्याज का सेवन न करें

नवरात्रि के पावन दिनों में आचार, विचार के साथ ही आहार भी शुद्ध और सात्विकता रखे. नौ दिन यदि व्रत नहीं है तो भी कोशिश करे की लहसुन प्याज इत्यादि का सेवन न करें.

दुर्गा के इन रूपों की होगी पूजा

02 अप्रैल- प्रतिपदा- मां शैलपुत्री पूजा और घटस्थापना

03 अप्रैल- द्वितीया- मां ब्रह्मचारिणी पूजा

04 अप्रैल- तृतीया- मां चंद्रघंटा पूजा

05 अप्रैल- चतुर्थी- मांकुष्मांडा पूजा

06 अप्रैल- पंचमी- मां स्कंदमाता पूजा

07 अप्रैल- षष्ठी- मां कात्यायनी पूजा

08 अप्रैल- सप्तमी- मां कालरात्रि पूजा

09 अप्रैल- अष्टमी- मां महागौरी

10 अप्रैल- नवमी- मां सिद्धिदात्री, रामनवमी

देवी मां शैलपुत्री पूजा मंत्र

”ओम देवी शैलपुत्रायै नमः” का जाप करें.

इस मंत्र का जप करें

शैलपुत्री नवजात शिशु की स्थिति को संबोधित करती है, जो निर्दोष और शुद्ध है. देवी शैलपुत्री मूल रूप से महादेव की पत्नी पार्वती हैं. देवी पार्वती अपने पिछले जन्म में दक्ष प्रजापति की पुत्री सती थीं और उस जन्म में भी वह महादेव की पत्नी थीं. सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में महादेव का अपमान सहन करने में असमर्थ होकर योग अग्नि में खुद को भस्म कर दिया. इसके बाद उन्होंने हिम राजा हिमवान के घर में पार्वती के रूप में अवतार लिया. पर्वतराज हिमालय के घर कन्या के रूप में जन्म लेने के कारण उनका नाम शैलपुत्री पड़ा.

इस तरह करें घटस्थापना

सबसे पहले मिट्टी को चौड़े मुंह वाले बर्तन में रखें और उसमें सप्तधान्य बोएं. अब उसके ऊपर कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग (गर्दन) में कलावा बांधें. आम या अशोक के पत्तों को कलश के ऊपर रखें. नारियल में कलावा लपेटें. उसके बाद नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पत्तों के मध्य रखें. घटस्थापना पूरी होने के बाद मां दुर्गा का आह्वान करें.

शैलपुत्री की पूजा करते हैं

चैत्र नवरात्रि 2022 कलश स्थापना मुहूर्त

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 01 अप्रैल, शुक्रवार, समय 11:53 एएम पर

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि समापन: 02 अप्रैल, शनिवार, समय 11:58 एएम पर

कलश स्थापना का शुभ समय

02 अप्रैल, सुबह 06:10 बजे से सुबह 08:31 बजे तक

दोपहर 12 बजे से 12:50 बजे तक

घर खाली न छोड़ें

यदि आपने अपने घर में नवरात्रि में कलश स्थापना कर अंखड ज्योति जलाई है तो घर को सूना न छोड़ें. घर में कोई न कोई सदस्य अवश्य रहना चाहिए. नवरात्रि के दौरान घर के सूना छोड़ना अशुभ माना जाता है. इसलिए ऐसा करने से बचना चाहिए.

ब्रह्मचर्य का पालन करें

नवरात्रि के 9 दिन साधना कर अपनी आध्यात्मिक शक्ति जगाने के लिए होते हैं. इन 9 दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन सिर्फ तन से ही नहीं बल्कि मन से भी करना चाहिए. किसी भी तरह का कामुक विचार मन में न लाएं और महिलाओं से दूरी बनाकर रहें. नवरात्रि में भूलकर भी किसी महिला का अपमान न करें.

नवरात्रि पर शुभ योग

इस बार तिथियों के क्षय न होने के कारण नवरात्रि का त्योहार पूरे 9 दिनों का है. ऐसे में देवी दुर्गा के भक्तों को पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा का साधना और आराधना का मौका मिलेगा. इस बार चैत्र नवरात्रि पर बहुत ही शुभ योग में मनाया जा रहा है. चैत्र नवरात्रि की शुरुआत रेवती नक्षत्र में होना बहुत ही शुभ माना गया है. इसके अलावा पूरे 9 दिनों तक कई तरह के शुभ योग बनेंगे. जिसमे मुख्य शुभ योग इस प्रकार है- सर्वार्थसिद्धि, पुष्य नक्षत्र, बुधादित्य, शोभन और रवि योग. नवरात्रि पर शुभ कार्य और खरीदारी करने का विशेष महत्व होता है.

नवरात्रि कलश स्थापना के लिए आज सिर्फ दो मुहूर्त

शक्ति की आराधना और उपासना का पर्व नवरात्रि आज से आरंभ हो चुका है. तिथियों में किसी भी प्रकार का कोई क्षय न होने के कारण इस बार नवरात्रि पूरे 9 दिनों तक है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है. जिसमें शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए कलश स्थापना करके देवी दुर्गा की विधिवत पूजा आराधना शुरू हो जाती है. आज सभी को कलश स्थापना के लिए दो मुहूर्त ही मिलेंगे.

पहला मुहूर्त – सुबह 06 बजकर 03 मिनट से 08 बजकर 31 मिनट तक

दूसरा मुहूर्त- अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 37 मिनट तक

आज से नया संवत्सर 2079 भी शुरू

हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिति से नया विक्रम संवत आरंभ हो जाता है. आज से ही हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2079 का पहला दिन है. इस बार नव संवत्सर शुरू होने पर सभी 9 ग्रहों का राशि परिवर्तन होगा जो सैकड़ों साल बाद दुर्लभ संयोग है. इसके अलावा इस बार नए संवस्सर का नाम नल है और राजा शनिदेव औ मंत्री गुरु हैं.

नवरात्रि का महत्व

चैत्र नवरात्रि उत्सव देवी अंबा (विद्युत) का प्रतिनिधित्व है. वसंत की शुरुआत और शरद ऋतु की शुरुआत को जलवायु और सूरज के प्रभावों के हिसाब से महत्वपूर्ण माना जाता है. और इसे मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माना जाता है. त्योहार की तिथियाँ चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती हैं .नवरात्रि पर्व, माँ-दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति (उदात्त, परम, परम रचनात्मक ऊर्जा) की पूजा का सबसे शुभ और अनोखा अवधि माना जाता है. यह पूजा वैदिक युग से पहले, प्रागैतिहासिक काल से होती आ रही है

देवी दुर्गा का आह्वान करें

अब देवी दुर्गा का आह्वान करें और उनसे अनुरोध करें कि वे आपकी प्रार्थनाओं को स्वीकार करें और नौ दिनों तक कलश में निवास करके आपको आशीर्वाद दें.

आचमन के लिए जल लें

आचमन के लिए जल लें. श्री दुर्गा देवी वस्त्रम समर्पयामि – वस्त्र, उपवस्त्र चढ़ाएं।श्री दुर्गा देवी सौभाग्य सूत्रम् समर्पयामि-सौभाग्य-सूत्र चढाएं.

श्री दुर्गा-देव्यै पुष्पमालाम समर्पयामि-फूल, फूलमाला, बिल्व पत्र, दुर्वा चढ़ाएं.

श्री दुर्गा-देव्यै नैवेद्यम निवेदयामि-इसके बाद हाथ धोकर भगवती को भोग लगाएं.

श्री दुर्गा देव्यै फलम समर्पयामि- फल चढ़ाएं.

तांबुल (सुपारी, लौंग, इलायची) चढ़ाएं- श्री दुर्गा-देव्यै ताम्बूलं समर्पयामि। मां दुर्गा देवी की आरती करें.

Chaitra Navratri Ghatasthapana Samagri: घटस्थापना संपूर्ण सामग्री

सप्त धान्य बोने के लिए चौड़ा और खुला मिट्टी का घड़ा.

सप्त धान्य बोने के लिए स्वच्छ मिट्टी.

सप्त धान्य या सात अलग-अलग अनाज के बीज.

छोटी मिट्टी या पीतल का घड़ा.

कलश में भरने के लिए गंगा जल या पवित्र जल.

पवित्र धागा/मोली/कलया.

खुशबू (इत्र).

सुपारी.

कलश में डालने के लिए सिक्के.

अशोक या आम के पेड़ के 5 पत्ते.

कलश को ढकने के लिए एक ढक्कन.

ढक्कन में डालने के लिए अक्षत.

बिना छिले नारियल.

नारियल ताने के लिए लाल कपड़ा.

गेंदा फूल और माला.

दूर्वा घास.

कलश की तैयारी.

चैत्र नवरात्रि पर बन रहे ये शुभ योग

चैत्र नवरात्रि पर रवि पुष्य नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि व रवि योग का शुभ योग बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग का संबंध मां लक्ष्मी से होता है. माना जाता है कि इस योग में किए गए कार्य का आरंभ में सफलता हासिल होती है.

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होगी. वहीं, घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:10 से 8:29 मिनट और 11:48 से 12:18 तक रहेगा.

इस तरह करें घटस्थापना

सबसे पहले मिट्टी को चौड़े मुंह वाले बर्तन में रखें और उसमें सप्तधान्य बोएं. अब उसके ऊपर कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग (गर्दन) में कलावा बांधें. आम या अशोक के पत्तों को कलश के ऊपर रखें. नारियल में कलावा लपेटें. उसके बाद नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पत्तों के मध्य रखें. घटस्थापना पूरी होने के बाद मां दुर्गा का आह्वान करें.

मां शैलपुत्री का स्वरूप

मां शैलपुत्री का श्रवरुप अद्भुत है. मां शैलपुत्री बैल की सवारी करती हैं, इस वजह से उन्हें वृषारुढ़ा कहते हैं. अपने बाएं हाथ में कमल और दाएं हाथ में त्रिशूल धारण करती हैं. नवदुर्गा में यह प्रथम दुर्गा हैं.मां शैलपुत्री की कृपा से निडरता प्राप्त होती है, भय दूर होता है. वे उत्साह, शांति, धन, विद्या, यश, कीर्ति और मोक्ष प्रदान करने वाली देवी हैं.

चैत्र नवरात्रि पर माता का आगमन घोड़े पर

इस नवरात्रि में माता का आगमन घरों में घोड़े पर हो रहा है. जब भी नवरात्रि में माता का आगमन घोड़े पर होता है तो समाज में अस्थिरता, तनाव, अचानक बड़ी दुर्घटना, भूकंप चक्रवात आदि से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. आम जनमानस के सुखों में कमी की अनुभूति होती है. इसलिए इस नवरात्रि में माता का पूजन अर्चन क्षमा प्रार्थना के साथ किया जाना नितांत आवश्यक है प्रत्येक दिन विधिवत पूजा के उपरांत क्षमा प्रार्थना किया जाना भी अति आवश्यक होगा लाभदायक होगा.

नवरात्रि में कैसे करें मां दुर्गा की पूजा

नवरात्रि में नौ दिनों तक मां की आराधना की जाती है. पूजा के समय सबसे पहले आसन पर बैठकर जल से तीन बार शुद्ध जल से आचमन करे- ॐ केशवाय नम:, ॐ माधवाय नम:, ॐ नारायणाय नम: फिर हाथ में जल लेकर हाथ धो लें. हाथ में चावल एवं फूल लेकर अंजुरि बांध कर दुर्गा देवी का ध्यान करें. फिर इस मंत्र का जाप करें…

आगच्छ त्वं महादेवि। स्थाने चात्र स्थिरा भव।

यावत पूजां करिष्यामि तावत त्वं सन्निधौ भव।।

Chaitra Navratri 2022 Tihi: प्रथम दिन से लेकर अष्टमी तक पूरी लिस्ट देखें

नवरात्रि का दिन 1- 2 अप्रैल- घटस्थापना, शैलपुत्री पूजा

नवरात्रि का दिन 2- 3 अप्रैल- ब्रह्मचारिणी पूजा

नवरात्रि का दिन 3- 4 अप्रैल- चन्द्रघन्टा पूजा

नवरात्रि का दिन 4- 5 अप्रैल- कुष्माण्डा पूजा

नवरात्रि का दिन 5- 6 अप्रैल- स्कन्दमाता पूजा

नवरात्रि का दिन 6- 7 अप्रैल- कात्यायनी पूजा

नवरात्रि का दिन 7- 8 अप्रैल- कालरात्रि पूजा

नवरात्रि का दिन 8- 9 अप्रैल- दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा

नवरात्रि का दिन 9- 10 अप्रैल- महानवमी, सिद्धिदात्री पूजा

नवरात्रि का दिन 10- 11 अप्रैल- नवरात्रि व्रत पारण

Chaitra Navratri Puja Samagri: चैत्र नवरात्रि पूजा की सामग्री

लाल कपड़ा, चौकी, कलश, कुमकुम, लाल झंडा, पान-सुपारी, कपूर, जौ, नारियल, जयफल, लौंग, बताशे, आम के पत्ते, कलावा, केले, घी, धूप, दीपक, अगरबत्ती, माचिस, मिश्री, ज्योत, मिट्टी, मिट्टी का बर्तन, एक छोटी चुनरी, एक बड़ी चुनरी, माता का श्रृंगार का सामान, देवी की प्रतिमा या फोटो, फूलों का हार, उपला, सूखे मेवे, मिठाई, लाल फूल, गंगाजल और दुर्गा सप्तशती या दुर्गा स्तुति आदि.

कल से चैत्र नवरात्रि शुरु

चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व की 02 अप्रैल, शनिवार से शुरुआत हो रही है. नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा- अर्चना की जाती है. नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा का विधान है. भक्त नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपवास भी रखते हैं. मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा की विधिवत पूजा करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.

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