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Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि के पहले दिन करें माता शैलपुत्री की पूजा,जानें पूजा विधि, आरती,मंत्र

Chaitra Navratri 2022: 2 अप्रैल से नवरात्रि शुरू हो रही है. नवरात्रि के पहले मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां दुर्गा का प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 2, 2022 10:32 AM
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Chaitra Navratri 2022 1st Day: माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. कहा जाता है कि पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या थीं. तब इनका नाम सती था. नवरात्रि के पहले दिन मां की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जानी चाहिए. जानें माता शैलपुत्री की पूजा विधि, मंत्र और आरती.

Chaitra Navratri Maa Shailputri Puja Vidhi: माता शैलपुत्री पूजा विधि

नवरात्रि प्रतिपदा के दिन कलश या घट स्थापना करें. फिर दुर्गा पूजा का संकल्प लें. इसके बाद माता दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा करें. देवी मां की उपासना करते समय अपना मुंह घर की पूर्व या उत्तर दिशा की ओर करके रखना चाहिए. मां को अक्षत्, सिंदूर, धूप, गंध, पुष्प आदि अर्पित करें. मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करें. फिर इसके बाद कपूर या गाय के घी से दीपक जलाएं. शंखनाद के साथ घंटी बजाएं. मां की आरती करें. मां को प्रसाद अर्पित करें. पूजा समाप्त होने के बाद घर में सभी को प्रसाद दें.

Chaitra Navratri Maa Shailputri Puja Mantra: माता शैलपुत्री पूजा मंत्र

1. शिवरूपा वृष वहिनी हिमकन्या शुभंगिनी,

पद्म त्रिशूल हस्त धारिणी,

रत्नयुक्त कल्याण कारीनी..

2. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:

बीज मंत्र: ह्रीं शिवायै नम:.

3. वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌ .

वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥

4. प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्.

धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥

त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्.

सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥

चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन.

मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

Chaitra Navratri Maa Shailputri Ki Aarti: माता शैलपुत्री जी की आरती

शैलपुत्री मां बैल पर सवार। करें देवता जय जयकार।

शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।

पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।

ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।

सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।

उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।

घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।

श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।

जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।

मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

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कलश स्थापना मुहूर्त

02 अप्रैल को प्रात: 06:10 बजे से प्रात: 08:31 बजे तक
दोपहर में 12:00 बजे से 12:50 बजे तक

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