Chaitra Navratri 2023, Maa Chandraghanta Puja: चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन आज ऐसे करें मां चंद्रघंटा की उपासना

Chaitra Navratri 2023, Maa Chandraghanta Puja: मां चंद्रघंटा की कृपा से ऐश्वर्य और समृद्धि के साथ सुखी दाम्पत्य जीवन की प्राप्ति होती है. साथ ही विवाह में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं. आज 24 मार्च को चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन है.

By Shaurya Punj | March 24, 2023 6:35 AM

Chaitra Navratri 2023, Maa Chandraghanta Puja: चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन आज 24 मार्च 2023 को मां चंद्रघंटा की पूजा की जा रही है. दुर्गा के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की अराधना की जाती है. ये एक बाघ की सवारी करती हैं. इनके माथे पर अर्धचंद्र है. जानें नवरात्रि के तीसरे दिन का शुभ मुहूर्त, रंग, भोग व अन्य खास बातें…

मां चंद्रघंटा की उपासना से दूर होती है ये समस्याएं

मां चंद्रघंटा की कृपा से ऐश्वर्य और समृद्धि के साथ सुखी दाम्पत्य जीवन की प्राप्ति होती है. साथ ही विवाह में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं.

देवी का नाम चंद्रघंटा कैसे पड़ा

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मां चंद्रघंटा देवी पार्वती का विवाहित रूप है. कहा जाता है कि महागौरी ने भगवान शिव से शादी के पश्चात आधे चांद से अपने माथे का श्रृंगार करना शुरू कर दिया था. जिसके कारण उन्हें देवी चंद्रघंटा के रूप में जाना जाने लगा. नवरात्रि में इनकी पूजा तीसरे दिन की जाती है. मां चंद्रघंटा का स्वरूप अद्भुत है.

मां चंद्रघंटा के इस स्वरूप का मतलब

धार्मिक विशेषज्ञों की मानें तो मां चंद्रघंटा का स्वरूप यूं तो शांत स्वभाव का होता है. वे भक्तों के कल्याण में विश्वास रखती हैं. लेकिन, उनकी दशों भुजाएं और सभी हथियार युद्ध के लिए या अधर्म के नाश के लिए भी तैयार रहती हैं. मान्यता है कि उनके माथे पर विराजमान चंद्रमा और घंटी की आवाज जब होती है तो सभी प्रकार की आत्माओं या नाकारात्मक शक्तियां दूर हो जती है.

माता के लिए भोग

मां चंद्रघंटा को दूध से बनी चीजों का भोग लगाना होता है. मां को केसर की खीर और दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाया जाता है. पंचामृत, चीनी व मिश्री भी मां को अर्पित करनी होती है. मां के इस रूप की आराधना सुख और स्मृधी का प्रतीक है.

मां चंद्रघंटा का भोग

मां चंद्रघंटा को चावल की खीर देसी घी मिलाके भोग लगाया जाये  तो सारे दुखों से मुक्ति मिलती है.

मां चंद्रघंटा का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

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