Chaitra Purnima 2021 Date: आज है चैत्र पूर्णिमा व्रत, जानें इस दिन भगवान विष्णु व हनुमान जी के पूजा का महत्व व पूजन विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में
Chaitra Purnima 2021 Date, Kab Hai, Hanuman Ji, Vishnu Puja Vidhi, Vrat Vidhi: इस बार 27 अप्रैल 2021 को चैत्र पूर्णिमा व्रत पड़ रहा है. जिसे चैत पूनम या मधु पूर्णम के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व होता है. मान्यताओं के अनुसार इसी दिन राम भक्त हनुमान का जन्म हुआ था. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधिपूर्वक करने से विशेष लाभ होता है. आइये जानते हैं चैत्र पूर्णिमा व्रत के महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि के बारे में विस्तार से...
Chaitra Purnima 2021 Date, Kab Hai, Hanuman Ji, Vishnu Puja Vidhi, Vrat Vidhi: इस बार 27 अप्रैल 2021 को चैत्र पूर्णिमा व्रत पड़ रहा है. जिसे चैत पूनम या मधु पूर्णम के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व होता है. मान्यताओं के अनुसार इसी दिन राम भक्त हनुमान का जन्म हुआ था. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधिपूर्वक करने से विशेष लाभ होता है. आइये जानते हैं चैत्र पूर्णिमा व्रत के महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि के बारे में विस्तार से…
चैत्र पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
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पूर्णिमा तिथि आरम्भ: 26 अप्रैल 2021, सोमवार, दोपहर 12 बजकर 44 मिनट से
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पूर्णिमा तिथि समाप्त: 27 अप्रैल, 2021, मंगलवार, सुबह 09 बजकर 01 मिनट तक
चैत्र पूर्णिमा व्रत का महत्व
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ऐसी मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है.
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साथ ही साथ गरीब-निर्धनों को दान पुण्य करने से स्वर्ग की प्राप्ती होती है व सुख-सुविधाएं प्राप्त होती है.
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चैत्र पूर्णिमा नव संवत्सर की पहली पूर्णिमा मानी जाती है. जिस दिन हनुमान जयंती मनाने की भी परंपरा होती है. कहा जाता है कि इसी दिन मां अंजनी के कोख से हनुमान जी का जन्म हुआ था. ऐसे में इनकी पूजा करने से बल-साहस मिलता है.
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इसी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने का भी विशेष महत्व होता है. ऐसे में यदि जातक घर में सत्यनारायण स्वामी की विधिपूर्वक पूजा कराएं तो जातक को विशेष फल मिलता है और सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिलता है.
कैसे रखें चैत्र पूर्णिमा व्रत
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सबसे पहले सुबह उठकर स्नानादि करें.
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फिर व्रत का संकल्प लें.
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उसके बाद पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें.
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स्नान के समय सूर्य देव की आराधना करें व उनका मंत्र जाप करते हुए अर्घ्य दें.
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उसके बाद मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए और उन्हें नैवेद्य अर्पित करना चाहिए.
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फिर गरीब निर्धनों या जरूरतमंदों को दान दक्षिणा देना चाहिए.
Posted By: Sumit Kumar Verma