चक्रधरपुर : माता-पिता को नया घर देने का सपना रह गया अधूरा, शहीद रामदेव का शव पहुंचा पैतृक गांव

शहीद रामदेव का अंतिम संस्कार कोयल नदी के किनारे राजकीय सम्मान के साथ किया गया. इस मौके पर पुलिस के जवानों और लोगों ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी.

By Prabhat Khabar News Desk | December 10, 2023 3:24 AM

मनोहरपुर, राधेश सिंह राज : जमशेदपुर में ड्यूटी के दौरान अपराधियों की गोली से शहीद हुए जवान तरतरा निवासी रामदेव महतो का पार्थिव शरीर शनिवार दोपहर 3.08 बजे डोंगाकाटा बाजार पहुंचा. यहां शहीद की गाड़ी को दोबारा फूलों से सजाया गया. फूलों से सजाकर वाहन को गांव की ओर रवाना किया गया. यहां से शहर के प्रबुद्ध लोग, जनप्रतिनिधि और कुड़मी समाज के लोगों ने शहीद की अंतिम यात्रा निकाली. मनोहरपुर पहुंचने पर पूरा शहर रामदेव महतो अमर रहे के नारे से गूंज उठा. मंत्री जोबा माझी, पूर्व विधायक गुरुचरण नायक, कुड़मी नेता अमित महतो, पंसस उषा देवी, सलन डांग आदि भी शामिल हुए. सभी लोगों ने शव पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. शहीद रामदेव का पार्थिव शरीर शाम 4.45 बजे पैतृक गांव तरतरा पहुंचा. यहां पहले से बेहाल परिजन और ग्रामीण दहाड़ मारकर रोने लगे. रामदेव महतो अपने माता-पिता का एकलौता संतान था.

कोयल नदी किनारे किया गया अंतिम संस्कार

शहीद रामदेव का अंतिम संस्कार कोयल नदी के किनारे राजकीय सम्मान के साथ किया गया. इस मौके पर पुलिस के जवानों और लोगों ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी. इस मौके पर डीएसपी अजीत कुजूर, पुलिस निरीक्षक फागु हाेरो, थाना प्रभारी अमित कुमार,आनंदपुर थाना प्रभारी विकास दुबे, जराइकेला थाना प्रभारी आशीष भारद्वाज, एएसआइ मुकेश कुमार, बीडीओ शक्ति कुंज, जिप सदस्य जयप्रकाश महतो, आजसू नेता संतोष महतो, उप प्रमुख दीपक एक्का, मुखिया अशोक बांदा, सुशीला संवैया, पंसस उषा देवी समेत काफी संख्या में लोग मौजूद थे.

शुक्रवार दोपहर 11 बजे रामदेव ने घर में किया था अंतिम कॉल

वीर शहीद रामदेव महतो की शहादत की खबर मिलते ही उसके पैतृक गांव तरतरा में मातम का माहौल था. उसके माता-पिता का रो रोकर बुरा हाल था. रामदेव की मां जात्री देवी रो- रोकर सिर्फ अपने बेटे का नाम ले रही थी. कह रही थी कि अब हमलोगों को कौन देखेगा. बुढ़ापे की लाठी छीन गयी. अब किसके सहारे जिंदा रहेगी. पिता निपेंद्र चंद्र महतो का भी हाल बुरा था. पिता ने कहा कि उसके चार साल के पोते और बहू को देखने वाला कोई नहीं रहा.

Also Read: चक्रधरपुर : शादी का दबाव देने पर की थी प्रेमिका की हत्या, पकड़ा गया

पिता से कहा था : कुछ दिन बाद छुट्टी लेकर घर आऊंगा

पिता निपेन महतो ने बताया उन्हें घटना की जानकारी शुक्रवार देर रात में मिली. शुक्रवार की सुबह 11 बजे रामदेव से उनकी अंतिम बात हुई थी. वह ड्यूटी पर था. पिता ने बताया कि उसने हाल-चाल लेते हुए कहा था कि छुट्टी में घर आयेगा. 13 दिसंबर से शुरू होने वाली ट्रेनिंग की बात भी उसने बतायी थी. इसके बाद मध्य रात्रि में उसकी मौत की खबर मिली. पिता ने कहा कि बेटा तो शहीद हो गया. इसका फक्र है, पर परिवार को देखने वाला अब कोई नहीं रहा.

मंत्री जोबा मांझी ने परिवार को ढांढ़स बंधाया

मंत्री जोबा मांझी शनिवार दोपहर में शहीद रामदेव महतो के घर पहुंची. यहां रामदेव की माता जात्री देवी से मुलाकात कर ढांढस बंधाया. उन्होंने कहा कि इस दुख की घड़ी में परिजनों के साथ हूं. कहा कि यह एक गर्व का भी क्षण है. इतिहास के पन्नों में रामदेव का नाम दर्ज हो गया. उसकी वीरता को सलाम करती हूं. रामदेव व उसके परिजनों को सरकार द्वारा सारी सुविधाएं दी जाये. इसके लिए आगे बात किया जायेगा. सरकारी नियमों के अनुसार आश्रित को सारी सुविधा दी जायेगी.

साथियों में सबसे पहले रामदेव की लगी थी नौकरी

रामदेव महतो ने मैट्रिक और इंटर क्रमश: ईश्वर पाठक उच्च विद्यालय मनोहरपुर और आरटीसी इंटर कॉलेज से किया. पढ़ाई के दौरान नंदपुर निवासी राजू महतो से रामदेव की दोस्ती हुई, जो अंतिम समय तक साथ रही. राजू ने बताया कि हमदोनों अधिकतर समय साथ बीताते थे. प्लस टू में पढ़ाई के दौरान 2009 में रामदेव की झारखंड पुलिस में नौकरी लग गयी. सहपाठियों में वह पहला युवा था जिसकी सरकारी नौकरी लगी थी. राजू ने बताया कि नौकरी लगने के बाद रामदेव के गांव आने या जमशेदपुर जाने पर मुलाकात होती थी. फोन पर भी बात होती थी. रेलवे की तैयारी कर रहे राजू को रामदेव अक्सर प्रेरित करते थे. राजू ने बताया कि वे शुरू से अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते थे.

Also Read: चक्रधरपुर : 11 बच्चे मलेरिया से पीड़ित, 8 कुपोषण के शिकार, दो बच्चों की मौत

अन्याय के खिलाफ आवाज उठाता था रामदेव : खुशरू

साथी खुशरू महतो ने बताया कि वे कक्षा 1 से लेकर 5 तक की पढ़ाई रामदेव के साथ की. आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण खुशरू ने पांचवीं बाद अपनी पढ़ाई छोड़ दी. रामदेव की वीरगति प्राप्त होने की खबर सुनकर वह काफी भावुक है. उसने बताया कि रामदेव बचपन से ही अन्याय के खिलाफ लड़ता था. परेशानी में दोस्तों को हमेशा मदद करता था.

पुलिस कर्मियों ने आर्थिक सहायता प्रदान की

मनोहरपुर के डीएसपी अजित कुजूर ने शहीद जवान के घर पहुंचकर परिजनों को आर्थिक सहायता प्रदान की, बीडीओ शक्ति कुंज ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा के तहत मृतक के आश्रितों को यथाशीघ्र लाभ दिया जायेगा. इस मौके पर पुलिस एसोसिएशन के सचिव संतोष राय, संयुक्त सचिव अमलेश कुमार, पुलिस मेंस एसोसिएशन के अनूप लकड़ा, सुरेश चंद्र मांझी, जगन्नाथ तिरिया समेत जमशेदपुर में कार्यरत मनोहरपुर और आनंदपुर के जवान भी शामिल हुए.

बच्चे को चक्रधरपुर में रखकर पढ़ा रहा था

2010 में इंटर की परीक्षा पास करने के बाद रामदेव को पुलिस की नौकरी लग गयी. नौकरी लगने के बाद परिवार का जिम्मा अपने कंधों पर उठा लिया, उसने माता-पिता के लिए एक नया तोहफा देना चाहते थे, जो अधूरा रह गया. रामदेव की पत्नी बबिता महतो अपने 5 वर्षीय बेटे को पढ़ाने के लिए चक्रधरपुर में रहती थी. रामदेव प्रतिदिन अपने माता-पिता का कुशलक्षेम लेता था. बीच-बीच में आकर पत्नी अपने सास-ससुर का ध्यान रखती थी. रामदेव की दो बड़ी बहनें अनिशा महतो का विवाह तरतरा गांव में ही हुआ है, जबकि नोमिता महतो का विवाह अर्जुनपुर में हुआ है.

Also Read: चक्रधरपुर: गोलमुंडा फाटक के पास माइनिंग ने की छापेमारी, बालू लदे तीन ट्रैक्टर जब्त

Next Article

Exit mobile version