झारखंड में जातीय जनगणना को सीएम चंपाई सोरेन की मंजूरी, कार्मिक विभाग को मिली जिम्मेवारी
विधानसभा में जातीय जनगणना का मामला बार-बार उठता रहा है. विधायक प्रदीप यादव ने यह मामला ध्यानाकर्षण के माध्यम से लाया था कि सरकार जातीय जनगणना कराने के पक्ष में है या नहीं. आजसू विधायक डॉ लंबोदर महतो भी यह मामला सदन के अंदर लेकर पहुंचे थे.
आनंद मोहन, रांची: झारखंड में जाति आधारित जनगणना का रास्ता साफ हो गया. मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने शनिवार को इसकी मंजूरी दे दी. कार्मिक विभाग के जिम्मे जातीय जनगणना का कार्य होगा. पूर्व में तत्कालीन हेमंत सोरेन सरकार भी जातीय जनगणना कराने की पक्ष में थी, लेकिन कौन विभाग करायेगा यह स्पष्ट नहीं था. राज्य कार्यपालिका नियमावली में जनगणना का काम भूमि एवं राजस्व सुधार विभाग को आवंटित है. लेकिन जाति आधारित जनगणना का काम कार्यपालिका नियमावली में किसी विभाग को आवंटित नहीं था. मुख्यमंत्री के आदेश के बाद सरकार ने यह गतिरोध दूर कर लिया है. सरकार की मंजूरी के बाद अब कार्मिक विभाग जातीय जनगणना को लेकर प्रस्ताव तैयार करेगा.
विधानसभा में उठा था मामला, सरकार ने एटीआर में बतायी थी वस्तुस्थिति:
विधानसभा में जातीय जनगणना का मामला बार-बार उठता रहा है. विधायक प्रदीप यादव ने यह मामला ध्यानाकर्षण के माध्यम से लाया था कि सरकार जातीय जनगणना कराने के पक्ष में है या नहीं. आजसू विधायक डॉ लंबोदर महतो भी यह मामला सदन के अंदर लेकर पहुंचे थे. विधायक श्री यादव के प्रश्न के आलोक में संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने आश्वासन दिया था कि सरकार जातीय जनगणना के पक्ष में है. मंत्री की घोषणा के बाद सदन के आश्वासन पर कृत कार्रवाई प्रतिवेदन यानि एटीआर भी पेश किया गया था. एटीआर में कहा गया था कि झारखंड सरकार जाति आधारित जनगणना कराने के पक्ष में हैं. लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इसे कौन विभाग करायेगा. एटीआर में यह कहा गया है कि जाति आधारित जनगणना का काम ग्रामीण विकास विभाग से संबंधित नहीं है. ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जाति आधारित जनगणना के सिलसिले में मार्गदर्शन मांगी गयी है. मार्ग दर्शन के बिंदु पर मंत्रिमंडल सचिवालय समन्वय विभाग में प्रक्रियाधीन है. इस पूरी प्रक्रिया के बाद अब कार्मिक विभाग को जातीय जनगणना कराने की जिम्मेवारी होगी.
बिहार में जातीय जनगणना के बाद झारखंड में दलों ने बनाया दबाव :
बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने जातीय जनगणना करा ली है. इसे देखते हुए झारखंड में भी राजनीतिक दलों ने दबाव बनाया है. बिहार की तर्ज पर जाति जनगणना की मांग राजनीतिक दल उठाते रहे हैं. राजनीतिक पार्टियों की दलील है कि बिहार की तरह झारखंड में भी स्पष्ट होना चाहिए कि किस जाति की कितनी संख्या है. इसके आधार पर हिस्सेदारी तय होनी चाहिए. सदन और सदन के बाहर इस मांग को लेकर आवाज उठती रही है. कांग्रेस, राजद, आजसू सहित दूसरे दल लगातार मांग करते रहे हैं.