Chanakya Niti: इन 3 लोगों की संगति रोक देती है हमारी तरक्की, चांडाल के समान व्यवहार करते हैं ये व्यक्ति

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जो व्यक्ति हमेशा दूसरों के कार्य बिगाड़ता है. ऐसे लोग ढोंगी है. वे अपना ही स्वार्थ सिद्ध करने में लगा रहता है. वे दूसरों को धोखा देता है. हमारी तरक्की इन ऐसे लोगों की संगति रोक देती है.

By Radheshyam Kushwaha | July 19, 2023 3:18 PM

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने बुरे व्यक्ति से सतर्क रहने के लिए सलाह चाणक्य नीति में दी है. आचार्य चाणक्य के अनुसार कोई भी व्यक्ति बहुत ज्यादा ज्ञानी हो, लेकिन उसका व्यवहार व गुण अच्छे नहीं है तो वह ब्राह्मण भी बिलाव के समान होता है. धोखेबाज का कोई चेहरा नहीं होता, ऐसे लोग झूठ और छल-कपट का मुखोटा पहने आपके साथ होने का नाटक करते हैं और फिर आपके बुरे वक्त में असली रंग दिखाते हैं. आचार्य चाणक्य ने बुरे व्यक्ति के इन गुणों का जिक्र किया है…

ऐसे लोगों से रखें दूरी

आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जो व्यक्ति हमेशा दूसरों के कार्य बिगाड़ता है. ऐसे लोग ढोंगी है. वे अपना ही स्वार्थ सिद्ध करने में लगा रहता है. वे दूसरों को धोखा देता है. सबसे द्वेष करता है और ऊपर से देखने में अत्यंत नम्र और अंदर से पैनी छुरी के समान होते है. ऐसे ब्राह्मण को बिलाव या चांडाल कहा गया है. ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रहना चाहिए.

ऐसे लोगों को चाणक्य ने बताया पशु

आचार्य चाणक्य के अनुसार, जिस व्यक्ति का ध्यान हमेशा दूसरों के कार्य बिगाड़ने में लगा रहता है, जो सदा ही अपने स्वार्थ की सिद्धि में लगा रहता है, लोगों को धोखा देता है, बिना कारण के ही शत्रुता रखता है, जो ऊपर से कोमल और अंदर से क्रूर है. ऐसे लोगों को पशु माना गया है.

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ऐसे लोग होते है म्लेच्छ

आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जो लोग पानी के स्थानों, बावड़ी, कुआं, तालाब, बाग-बगीचों और मंदिरों में तोड़- फोड़ करने में किसी प्रकार का भय न अनुभव करते हों. उन्हें म्लेच्छ कहते है. इसके साथ ही जो व्यक्ति अपने से श्रेष्ठ दूसरों को माने, जनहित के चिंतन में लीन रहे, वहीं ब्राह्मण है. परोपकार की भावना ही ब्राह्मण की पहचान है.

मूर्ख शिष्‍य को उपदेश देने से कोई लाभ नहीं

आचार्य चाणक्‍य का मानना है कि मूर्ख शिष्‍य को उपदेश देने से कोई लाभ नहीं होता है. यहां मूर्ख शिष्य से तात्‍पर्य उनका ऐसे लोगों से खुद को सर्वोपरि मानते है, जो दूसरों की अच्छी सलाह में कमिया निकालते हैं. जो अपने आगे किसी की नहीं सुनते हैं. ऐसे लोगों को किसी प्रकार का ज्ञान देना अपना समय व्‍यर्थ करने के समान हैं. ऐसे लोगों से दूरी बनाने में ही भलाई है.

ऐसी महिलाओं को आचार्य चाणक्य ने बताया गलत

आचार्य चाणक्य ने ऐसी महिलाओं को भी गलत माना है जो सिर्फ अपनी चलाती हैं. आचार्य चाणक्य के अनुसार दुष्ट स्वभाव वाली स्त्री, जिसकी बोल कड़वाहट से भरे हों, झूठ और धोखा देना जिसकी फितरत हो ऐसी पत्नी के साथ रहना नर्क में रहने के समान है. ऐसी महिलाओं के घर में होने से आगे की पीढ़ियों पर बुरा असर पड़ता है. ऐसी महिलाएं अपने साथ-साथ उन लोगों का भी नुकसान करवा देती हैं, जो उनसे जुड़े होते हैं.

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ऐसे लोगों को समझाने का कोई फायदा नहीं

चाणक्य के अनुसार दुखियों का साथ देना अच्छी बात है, लेकिन जो अपनी पीड़ा से उभरने का स्वंय प्रयास न करें. ऐसे लोगों को समझाने का कोई फायदा नहीं होती, क्योंकि जब तक वह खुद अपने दुख से बाहर निकलना नहीं चाहेंगे तब तक आपकी मेहनत भी बर्बाद होती रहेगी. ऐसे लोगों के साथ रहकर व्यक्ति खुद भी नकारात्मक सोचने लगता है और बुरी बातें उसके मन पर हावी होने लगती है.

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