Varanasi News: उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद में सेवापुरी विधानसभा स्थित रामपुर गांव की महिला चंदा देवी इन दिनों सुर्खियों में है. गांव सहित पूरे इलाके में उनकी चर्चा है. लोग चंदा देवी से बात करने के लिए उत्सुक हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही हाल में अपने काशी दौरे के दौरान विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान ‘मेरी कहानी मेरी जुबानी’ कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इस दौरान चंदा देवी से उनका संवाद बेहद सुर्खियों में रहा. कार्यक्रम से बात से लेकर अब तक इसकी चर्चा हो रही है. कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में विकास योजनाओं का लाभ उठाने वाली महिलाओं ने अपने अनुभव बताए. इस मौके पर चंदा देवी की बातों ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा. उन्होंने सरकारी योजनाओं के बारे में जिस तरह से अपनी बात रखी, उससे सभी प्रभावित हुए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेहद ध्यान से उनका भाषण सुनने के बाद चंदा देवी से पूछा कि आप चुनाव लड़ी हो क्या? इस पर महिला ने कहा कि नहीं, हमने कभी भी चुनाव नहीं लड़ा है. इस पर पीएम नरेंद्र मोदी ने सवाल कर लिया कि क्या आप आगे चुनाव लड़ना चाहती हो? पीएम मोदी के सवाल पर हर कोई हंसने लगा. इस पर महिला ने कहा कि नहीं, हम चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. चंदा देवी ने प्रधानमंत्री से प्रेरणा मिलने की भी बात कही. प्रधानमंत्री से बातचीत के बाद अब गांव के लोग चंदा देवी पर गर्व कर रहे हैं.
चंदा देवी ने चुनाव के ऑफर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बड़प्पन बताया. चंदा देवी के मुताबिक सबसे बड़े पद पर बैठा व्यक्ति देश के एक आम नागरिक से मिलता है. प्रधानमंत्री से मुलाकात बेहद सम्मान की बात है. गर्व का पल है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काम हम सभी के लिए प्रेरणा देने वाला है. ये बेहद सौभाग्य की बात है कि उनसे हमारी मुलाकात हुई. इस दौरान उन्होंने हमसे संवाद किया. पीएम मोदी के चुनाव वाले प्रस्ताव को ठुकराने को लेकर चंदा देवी कहती हैं कि उनके ऊपर परिवार की काफी जिम्मेदारी है. उनकी सास की उम्र 70 साल की है जो अक्सर बीमार रहती हैं. इसके अलावा दो बच्चे और पति और पारंपरिक काम खेती बाड़ी में भी हांथ बटाना पड़ता है. इसीलिए चुनाव नहीं लड़ सकतीं. परिवार से दूर रहकर काम करना संभव नहीं है. उन्होंने पीएम मोदी की तरफ से शादी समारोह में खाना परोसने वाले सुझाव की काफी सराहना भी की और बताया कि मेहनत के किसी काम में शर्म नहीं होना चाहिए.
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चंदा देवी पहले से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुरीद रही हैं. लेकिन, इस मुलाकात के बाद उनका उत्साह कई गुना बढ़ गया है. वह प्रधानमंत्री से संवाद के बाद बेहद उत्साहित हैं और अन्य लोगों को भी इससे प्रेरणा लेने क बात कह रही हैं. उन्होंने बताया कि पीएम मोदी से बात करके काफी गर्व की अनुभूति हुई. पहले थोड़ा डर और हिचक थी. लेकिन, प्रधानमंत्री का व्यवहार देखकर डर और हिचक निकल गया. चंदा देवी ने कार्यक्रम के दौरान भी प्रधानमंत्री से कहा कि हम लोग आपसे प्रेरणा लेते हैं. आप जो प्रयास कर रहे हैं, हम उससे कदम मिलाकर चलने की कोशिश करते हैं. इस कारण ही कुछ हासिल कर पाए हैं. उन्होंने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हम आपके सामने दो बात कहने में सफल हुए हैं. यह हमारे लिए गर्व की बात है.
चंदा देवी ने प्रधानमंत्री के सवाल उन्हें अपने परिवार के बारे में भी जानकारी दी. उनकी बेटी सातवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही है. बेटा कक्षा तीसरी में पढ़ाई कर रहा है. चंदा देवी ने आर्थिक स्थिति सही रहने पर बच्चों को अच्छे कॉलेज में पढ़ाने की बात कही. उन्होंने बताया कि परिवार की देखभाल करते हुए वह और अन्य महिलाएं सभी काम बेहतर तरीके से कर रही हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री के पूछने पर बताया कि उनके गांव में तीन महिलाएं लखपति दीदी की श्रेणी में हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान कहा कि हमारा सपना है कि देश में हम दो करोड़ लाखपति दीदी बनाएं. आपकी बात जब वे सुनेंगी तो उन्हें विश्वास हो जाएगा कि लाखपति दीदी बन सकते हैं. इस पर चंदा देवी ने कहा कि यहां पर ही कई महिलाएं हैं जो समूह से जुड़कर लाखपति बनी हैं.
चंदा देवी ने वर्ष 2004 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की है और फिर 2005 में उनकी शादी रामपुर के किसान परिवार लोकपति पटेल से हो गई. फिर वे आगे नहीं पढ़ सकीं. अभी उनके दो बच्चे हैं. बड़ी बेटी 14 वर्षीय प्रिया और छोटा बेटा 8 वर्षीय अंश है. बेटा सरकारी स्कूल में पढ़ता है, जबकि बेटी हिंदी मीडियम प्राईवेट स्कूल में पढ़ती है. दोनों ही बच्चे पढ़ाई में होनहार हैं, क्योंकि अक्सर उनके टीचर इस बारे में बताते रहते हैं. चंदा देवी का मायका उनके ससुराल रामपुर के नजदीक नहवानीपुर गांव, पोस्ट- बनकट में है.
चंदा देवी ने बताया कि जब से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की शुरूआत हुई है, तभी से उन्होंने अपने गांव में समूह अध्यक्ष के तौर पर काम करना शुरू कर दिया था. पिछले 19 महीने से वे बरकी गांव के यूनियन बैंक आफ इंडिया की ‘बैंक सखी’ हैं. जरूरतमंदों को लोन दिलाने से लेकर गांव की सहायता समूह की महिलाओं के लगभग 80-90 खातों को देखती हैं. इससे उनकी आजीविका में मदद मिलती है और इस काम में उनके परिवार को कोई दिक्कत नहीं होती है. सभी सहयोग करते हैं.