Chandigarh Kare Aashiqui Movie Review: अनोखी है आयुष्मान खुराना और वाणी कपूर की ये आशिकी
फ़िल्म का विषय बहुत संवेदनशील है लेकिन निर्देशक अभिषेक कपूर ने फ़िल्म का ट्रीटमेंट बहुत ही हल्के फुल्के अंदाज़ में रखा है. फ़िल्म में इमोशन हैं लेकिन कहीं फ़िल्म भाषणबाजी नहीं करती है.
फ़िल्म- चंडीगढ़ करे आशिकी
निर्देशक- अभिषेक कपूर
कलाकार- आयुष्मान खुराना, वाणी कपूर,कंवलजीत सिंह, अंजन श्रीवास्तव और अन्य
रेटिंग- तीन
चंडीगढ़ करें आशिकी फ़िल्म का शीर्षक इस बात की गवाही अपने आप दे रहा है कि यह एक रोमांटिक फिल्म है. अब रोमांटिक फिल्म है तो लड़के लड़की का मिलना,प्यार,तकरार और दुनिया और परिवार का बीच में आना रूठना मनाना ये तो होना ही है. इस फ़िल्म की कहानी में भी ये सब है लेकिन यहां प्यार लड़के लड़कीं के बीच नहीं है बल्कि एक पुरुष और एक ट्रांस महिला के बीच में है. यही बात इस फ़िल्म को खास बना देती है. फ़िल्म का विषय बहुत संवेदनशील है लेकिन निर्देशक अभिषेक कपूर ने फ़िल्म का ट्रीटमेंट बहुत ही हल्के फुल्के अंदाज़ में रखा है. फ़िल्म में इमोशन हैं लेकिन कहीं फ़िल्म भाषणबाजी नहीं करती है. यह कमर्शियल फ़िल्म सहज और सरल तरीके से बहुत अहम संदेश को रेखांकित कर जाती है.
कहानी की बात करें यह चंडीगढ़ के बॉडी बिल्डर और जिम ट्रेनर मनु ( आयुष्मान खुराना ) की है. उसका एक ही सपना है कि चंडीगढ़ के एक प्रसिद्ध एथलीट चैंपियनशिप का विनर बनना लेकिन उसकी नीदें तब उड़ जाती है जब उसके जिम और कहानी में जुम्बा डांस ट्रेनर मानवी ( वाणी कपूर) की एंट्री होती है. दोनों का प्यार कुछ मुलाकातों में ही परवान चढ़ जाता है लेकिन मानवी के बीते कल से जब मनु रूबरू होता है तो प्यार क्या उसकी पूरी ज़िंदगी में ही उथल पुथल मच जाती है. मनु समाज और परिवार के लोगों की सुनेगा या अपने दिल की. क्या मनु का परिवार इस रिश्ते को स्वीकार कर पाएगा इसके लिए आपको फ़िल्म देखनी होगी.
फ़िल्म का विषय बहुत ही टैबू है लेकिन निर्देशक अभिषेक कपूर ने इसे बहुत ही संजीदगी से दिखाया है. खास बात है कि वाणी और आयुष्मान खुराना के किरदारों के ज़रिए उन्होंने ट्रांस महिला की दुनिया और उनसे जुड़े समाज के दकियानूसी नज़रिए दोनों का बखूबी चित्रण किया है. फ़िल्म का ट्रीटमेंट कमर्शियल है लेकिन कुछ भी ओवर द टॉप नहीं हुआ है.
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खामियों की बात करें तो फ़िल्म का क्लाइमेक्स बहुत ही ज़्यादा फिल्मी और घिसापिटा हो गया है. मनु की फैमिली और दोस्तों का मानवी को स्वीकार करना बहुत जल्दीबाजी में फ़िल्म समेट दिया गया है. वो भी अखरता है. फ़िल्म का बैकड्रॉप और किरदार पंजाबी है तो उसके साथ बखूबी न्याय करने के लिए पंजाबी संवादों की भरमार है लेकिन वो दूसरे प्रान्त के दर्शकों को थोड़ा अटपटा लग सकता है.
अभिनय की बात करूं तो अभिनेता आयुष्मान खुराना,चंडीगढ़ के गबरू के स्वैग में रचे बसे नज़र आए हैं. उन्होंने अभिनय के साथ साथ किरदार के लिए अपनी बॉडी पर जबरदस्त काम किया है. अभिनेत्री वाणी कपूर की भी तारीफ करनी होगी. सबसे पहले इसलिए कि कमर्शियल फिल्मों की अभिनेत्री होने के बावजूद एक ट्रांस महिला की भूमिका को हां कहना उनके लिए निश्चिततौर पर आसान नहीं रहा होगा. अभिनय के फ्रंट में भी वह बेहतरीन रही हैं.
सपोर्टिंग किरदारों में जुड़वां भाई हो या आयुष्मान की दोनों बहनें और पिता ये सभी अपनी मौजूदगी से फ़िल्म को रोचक बनाते हैं. सीनियर एक्टर्स कंवलजीत और अंजन श्रीवास्तव का काम भी अच्छा है. दूसरे पहलुओं की बात करें तो. फ़िल्म के संवाद एक अहम किरदार की तरह है. जो इस फ़िल्म के प्रस्तुतिकरण को दिलचस्प बनाता है. गीत संगीत कहानी के अनुरूप है. कुलमिलकर यह नए दौर की यह परिपक्व आशिकी सभी को देखनी चाहिए.