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ग्रहण खत्म होने के बाद करें ये काम
चंद्रग्रहण खत्म होने के बाद अपनी सामान्य दिनचर्या शुरू कर सकते हैं. ग्रहण के बाद फल खाना अच्छा माना जाता है. क्योंकि फलों में काफी मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं और एनर्जी से परिपूर्ण करते हैं.
कहां कहां नहीं दिखेगा आज का चंद्रग्रहण
आज का ग्रहण उत्तरी अमेरिका, ग्रीनलैंड, दक्षिण अमेरिका के पश्चिम भाग व रशिया के पूर्वोत्तर भाग को छोड़कर शेष पूरे विश्व में दिखाई देगा. वैसे उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने से इसका धार्मिक दृष्टि ज्यादा असर नहीं है.
जिन राशियों पर होता है ग्रहण का असर वो करें ये कार्य
कहा जाता है कि जिन राशियों पर ग्रहण का अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ता रहा है, उन्हें गोदान हवन, वस्त्र दान इत्यादि करना चाहिए. जहां-जहां ग्रहण दिखाई देता है, वहीं इसकी मान्यता होती है तथा जहां दिखाई नहीं देता है, वहां उसकी मान्यता नहीं माननी चाहिए.
ग्रहण के बाद तालाब एवं सरोवर में नहाने की दी जाती है सलाह
ग्रहण के बाद नहाने की सलाह दी जाती है, जिससे शरीर साफ हो जाए. ग्रहण समाप्ति के बाद किसी तीर्थ स्थान या नदी तालाब सरोवर या घर में ही स्वच्छ पानी से स्नान करने के लिए कहा जाता है.
कई बार डर का कारण बनता है ग्रहण, पर विज्ञान मानता है इसे एक खगोलीय घटना
ग्रहण को लेकर मनुष्यों में कई तरह की भ्रांतियां हैं, और वो इसे अपशगुन और खतरे से इस जोड़ते हैं. ग्रहण को खतरे का प्रतीक ज्यादा मानते हैं. पर विज्ञान इसे सिर्फ एक खगोलीय टना मानता है.
राहु-केतु का है ग्रहण से संबंध
ग्रहण को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं हैं. राहु और केतु दोनों पापी ग्रह हैं, और दोनो सूर्य और चंद्रमा को शापित करते हैं. ग्रहण का कारण राहु और केतु को माना जाता है. राहु-केतु उसी राक्षस के सिर और धड़ हैं जिसने देवताओं की पंक्ति में जाकर अमृत पी लिया था.
चंद्रमा के आकार में नहीं होगा कोई अंतर
उपछाया चंद्र ग्रहण होने के कारण आज चंद्रमा के आकार में किसी भी तरह का कोई भी परिवर्तन देखने को नहीं मिलेगा. इसमें रात को चंद्रमा की एक धुंधली सी तस्वीर नजर आएगी
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ग्रहण के दौरान इन मंत्रों का जप करें-
ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं ॐ स्वाहा:
ॐ ह्लीं दुं दुर्गाय: नम:
ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्लीं ओम् स्वाहा
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:
Chandra Grahan/Lunar Eclipse 2020 Today LIVE Updates: चांद को आज रात लगेगा ग्रहण, जानिए सूतक काल, सावधानियां और मान्यताएं
ग्रहण का क्या है वैज्ञानिक पहलू
ग्रहण का वैज्ञानिक पहलू भी है. माना जाता है कि ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इस दौरान अल्ट्रावॉयलेट किरणें निकलती हैं जो एंजाइम सिस्टम को प्रभावित करती हैं, इसलिए ग्रहण के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत होती है. ग्रहण के दौरान चंद्रमा, पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, जिससे गुरुत्वाकर्षण बल का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है. भूकंप भी गुरुत्वाकर्षण के घटने और बढ़ने के कारण ही आते हैं.
Chandra Grahan 2020, Sutak Timing in India: आज लगेगा चंद्र ग्रहण, नहीं होगा ग्रहण में कोई सूतक काल, जानिए क्यों
Chandra Grahan/Lunar Eclipse 2020 Today LIVE Updates: चांद को आज रात लगेगा ग्रहण, जानिए सूतक काल, सावधानियां और मान्यताएं,चंद्रगहण से असर होता है हमारी ऊर्जा पर
चंद्रग्रहण से हमारी ऊर्जा पर भी असर होता है. इसके अलावा, हमारी नींद और हार्मोन्स भी प्रभावित होते हैं. इससे हमारे व्यावहार में चिड़चिडापन, थकावट भी महसूस होता है.
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हमारे मन पर असर तो करता है चंद्रमा
ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा हमारे मन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव डालता है. लोगों का मनना है कि खुद अपने आसपास के लोगों का पूर्णिमा और अमावस्या के समय के बर्ताव के अंतर को देखा जा सकता है. पूर्णिमा पर प्रभाव चंद्रमा का अधिक देखा जा सकता है, वहीं दूसरी ओर अमावस्या के दौरान सबसे कम देखा जाता है.
उपच्छाया चंद्र ग्रहण: सूतक काल (Sutak kal) मान्य नहीं होगा
इस बार 05 जून को उपच्छाया चंद्र ग्रहण (Penumbral lunar eclipse) होने के कारण हालांकि इसका सूतक काल (Sutak kal) मान्य नहीं होगा. लेकिन बहुत से लोग हर तरह के ग्रहण को गंभीरता से लेते हैं जिस वजह से वो सूतक के नियमों का पालन भी करते हैं. जो ग्रहण कल शुक्रवार की रात में लग रहा है ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण (Penumbral lunar eclipse) होगा. जिसकी शुरुआत 5 जून की रात 11:16 बजे से हो जायेगी और इसकी समाप्ति 6 जून को 02:32 मिनट पर होगी. ग्रहण रात 12:54 बजे अपने अधिकतम प्रभाव में हो सकता है.
ग्रहण के बुरे प्रभाव से बचने के लिए ये कार्य
चंद्रग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए सोमवार को केसर की खीर कन्याओं को खिलाने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा शिवजी की पूजा करने एवं चावल दान करने को भी कहा जाता है.
ग्रहण के दौरान बुजुर्गों का रखें विशेष ध्यान
चंद्रग्रहण के दौरान बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखा जाता है. इस दौरान गरीब और जरूरतमंदों का भी ध्यान रखने की बात की जाती है. ग्रङण के दौरान अपशब्द कहने पर भी मनाही रहती है. ऐसा मानना है कि अपशब्द कहने से शनि महाराज नाराज हो जाते हैं.
करीब 58 साल पहले बना था ऐसा योग
इस बार एक महिने में तीन ग्रहण देखें जाएंगे. एक माह में तीन ग्रहण लगने वाला योग 58 साल पहले सन 1962 में जुलाई-अगस्त माह में बना था.
ग्रहण के दौरान अनजानी शक्तियां होती है प्रभावी
ग्रहण के दौरान अनजानी शक्तियां प्रभावी हो जाती हैं. बेहतर होगा कि ग्रहण के दौरान किसी भी सुनसान या श्मशान जैसी जगहों से जाने से बचें. यह शक्तियां किसी को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं. ग्रहण के दौरान घर पर ही पूजा करें. वहीं, इस दौरान अपने घरों में ही रहना चाहिए.
काला नहीं होंगे चंद्रमा
आज रात में चंद्र ग्रहण लगेगा. इस दौरान आप ग्रहण को देख सकेंगे. चंद्र ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करता है. उपछाया शंकु से बाहर निकल जाती है, और भूभा में प्रवेश नहीं करती. इसलिए उपछाया के समय चंद्रमा का बिंब धुंधला पड़ता है, ये काला नहीं होता ना ही चंद्रमा के आकार में कोई परिवर्तन आता.
ग्रहण काल में रखें ये सावधानियां
- ग्रहणकाल में प्रकृति में कई तरह की अशुद्ध और हानिकारक किरणों का प्रभाव पड़ता है. इसलिए कई ऐसे कार्य हैं, जिन्हें ग्रहण काल के दौरान नहीं किया जाता है.
- ग्रहणकाल में गर्भवती महिलाओं को कैंची, सूई, चाकू या धारदार चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
- ग्रहणकाल में स्नान न करें. ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें.
- ग्रहणकाल में अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए.
- ग्रहणकाल में सहवास नहीं करना चाहिए.
- ग्रहणकाल के दौरान गुरु प्रदत्त मंत्र का जाप करते रहना चाहिए.
- ग्रहण को खुली आंखों से न देखें. हालांकि चंद्र ग्रहण देखने से आंखों पर कोई बुरा असर नहीं होता.
गर्भवती महिलाएं इन बातों का रखें ख्याल
गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के समय विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है. मान्यताओं के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण नहीं देखना चाहिए. ग्रहण देखने से पेट में पल रहे शिशु पर उसका दुष्प्रभाव पड़ सकता हैं. गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय लोहे की नुकिली चीजों से दूर रहना चाहिए. तुलसी पत्ता खाने में डालकर रखना चाहिए, ग्रहण के दौरान वहीं खाना गर्भवती महिलाओं को खाना चाहिए. ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को सिलाई, कटाई नहीं करना चाहिए.
इस साल लग रहे हैं कुल पांच ग्रहण
आज रात में चंद्र ग्रहण लगेगा. इस साल कुल पांच ग्रहण लग रहे हैं. इनमें से दो ग्रहण जून महीने में पड़ रहे हैं. वहीं, एक ग्रहण जनवरी में लग चुका है. इस बार लगातार तीन ग्रहण लग रहे है. एक ग्रहण आज लगेगा, वहीं दूसरा ग्रहण 21 जून को लग रहा है. इसके बाद फिर एक ग्रहण 05 जुलाई को लगेगा. इसलिए ज्योतिषियों के लिए यह थोड़ा चिंता का विषय बना हुआ है. वहीं, 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण बड़ा सूर्य ग्रहण होगा.
साल का दूसरा चंद्रग्रहण आज, जानिए सूतक काल
साल 2020 का दूसरा चंद्रग्रहण आज यानी 5 जून को लग रहा है. इसके बाद साल का तीसरा 05 जुलाई और आखिरी चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा. जबकि इसी महीने सूर्य ग्रहण भी लगने वाला है. यह सूर्य ग्रहण इस साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा. आज चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse On 5 June) का सूतक काल (5 June Chandra Grahan Timing) भारतीय समयानुसार 05 जून को रात 11 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर 06 जून को ही रात 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा.
आज रात में लगेगा चंद्र ग्रहण
आज रात में चंद्र ग्रहण लगेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार 5 जून को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि पर चंद्र ग्रहण लगेगा. यह चंद्र ग्रहण उपछाया ग्रहण होगा. यह सिर्फ धुंधला सा दिखाई देगा. आप काफी ध्यान से देखेंगे तो ही समझ में आ पाएगा. ग्रहण मध्य रात्रि 11 बजकर 16 मिनट से रात 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. इसे पूरे भारत में देखा जा सकता है. इस दौरान चंद्रमा वृश्चिक राशि में होंगे. इसे शास्त्रों के अनुसार 5 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण सामान्य चंद्र ग्रहण से अलग रहेगा, इसे उपछाया ग्रहण कहते है. इसमें कोई सूतक काल नहीं माना जात है.
साल का दूसरा उपच्छाया चंद्रग्रहण
यह साल का दूसरा उपच्छाया चंद्रग्रहण है. जो आज लग रहा है. इससे पहले उपच्छाया चंद्रग्रहण 10 जनवरी को भी लगा था. उपच्छाया चंद्रग्रहण में जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया वाले हिस्से में आ जाता है फिर चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी कटी से लगती है. इसी को उपच्छाया चंद्रग्रहण कहते हैं. उपच्छाया चंद्रग्रहण में सूतक दोष नहीं लगता. फिर भी मान्यता है कि इस दौरान कोई शुभ काम नहीं करना चाहिए.
चंद्र ग्रहण का स्थानीय समय
चंद्र ग्रहण का समय शुरू होगा - 5 जून रात 11.15 से
चन्द्र ग्रहण -6 जून को दिन के 12.54 बजे से
चंद्र ग्रहण से अन्तिम स्पर्श - 2.34 बजे
चंद्र ग्रहण का कुल समय – 3 घंटे और 18 मिनट
वर्चुअल टेलिस्कोप की मदद से लें चंद्रग्रहण का नजारा
अगर आपको चंद्रग्रहण देखने की इच्छा है तो हम आपको बतातें हैं कि चंद्रग्रहण को आप लाइव कैसे देख सकते हैं. वर्चुअल टेलिस्कोप के द्वारा आप www.virtualtelescope.eu पर लाइव चंद्रग्रहण देख सकते हैं. आप इसे यूट्यूब चैनल CosmoSapiens, Slooh पर लाइव भी देख सकते हैं.
30 दिन के अंदर ही लगेंगे 3 ग्रहण
30 दिनों के अंतराल में तीन ग्रहण देखने को मिलेंगे. 5 जून की चंद्रग्रहण, फिर 21 जून को सूर्य ग्रहण और 5 जुलाई को चंद्रग्रहण लगेगा.
क्या खुली आंखों से चंद्रग्रहण देखना है नुकसानदेह
एक्सपर्ट्स का मानना है कि चंद्र ग्रहण के दौरान या चंद्र ग्रहण को सीधे तौर पर देखने से आंखों को हानी नहीं पहुंचती, पर सूर्यग्रहण को नंगी आंखों से देखने पर आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है. इसे सौर रेटिनोपैथी कहा जाता है. कभी भी नंगी आंखों के ग्रहण न देखें. इससे आंखों को नुकसान पहुंच सकता है. हमेशा सूर्यग्रहण को खास सोलर फिल्टर वाले चश्मों से देखें. इसके लिए सोलर-व्युइंग ग्लासेस, आइक्लिप्स ग्लासेस या पर्सनल सोलर फिल्टर्स का प्रयोग किया जा सकता है.
दुनियाभर में इस ग्रहण को माना जा रहा काफी महत्वपूर्ण
कल जो ग्रहण लग रहा है वे उपच्छाया चंद्र ग्रहण है. उपच्छाया चंद्रग्रहण मान्य नहीं होता है. लेकिन अभी भारत समेत दुनिया कोरोना संक्रमण जूझ रहा है. इस स्थिति में ये ग्रहण काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है. इसके पीछे का कारण ज्योतिषी दिसंबर 2019 में घटित हुआ आखिरी सूर्य ग्रहण को बताते हैं, जिसके बाद से ही कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ा है. अब जून माह में दो ग्रहण लग रहे हैं. इस ग्रहण को दुनियाभर के लिए काफी महत्वपूर्ण समझा जा रहा है. वैदिक शास्त्रों में चंद्रमा का संबंध मन और कफ प्रकृति से बताया गया है, और कोरोना काल में 5 जून को ग्रहण लगना, भारत के साथ-साथ कई देशों के लिए काफी गहरा प्रभाव छोड़ने वाला है. हालांकि एस्ट्रोसेज के विशेषज्ञ ज्योतिषी इस बार के उपच्छाया चंद्र ग्रहण का प्रभाव, मनुष्यों के लिए सामान्य से बेहतर बता रहे हैं, जिससे देश को कोरोना संक्रमण के चक्रव्यूह को तोड़ने में मदद मिलेगी.
क्या है इस उपच्छाया चंद्रग्रहण का असर
ज्योतिष के अनुसार इस उपच्छाया चंद्र ग्रहण में चांद पर मात्र पृथ्वी की छाया पड़ेगी जिस कारण इसे ग्रहण की श्रेणी में नहीं आता है इसलिए धार्मिक और सामान्य कामकाज करने में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं होगा.
आज लगेगा इस साल का दूसरा ग्रहण, जानिए किसको रहना होगा सतर्क
कल 05 जून को इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगेगा. वहीं इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून 2020 को पड़ने जा रहा है. ऐसे में इस ग्रहण से कोरोना के रिश्ते को लेकर कई तरह के ज्योतिषीय समीकरण समाने आ रहे हैं. लेकिन इस ग्रहण के आसपास ही लगातार तीन ग्रहण लग रहे हैं, जिनमें दो चंद्रग्रहण हैं. बता दें कि कल इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लग रहा है. यह ग्रहण वृश्चिक राशि में लगेगा. इस ग्रहण का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ रहा है, लेकिन वृश्चिक राशिवालों पर सबसे अधिक इस ग्रहण का प्रभााव रहेगा, इसलिए इन राशिवालों को सबसे अधिक सतर्क रहने की जरूरत होगी.
एक के बाद एक लगेंगे तीन ग्रहण
05 जून 2020 चंद्र ग्रहण : 05 जून की रात्रि को 11 बजकर 16 मिनट से 6 जून को 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा, ये उपच्छाया ग्रहण होगा. ये ग्रहण भारत, यूरोप, अफ्रीक, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा, उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण सूतक काल का प्रभाव कम रहेगा.
21 जून 2020 सूर्य ग्रहण : 21 जून की सुबह 9 बजकर 15 मिनट से दोपहर 15 बजकर 04 मिनट तक रहेगा, यह वलयाकार सूर्य ग्रहण रहेगा. दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर इस ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव रहेगा. इसे भारत समेतदक्षिण पूर्व यूरोप, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के प्रमुख हिस्सों में देखा जा सकेगा.
05 जुलाई 2020 चंद्र ग्रहण : सुबह 08 बजकर 38 मिनट से 11 बजकर 21 मिनट तक रहेगा, ये उपच्छाया ग्रहण होगा. जिसके कारण इसका प्रभाव भारत में बहुत कम रहेगा. इस दिन लगने वाला ग्रहण अमेरिका, दक्षिण-पश्चिम यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्से में दिखाई देगा.
सूतक काल में भूलकर भी न छूएं तुलसी का पौधा
ग्रहण लगने पहले ही सूतक काल शुरू हो जाता है. इस समय खाने पीने की मनाही होती है, लेकिन गर्भवती महिलाओं, बीमार व्यक्ति, छोटे बच्चों और वृद्ध लोगों पर ये नियम लागू नहीं होते हैं, साथ ही यह जरूर ध्यान रखें कि सूतक काल लगने से पहले ही भोजन में तुलसी के पत्ते जरूर डाल दें, जिससे ग्रहण काल में जरूरत पड़ने पर इसे खाने का इस्तेमाल किया जा सके. सूतक काल के समय मन ही मन में ईश्वर की अराधना करनी चाहिए. इस दौरान मंत्र जाप कर सकते हैं. वहीं सूतक काल के दौरान किसी भी स्थिति में भूलकर भी तुलसी के पौधे को छूना नहीं चाहिए.
वृश्चिक राशि वालों को रहना होगा सतर्क
कल जो चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है यह उपछाया च्रद्र ग्रहण होगा. उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण चांद के आकार में किसी भी प्रकार का कोई भी बदलाव देखने को नहीं मिलेगा. इस दौरान चांद मटमैल जैसा हो जाएगा. उपछाया चंद्र ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा. बता दें कि इस बार 30 दिनों के अंतराल में तीन ग्रहण लग रहे हैं. पहला 5 जून की चंद्रग्रहण, फिर 21 जून को सूर्य ग्रहण और 5 जुलाई को चंद्रग्रहण लगेगा. इसका असर कई राशियों पर पड़ रहा है. यह चंद्रग्रहण वृश्चिक राशि में लगेगा, जब 5 जून की रात को 11 बजकर 16 मिनट से ग्रहण लगेगा तब उस दौरान चंद्रमा वृश्चिक राशि में रहेंगे. ऐसे में वृश्चिक राशि के लोग सतर्क रहें और ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए भगवान का जाप करें.
कल लग रहा है चंद्र ग्रहण, इन बातों पर दें ध्यान
- घरों में ग्रहणकाल में धूप-अगरबत्ती जलाकर रखें, जिससे कि निगेटिव एनर्जी घर से बाहर निकल जाए.
- तुलसी के पौधे को ना छूए और ना ही ग्रहण के दौरान सोए.
- ग्रहणकाल में कैंची का प्रयोग न करें, फूलों को न तोड़े, बालों व कपड़ों को साफ न करें, दातुन या ब्रश न करें, गाय, भैंस, बकरी का दोहन न करें.
- भोजन न करें, कठोर शब्दों का प्रयोग न करें, सहवास ना करें, यात्रा न करें.
- कुशा या तुलसी पत्र ग्रहण प्रारंभ होने के पूर्व खाने-पीने की वस्तुएं जैसे पके भोजन, दूध, दही, घी, मक्खन, अचार, पीने के पानी, तेल आदि में कुशा या तुलसी पत्र डाल देना चाहिए इससे ये दूषित नहीं होते.
जानें कब से शुरू होता है सूतक काल
सूतक काल चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों के समय लगता है. सूतक काल में किसी भी तरह का कोई शुभ काम नहीं किया जाता. यहां तक की कई मंदिरों के कपाट भी सूतक के दौरान बंद कर दिये जाते हैं. इस बार 05 जून को चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण हालांकि इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. लेकिन बहुत से लोग हर तरह के ग्रहण को गंभीरता से लेते हैं जिस वजह से वो सूतक के नियमों का पालन भी करते हैं. सूर्य ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है. वहीं, चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है.
जानें क्या हैं ग्रहण के पीछे ज्योतिषिय कारण
चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जिसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण हैं, तो वहीं धार्मिक मान्यताएं भी अपना तर्क देती हैं. विज्ञान की मानें तो चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ने और सूर्य के प्रकाश को उस तक पहुंचने में बाधा पड़ने का दृश्य ही चंद्रग्रहण कहलाता है. वहीं, ग्रहण के पीछे अलग-अलग देशों में कई धार्मिक मान्यताएं भी है. ज्योतिष के अनुसार पुराने समय में ग्रहण के समय याचक लोग शोर मचाते, ढोल बजाते और दैत्यों की भर्त्सना में जोर-जोर से अपशब्द कहते सुने जाते थे. धार्मिक लोग उस समय विशेष रूप से जप-तप और दान-पुण्य करते थे. विश्वास किया जाता था कि राहु-केतु नामक दैत्य सूर्य-चंद्र पर आक्रमण करके उन्हें निगलने का प्रयत्न करते हैं. जितना अंग उनके मुंह में घुस जाता है, उतने से ग्रहण दृष्टिगोचर होता है. इस प्रताड़ना से इन देवताओं को बचाने के लिए दान-पुण्य, जप-तप किया जाता था, इसलिए कृतज्ञता निर्वाह के लिए वैसा करने की आवश्यकता समझी और पूरी की जाती थी.
जानें चंद्र ग्रहण का समय
चंद्र ग्रहण का समय शुरू – 5 जून को रात को 11.15
परमग्रास चन्द्र ग्रहण – 6 जून को दिन के 12.54 बजे
उपछाया चंद्र ग्रहण से अन्तिम स्पर्श – 2.34 बजे
चंद्र ग्रहण का कुल समय – 3 घंटे और 18 मिनट
जानिए ग्रहण के दौरान क्या हैं धार्मिक मान्यताएं
– धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में भगवान की मूर्ति स्पर्श नहीं करनी चाहिए.
– सूतक काल के समय शुभ काम और पूजा पाठ नहीं की जाती है. भगवान की मूर्ति को स्पर्श करने की भी मनाही होती है.
– ग्रहण के दौरान बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए. इसके अलावा न तो कुछ खाना चाहिए और न ही खाना बनाना चाहिए.
– चंद्र ग्रहण के समय पति-पत्नी को संभोग नहीं करना चाहिए.
– सूतक काल ग्रहण लगने पहले ही शुरू हो जाता है. इस समय खाने पीने की मनाही होती है.
– गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के समय विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसी महिलाओं को चंद्र ग्रहण नहीं देखना चाहिए. चंद्र ग्रहण देखने से शिशु पर दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं. गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय कैंची, चाकू आदि से कोई वस्तु नहीं काटनी चाहिए.
क्या होता है उपच्छाया चंद्र ग्रहण
चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है, जो तब घटित होती है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है. ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में स्थित रहें. तो वहीं उपच्छाया चंद्र ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी की परिक्रमा करने के दौरान चंद्रमा पेनुम्ब्रा से हो कर गुजरता है. ये पृथ्वी की छाया का बाहरी भाग होता है. इस दौरान, चंद्रमा सामान्य से थोड़ा गहरा दिखाई देता है.