शरद पूर्णिमा पर लगेगा भारत में दिखने वाला चंद्र ग्रहण, सूतक काल भी होगा मान्य, जानें खीर रखने का समय
Chandra Grahan 2023: साल का अंतिम चंद्रग्रहण 28 अक्तूबर को लगेगा. इस दिन लगने वाला चंद्र ग्रहण साल का आखिरी ग्रहण होगा. ये ग्रहण भारत में दिखेगा और इसका सूतक काल भी मान्य रहेगा. चंद्रग्रहण का सूतक काल शाम 4 बजकर 05 मिनट से आरंभ होगा और देर रात 2 बजकर 24 मिनट तक प्रभावी रहेगा.
शरद पूर्णिमा पर लगने वाला चंद्र ग्रहण भारतीय समय अनुसार 28 अक्टूबर की रात 1 बजकर 44 मिनट से चंद्र ग्रहण शुरू हो जाएगा. चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले यानी दोपहर 4 बजकर 44 मिनट से शुरू हो जाएगा. सूतक चंद्र ग्रहण खत्म होने तक यानी 2 बजकर 24 मिनट तक रहेगा.
शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगेगाआश्विन पूर्णिमा 28 अक्टूबर दिन शनिवार को है. इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इस साल शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगेगा. ज्योतिषाचार्य के अनुसार सूतक काल शुरू होने से पहले पूर्णिमा से जुड़े शुभ काम करेंगे तो बेहतर रहेगा.
धार्मिक मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं और देखती हैं कि कौन जाग रहा है, इसलिए शरद पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा भी कहते हैं. इस दिन देवी लक्ष्मी पूजा करने का विशेष महत्व है.
सूतक काल कब लगेगाशरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का सूतक होने से दोपहर 4 बजकर 44 मिनट से पहले पूजा-पाठ करना चाहिए, इसके बाद ग्रहण खत्म होने तक यानी रात 2 बजकर 24 मिनट तक देवी के मंत्रों का जप कर सकते हैं. ग्रहण के सूतक के समय में दान-पुण्य करेंगे तो बहुत शुभ रहेगा.
शरद पूर्णिमा की खीर कब रखना चाहिएशरद पूर्णिमा की खीर ग्रहण खत्म होने के बाद बनाएंगे तो बेहतर रहेगा, क्योंकि शास्त्रों की मान्यता है कि ग्रहण और सूतक के समय में खाना न तो बनाना चाहिए और न ही खाना चाहिए. इस दौरान खाने को अपवित्र होने से बचाने के लिए खाने में तुलसी के पत्ते डालने की परंपरा है.
ऐसे कर सकते हैं महालक्ष्मी की पूजाशरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा है, क्योंकि देवी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं. रातभर जागकर पूजा-पाठ और मंत्र जप करते रहना चाहिए. घर के अंदर और बाहर दीपक जलाना चाहिए. मंत्र जप कम से कम 108 बार करना चाहिए. जप के लिए कमल के गट्टे की माला का उपयोग करना चाहिए. मंत्र- ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम:।