Banke Bihari Mandir: शरद पूर्णिमा के दिन ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के दर्शन समय में हुआ बदलाव, जानें कारण

Banke Bihari Mandir: इस बार चंद्रग्रहण के कारण ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर चंद्रमा की रोशनी में नहीं सूर्य की रोशनी में भक्तों को मुरली बजाते हुए दर्शन देंगे. इस बार चंद्रग्रहण के कारण श्रद्धालुओं को चांदनी रात में ठाकुरजी के ये अद्भुत दर्शन नहीं सकेंगे.

By Shaurya Punj | October 26, 2023 8:00 AM
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Banke Bihari Mandir: इस बार 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु कान्हा की नगरी वृंदावन में आएंगे. शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में अपने आराध्य के दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी यहां पहुंचते हैं. लेकिन, इस बार चंद्रग्रहण के कारण ठाकुरजी चंद्रमा की रोशनी में नहीं सूर्य की रोशनी में भक्तों को मुरली बजाते हुए दर्शन देंगे. इस बार चंद्रग्रहण के कारण श्रद्धालुओं को चांदनी रात में ठाकुरजी के ये अद्भुत दर्शन नहीं सकेंगे. अब उन्हें अगली शरद पूर्णिमा की रात का इंतजार करना होगा.

शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण के कारण सूतक काल में नहीं होंगे बांकेबिहारी के दर्शन

शरद पूर्णिमा पर इस साल का आखिरी ग्रहण लगेगा. यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा. इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल भी माना जाएगा. सूतक काल के शुरू होते ही पूजा पाठ बंद कर दिए जाते हैं. श्रद्धालुओं का मंदिरों में प्रवेश और पूजन निषेध होता है. इसलिए देश के सभी मंदिरों सहित बांकेबिहारी मंदिर में भी पूजा का समय बदल जाएगा. दरअसल शरद पूर्णिमा पर साल में एक ही दिन ठाकुर बांकेबिहारी मुरली बजाते हुए महारास की मुद्रा में चंद्रमा की धवल चांदनी में भक्तों को दर्शन देते हैं. इसका भक्त पूरे साल इंतजार करते हैं. इस बार 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण के कारण ऐसा नहीं होगा. 28 अक्तूबर को दोपहर बाद 3.30 बजे बांकेबिहारी मंदिर के पट बंद हो जाएंगे. ऐसे में श्रद्धालुओं की चंद्रमा की धवल चांदनी में बांकेबिहारी के दर्शन करने की इच्छा पूरी नहीं हो सकेगी.

29 अक्‍टूबर से हो सकेंगे सामान्‍य दर्शन

वहीं, 3 बजकर 25 मिनट पर शयन आरती होगी जिसके बाद साढ़े 3 बजे मंदिर के पट बंद हो जाएंगे और उसके बाद उस दिन श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन नहीं कर सकेंगे. वहीं अलगे दिन 29 अक्टूबर रविवार को सामान्य दिनों की तरह ही श्रद्धालु बांके बिहारी जी का दर्शन कर सकेंगे.

तिरूमाला मंदिर भी दर्शन को लेकर हुआ बदलाव

इसी तरह आंध्र प्रदेश का तिरूमाला मंदिर भी ग्रहण के कारण 28 अक्टूबर की शाम को बंद हो जाएगा. शाम 7 बजे के बाद किसी को इसमें दर्शन नहीं करने दिए जाएंगे.

शरद पूर्णिमा पर बांकेबिहारी मंदिर के दर्शन समय में बदलाव

शरद पूर्णिमा पर 28 अक्तूबर को सुबह राजभोग सेवा के दर्शन तय समय 7.45 बजे खुलेंगे.

दोपहर को एक घंटे पहले 10.55 बजे राजभोग आरती के बाद 11 बजे मंदिर के पट बंद हो जाएंगे. सामान्य दिनों में दोपहर को 12 बजे मंदिर के पट बंद हो रहे हैं.

इसी तरह सायंकालीन शयनभोग सेवा के दर्शन दोपहर 12.30 बजे खुलेंगे, जो सामान्य दिनों में शाम 4.30 बजे खुलते हैं.

दोपहर बाद 3.25 बजे शयन आरती करने के साथ 3.30 बजे मंदिर के पट बंद कर दिए जाएंगे.

सूतक काल के कारण दोपहर बाद 3.30 बजे ही ठाकुरजी के पट बंद हो जाएंगे.

इसके बाद 29 अक्तूबर को नियमित समय 7.45 बजे ही दर्शन खुलेंगे.

बांके बिहारी मंदिर किसने बनवाया था

बांके बिहारी मंदिर पौराणिक मान्यताओं के अनुसार,स्वामी हरिदास श्री कृष्ण के भक्त थे वह श्री कृष्ण की की भक्ति निधिवन में क्या करते थे प्रेम भाव की भक्ति को ही देख कर श्री कृष्ण ने उन्हें दर्शन दिए और निधिवन में काले रंग की मूर्ति में प्रकट हुए,स्वामी हरिदास ने अपने परिवार की सहायता से बांके बिहारी मंदिर 1864 में बांके बिहारी मंदिर का निर्माण कराया था

बांके बिहारी मंदिर में बार बार पर्दा क्यों लगाते हैं?

बांके बिहारी मंदिर में बहुत चमत्कार होते है उनमे से एक चमत्कार ये भी है जब भी आप बांके बिहारी मंदिर जायेंगे तो आप देखेंगे की आपको दर्शन टुकड़ों में कराए जाते है बार बार पर्दा लगा दिया जाता है वो इस लिए, एक बार बांके बिहारी जी के भक्त दर्शन करने के लिए आते है और बहुत प्रेम से मन लगाकर भगवान बांके बिहारी जी की मूर्ति को देखने लगते है, तब भगवान उस भक्त के प्रेम से खुश होकर उनके साथ ही चलने लगते है,जब पंडित जी को पता चलता है मंदिर में भगवान कृष्ण जी की मूर्ति नहीं है तो उन्होंने भगवान से बड़ी मनुहार की और वापस मंदिर में चलने को कहा,तब से आज तक बांके बिहारी जी की मूर्ति पर बार-बार पर्दा लगाने की परंपरा चली आ रही है.

बांके बिहारी नाम कैसे पड़ा

आपको पता स्वामी हरिदास जी श्री कृष्ण के बहुत पड़े भक्त थे हरिदास जी के एक शिष्य ने जब उनसे कहा की हमें भगवन जी के दर्शन करने है हरिदास जी दर्शन करने के लिए भक्ति में लीन हो गए और भगवान श्री कृष्ण और राधा जी ने उन्हें दर्शन दिए और उनके पास रहने की इच्छा जाहिर की, स्वामी हरिदास जी ने भगवान जी से कहा हमारे पास आपके लिए लंगोट है लेकिन माता राधा के लिए हमारे पास कोई आभूषण नहीं है हम सिर्फ संत है ऐसा सुन कर श्री कृष्ण और राधा एक होकर अपनी प्रतिमा प्रकट की हरिदास जी ने इनका नाम बांके बिहारी रखा.

बांके बिहारी मंदिर में खास क्या है?

अगर आप कभी भी बांके बिहारी मंदिर गए होंगे तो आपने बहुत चीजे और अन्य मंदिरों से अलग देखी होंगी आप बांके बिहारी मंदिर के ठाकुर जी के जब दर्शन करते है तो आप ध्यान देना बार बार पर्दा लगा दिया जाता है

प्रश्न:- बांके बिहारी मंदिर कब खुलता है

जवाब :-बांके बिहारी मंदिर सुबह 7:30 पर खुलता है

प्रश्न:- बांके बिहारी के नाम का क्या मतलब होता है

जवाब :- बांके बिहारी जी के नाम का मतलब होता है श्री कृष्णा

प्रश्न:- बांके बिहारी जी की पूजा कैसे करे

जवाब :- बांके बिहारी जी को दूध ,दही ,माखन बाल अवस्था से बहुत पसंद थे

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