चंद्रग्रहण लगने का समय आश्विन मास के शरद पूर्णिमा तिथि यानि 28 अक्टूबर दिन शनिवार की मध्य रात्रि के 01 बजकर 06 मिनट से लेकर रात्रि के 2 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. भारत में ग्रहण की अवधि 1 घंटा 16 मिनट की होगी. ग्रहण काल के दौरान चंद्रमा को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए.
चंद्र ग्रहण लगने के 9 घंटे पहले ही सूतक लग जाता है. सूतक काल का अर्थ है- ऐसा समय जब पृथ्वी पर प्रकृति संवेनशील स्थिति में होती है. ऐसी स्थिति में किसी अनहोनी की संभावान अधिक बढ़ जाती है. इसलिए सूतक की अवधि को अशुभ माना जाता है.
शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर रात को खुले आकाश के नीचे रख कर अगले दिन उसका सेवन किया जाता है. इसीलिए शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी में रखी गई खीर का बहुत महत्व बताया गया है. इस साल पूर्णिमा तिथि 28 अक्टूबर 2023 को सुबह 04 बजकर 17 मिनट से शुरू होगी और 28-29 अक्टूबर 2023 की रात 01 बजकर 53 मिनट पर पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी. वहीं 28 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 47 मिनट पर चंद्रोदय होगा.
शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है, इसीलिए इस दिन खुले आसमान के नीचे खीर रखकर अगले दिन खाया जाता है. ताकि अमृत के गुण मिल सके. लेकिन चंद्र ग्रहण में चंद्रमा की किरणें दूषित हो जाती है, इसे शरीर के लिए हानिकारक माना गया है. ऐसे में इस दिन खुले आसमान के नीचे खीर नहीं रखी जाएगी.
ग्रहण लगने की घटना को खास माना गया है. फिर चाहे यह वैज्ञानिक दृष्टि से हो, धार्मिक दृष्टि से हो या ज्योतिषीय दृष्टि से. विज्ञान में ग्रहण लगने की घटना को खगोलीय घटना माना गया है. वहीं ज्योतिष और धार्मिक दृष्टिकोण से इसे शुभ नहीं माना जाता है.
इस साल का अंतिम और दूसरा चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर 2023 को लगने वाला है. यह चंद्र ग्रहण इसलिए भी खास होगा, क्योंकि इसे भारत में भी देखा जा सकेगा. वहीं 2023 में लगने वाले सभी ग्रहण में यह चंद्र ग्रहण अकेला ऐसा ग्रहण होगा, जो भारत में दिखाई देगा.
28 अक्टूबर 2023 को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा और इस ग्रहण का प्रभाव भी पड़ेगा. इसलिए यहां इसका सूतक भी मान्य होगा. चंद्र ग्रहण लगने के 9 घंटे पहले ही सूतक लग जाता है और ग्रहण समाप्त होने के बाद स्वयं समाप्त हो जाता है.