Chandrayaan-3: आने वाले शुक्रवार यानी 14 जुलाई को इसरो अपने चंद्रयान-3 मिशन का आगाज करने जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का यह मिशन बहुत अहम है। एलभीएम-3 (LVM3) रॉकेट के सफल परीक्षण के बाद ही इसरो (ISRO) प्रमुख एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन की तारीख की घोषणा की थी. चंद्रमा तक पहुंचने का इसका रास्ता ठीक वैसा ही होगा, जैसा चंद्रयान-2 का था.
चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को चंद्रयान-2 के उत्तराधिकारी के रूप में लॉन्च किया जाएगा, जिसे लगभग चार साल पहले 22 जुलाई, 2019 को चंद्रमा की सतह की ओर भेजा गया था. दुर्भाग्य से, पिछले चंद्र मिशन को दुर्घटना के कारण आंशिक विफलता का सामना करना पड़ा था.
इससे पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया था कि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान-3 युक्त एनकैप्सुलेटेड असेंबली को एलवीएम3 के साथ जोड़ा गया. यह मिशन भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बना देगा.
चंद्रयान-3 चंद्रमा पर पता करेगा कि वहां का तापमान कैसा है, सतह पर भूकंप कैसे और कितने आते हैं, वहां प्लाज्मा एन्वायर्नमेंट कैसा है और वहां की मिट्टी में कौन से तत्व हैं. चंद्रयान मिशन के तहत इसरो चांद पर पहुंचना चाहता है. भारत ने पहली बार 2008 में चंद्रयान-1 की सक्सेसफुल लॉन्चिग की थी.
पिछले साल अगस्त में इसरो ने चंद्रयान-3 की पहली झलक दिखाई थी. चंद्रयान-3 को साल 2020 के आखिर में लॉन्च किया जाना था, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इस मिशन में देरी हुई. यह एक लैंडर-स्पेसिफिक मिशन है, जिसमें कोई ऑर्बिटर नहीं होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि चंद्रयान -2 का पहला ऑर्बिटर सही तरीके से काम कर रहा है. चंद्रयान-3 मिशन इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह चंद्रमा पर उतरने की इसरों की दूसरी कोशिश होगा और इंटरप्लेनेटरी मिशन की राह को बेहतर बनाएगा.
इसरो (ISRO) प्रमुख एस सोमनाथ ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि चंद्रयान-3 को बनाते वक्त उन सभी बातों का खासा ख्याल रखा गया है जिसके कारण मिशन के दौरान गड़बड़ हो सकती है. उनके अनुसार, इस बार पिछली बार के सक्सेज बेस्ड अप्रोच की जगह फेलियर बेस्ड डिजाइन पर तैयार किया गया है. इस मिशन में सभी संभावित गड़बड़ी को दूर किया गया है.
इसरो प्रमुख ने बताया कि अगर यह मिशन सफल होता है तो चंद्रमा पर होने वाली अगले मिशन की नींव पड़ेगी. उन्होंने बताया कि भारत जापान के साथ मिलकर अगला मून प्रोजेक्ट तैयार करेगा. उन्होंने कहा कि अगले मून मिशन के लिए इसरो और जापान ऐरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के बीच में बातचीत चल रही है, जल्द ही इसके बारे में जानकारी साझा की जाएगी.
चंद्रयान-2 मिशन की असफलता के बाद इसरो ने इस बार चंद्रयान में कुछ बदलाव किए हैं. चंद्रयान-3 को लैंडर हैज़र्ड डिटेक्शन और अवॉइडेंस कैमरा के साथ लॉन्च किया जाएगा जिसका उपयोग ऑर्बिटर के साथ समन्वय और मिशन नियंत्रण के लिए किया जाएगा क्योंकि लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा, जबकि चंद्रयान -2 में केवल एक कैमरा था. चंद्रयान-3 में ऐसे दो कैमरे लगाए गए हैं. दोनों वर्जन में बड़ा अंतर है. चंद्रयान-2 ऑर्बिटर को नौ इन-सीटू उपकरणों की प्रभावशाली सूची के साथ लॉन्च किया जाएगा जो अभी भी चंद्रमा की कक्षा में काम कर रहा है.
चंद्रयान-3 मिशन की पूरी लागत कितनी है? इसको लेकर कई प्रश्न पूछे जा रहे हैं. चंद्रयान-3 को तैयार करने में करीब 615 करोड़ रुपये लगे हैं. आपको बता दें कि एसएस राजामौली की फिल्म RRR को बनाने में ही 600 करोड़ रुपये खर्च हो गए थे. इस लिहाज से देखें तो इसरो ने बहुत ही सीमित बजट में देश को गौरवांवित करने वाला यह चंद्रयान-3 बनाया है. हालांकि, चंद्रयान-3 का खर्च सिर्फ 615 करोड़ ही नहीं है, इस पर करीब 1 हजार करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं, लेकिन इसमें कई दूसरे खर्च भी शामिल होंगे.
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया है कि चंद्रमा पर महत्वाकांक्षी मिशन के लॉन्च का गवाह बनने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई गणमान्य व्यक्तियों को निमंत्रण भेजा गया है. अब देखने वाली बात यह होगी की क्या प्रधानमंत्री मोदी 2019 में चंद्रयान -2 के लॉन्च जैसे इस बार भी यहां मौजूद रहेंगे या नहीं.