Chandrayaan-3 Launch LIVE Streaming: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि देश के तीसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ (Chandrayaan-3) के प्रक्षेपण के लिए उलटी गिनती अंतरिक्ष केंद्र में शुरू हो गई. शुक्रवार को रवाना होने वाला ‘चंद्र मिशन’ वर्ष 2019 के ‘चंद्रयान-2’ का अनुवर्ती मिशन है. lvm 3m4 -चंद्रयान-3 मिशन: शुक्रवार-14 जुलाई को 14.35 बजे (दोपहर दो बजकर 35 मिनट) को लॉन्च किया जाएगा. चंद्रयान-3 मिशन की सफलता से अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद भारत चौथा देश बन जाएगा, जिसने चंद्रमा पर साफ्ट लैंडिंग की महारत हासिल की है.
इन प्लेटफॉर्म्स पर होगी लॉन्चिंग की लाइव स्ट्रीमिंग
इसरो के ऑफिशियल यू-ट्यूब चैनल पर चंद्रयान-3 लॉन्चिंग की लाइव स्ट्रीमिंग दिखाई जाएगी.
दूरदर्शन पर भी लॉन्चिंग का लाइव प्रसारण दिखाया जाएगा.
इसरो ने अपने यू-ट्यब चैनल में लोगों की सुविधा के लिए लाइव प्रसारण शुरू किया है. यहां आप दो बजकर 35 मिनट पर प्रक्षेपित किये जाने वाले चंद्रयान-3 का लाइव देख सकते हैं.
कहां और कैसे देखें चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग को अगर आप लाइव देखना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको इसरो के आधिकारिक यूट्यूब चैनल या दूरदर्शन पर वास्तविक समय में लॉन्च देख सकते हैं. इसके साथ सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च को लाइव देखना है, तो इसके लिए ivg.shar.gov.in/ पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
LVM3 M4/Chandrayaan-3 Mission:
Mission Readiness Review is completed.
The board has authorised the launch.
The countdown begins tomorrow.The launch can be viewed LIVE onhttps://t.co/5wOj8aimkHhttps://t.co/zugXQAY0c0https://t.co/u5b07tA9e5
DD National
from 14:00 Hrs. IST…— ISRO (@isro) July 12, 2023
पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि जहां तक भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र का सवाल है, 14 जुलाई 2023 हमेशा सुनहरे अक्षरों में अंकित रहेगा. हमारा तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 अपनी यात्रा पर निकल जाएगा.
14th July 2023 will always be etched in golden letters as far as India’s space sector is concerned. Chandrayaan-3, our third lunar mission, will embark on its journey. This remarkable mission will carry the hopes and dreams of our nation. pic.twitter.com/EYTcDphaES
— Narendra Modi (@narendramodi) July 14, 2023
चंद्रयान-3 की लैंडिंग कहां होगी?
इसरो ने चंद्रमा पर दक्षिणी ध्रुव पर सुरक्षित लैंडिंग क्षेत्र ढूंढ़ा है. वह लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर 70 डिग्री लेटीट्यूड पर उतारेगा, जहां आज तक कोई यान नहीं उतरा है. इससे पहले चीन ने 45 डिग्री लेटीट्यूड पर अपना लैंडर उतारा था. अब तक अन्य देश चंद्रमा की मध्य रेखा पर ही अपने यान उतारे हैं, क्योंकि वहां की सतह समतल है.
दुनिया का चौथा देश
इससे पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया था कि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान-3 युक्त एनकैप्सुलेटेड असेंबली को एलवीएम3 के साथ जोड़ा गया. यह मिशन भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बना देगा.
पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन बोले- भारत पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा बनेगा
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग पर इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने कहा कि चंद्रयान-3 निश्चित रूप से भारत के लिए गेम चेंजर साबित होगा और मुझे उम्मीद है कि यह सफल होगा. भारत पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा बनेगा.
#WATCH | Kerala | ''Chandrayaan-3 will definitely be a game changer for India and I hope it will be successful. India will become an inspiration to the entire world. Let's wait for the launch and pray for the best…": Nambi Narayanan, Former ISRO Scientist on the launch of… pic.twitter.com/z0O4YYJN03
— ANI (@ANI) July 13, 2023
कई आधुनिक तकनीकों से लैस
-अल्टीमीटर : लेजर और आरएफ आधारित अल्टीमीटर
-वेलोसीमीटर : लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर और लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरा
-एनर्शियल मेजरमेंट : लेजर गायरो आधारित एनर्शियल रेफरेंसिंग और एक्सेलेरोमीटर पैकेज
-प्रोपल्शन सिस्टम : 800एन थ्रॉटलेबल लिक्विड इंजन, 58एन एटिट्यूड थ्रस्टर्स और थ्रॉटलेबल इंजन कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स
-नेविगेशन, गाइडेंस एंड कंट्रोल : पावर्ड डिसेंट ट्रैजेक्टरी डिजाइन और सहयोगी सॉफ्टवेयर एलिमेंट
-खतरे का पता लगाना और बचाव
-लैंडिंग लेग मेकेनिज्म
मिशन पूरा होने में लगेंगे करीब 42 दिन
इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 42 दिन लगने की संभावना है, चंद्रमा पर लैंडिंग 23 अगस्त को होनी है. चंद्र दिन और रात पृथ्वी के 14 दिनों तक चलते हैं. लैंडर और रोवर को केवल एक चंद्र दिवस तक चलने के लिए बनाया गया है – वे चंद्र रात के दौरान तापमान में अत्यधिक गिरावट को सहन नहीं कर सकते हैं और इसलिए उन्हें भोर में ही उतरना पड़ता है.
मिशन चंद्रयान-3 की खासियत
चंद्रयान-3 में एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल, एक प्रोपल्शन मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है.इसका उद्देश्य अंतरग्रहीय मिशनों के लिए जरूरी नई तकनीकों का विकास और प्रदर्शन करना है.लैंडर में एक निर्दिष्ट चंद्र स्थल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को तैनात करने की क्षमता होगी, जो चलने के दौरान चंद्र सतह का इन-सीटू रासायनिक विश्लेषण करेगा.
चंद्रयान- 3 एक अंतरिक्ष यान है, जो चंद्रयान- 2 का फॉलो ऑन मिशन, यानी अनुवर्ती अभियान है. दूसरे शब्दों में कहें, तो चंद्रयान- 3, चंद्रयान- 2 के बाद का अभियान है जो चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और रोविंग की अपनी क्षमता प्रदर्शित करेगा और चंद्रमा की सतह से जुड़ी तमाम वैज्ञानिक जानकारियां जुटायेगा.
इसरो का भविष्य
इसरो प्रमुख ने बताया कि अगर यह मिशन सफल होता है तो चंद्रमा पर होने वाली अगले मिशन की नींव पड़ेगी. उन्होंने बताया कि भारत जापान के साथ मिलकर अगला मून प्रोजेक्ट तैयार करेगा. उन्होंने कहा कि अगले मून मिशन के लिए इसरो और जापान ऐरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के बीच में बातचीत चल रही है, जल्द ही इसके बारे में जानकारी साझा की जाएगी.
चंद्रयान-2 से ऐसे अलग है चंद्रयान-3 मिशन
चंद्रयान-2 में लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर था, जबकि चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर के बजाय स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल शामिल किया गया है. हालांकि जरुरत पड़ने पर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की मदद ली जाएगी. प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर को चंद्रमा की सतह पर छोड़कर, चांद की कक्षा में 100 किलोमीटर ऊपर चक्कर लगाता रहेगा. यह कम्यूनिकेशन के लिए है.