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केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, वैज्ञानिक और सामाजिक महत्व भी है छठ का

हिंदू धर्म में देवी-देवताओं को त्योहारों के साथ जोड़कर आस्था प्रकट करने की सदियों पुरानी परंपरा रही है. लेकिन, छठ पर्व पर सूर्य देवता की आराधना का खास महत्व है.

अशोक घोष,

बिहार राज्य नियंत्रण पर्षद के पूर्व अध्यक्ष

छठ महज एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, इसका वैज्ञानिक और सामाजिक महत्व भी है. इस चमत्कारी व्रत से जीवन के हर हिस्से में बेहतरी आती है. इसीलिए इस महान पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है. छठ पूजा प्रकृति की पूजा भी है. इस मौके पर सड़कें, गलियां, नदियां, तालाब और जलाशयों की सफाई की जाती है. यह उस सूर्य की पूजा है, जिसके प्रकाश से जीवन की उत्पत्ति होती है.

हिंदू धर्म में देवी-देवताओं को त्योहारों के साथ जोड़कर आस्था प्रकट करने की सदियों पुरानी परंपरा रही है. लेकिन, छठ पर्व पर सूर्य देवता की आराधना का खास महत्व है. छठ पर्व सबसे कठिन व्रत माना जाता है. इसका अपना वैज्ञानिक महत्व भी है, जो आस्था के साथ जीवन के संचार को बताता है. यूं तो सभी देवी-देवताओं के प्रति लोगों की आस्था जुड़ी है, लेकिन सूर्य भगवान को समर्पित छठ पर्व वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी खास पर्व है.

सूर्य देव को लोग प्रत्यक्ष रूप से तो देखते ही हैं, इसके साथ ही उनके प्रकाश से जीवन की उत्पत्ति को भी देखा जा सकता है. बिना सूर्य की किरणों के संसार में किसी जीव, जंतु और पेड़-पौधे की उत्पत्ति ही नहीं हो सकती है. सूर्य की किरणों के जरिये फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया के जरिये ही अनाज, फल और फूलों की पैदावार होती है. सूर्य की किरणों से प्राप्त होने वाली ऊर्जा के बिना इको सिस्टम की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. सूर्य देवता को पानी में खड़े होकर अर्घ देने से स्नायुतंत्र शरीर को कंट्रोल करने के साथ ही सक्रिय हो जाता है.

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इसके साथ ही दिमाग की कार्य क्षमता में भी बढ़ोतरी होती है. इसके अलावा छठ पर्व पर्यावरण संरक्षण की दृष्टिकोण से भी खासा महत्व रखता है. छठ पर्व में उपयोग की जाने वाली सारी सामग्री नेचुरल होने के साथ ही बायोडिग्रेडेबल होती है. इससे प्रकृति पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता है. छठ पर्व पर उन ही सामग्रियों को भगवान के समक्ष चढ़ाया जाता है, जिसकी उत्पत्ति ही भगवान सूर्य की बदौलत ही हुई है.

इसके अलावा छठ पर्व कम्यूनिटी को एक साथ जोड़ने वाला पर्व भी है. एक तरह से पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों का एकजुट होना ही इसकी बड़ी शर्त है. इसका जीता जागता सबूत छठ पर्व में देखने को मिलता है. साफ-सफाई को महत्व देने वाला छठ पर्व लोगों की एकता की ताकत को दर्शाते हुए यह सीख भी देता है कि अगर लोग पर्यावरण संरक्षण के प्रति एकजुट हो जाएं, तो स्वच्छता के जरिये विभिन्न बीमारियों से निजात पाया जा सकता है. इसके साथ ही प्राकृतिक आपदा से भी बच जा सकते हैं.

(हमारे संवाददाता अंबर से बातचीत पर आधारित)

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