Chhath Kharna Puja 2022 LIVE Updates: आज है छठ का दूसरा दिन, जानें किस तरह होगी पूजा, देखें शुभ मुहूर्त
Chhath Kharna Puja 2022 LIVE Updates: आज यानी 29 अक्टूबर को छठ महापर्व का दूसरा दिन है. इस दिन से व्रत भी शुरू हो जाते हैं. . इस दौरान खीर के अलावा पूरियों और मिठाइयों का भी भोग लगाया जाता है. भगवान सूर्य की पूजा करने के बाद इसी प्रसाद को ग्रहण करते हैं और फिर इसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. जानते हैं जानें कैसे करें खरना, क्या है पूजा विधि और महत्व
मुख्य बातें
Chhath Kharna Puja 2022 LIVE Updates: आज यानी 29 अक्टूबर को छठ महापर्व का दूसरा दिन है. इस दिन से व्रत भी शुरू हो जाते हैं. . इस दौरान खीर के अलावा पूरियों और मिठाइयों का भी भोग लगाया जाता है. भगवान सूर्य की पूजा करने के बाद इसी प्रसाद को ग्रहण करते हैं और फिर इसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. जानते हैं जानें कैसे करें खरना, क्या है पूजा विधि और महत्व
लाइव अपडेट
तीसरा दिन (अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य)- 30 अक्टूबर 2022, रविवार (Chhath Puja Sunset arghya 2022)
छठ पूजा के तीसरे दिन छठी मैय्या और सूर्यदेव का पूजन होता है. सूर्यास्त के समय डूबते सूर्य को व्रती नदी, तालाब या घर में ही पानी में खड़े होकर अर्घ्य देते हैं.
दूसरा दिन (खरना)- 29 अक्टूबर 2022, शनिवार (Chhath Puja Kharna 2022)
इस दिन से म व्रती महिलाएं गुड़ की खीर का प्रसाद बनाती है और उसे रात में ग्रहण करती है. खरना का तात्पर्य है तन और मन का शुद्धिकरण. इसके बाद से व्रती का 36 घंटे का व्रत शुरू हो जाता है जो सप्तमी पर समाप्त होता है.
आज किस तरह होगी पूजा?
खरना वाले दिन दूध और गंगाजल, गुड़ एवं अरवा चावल मिलाकर खीर बनाई जाती है. चीनी की अपेक्षा गुड़ को ज्यादा शुद्ध माना जाता है. पिसा हुआ गेहूं के आटे की रोटी बनती है. सभी प्रसाद आम की लकड़ी की आग पर बनाया जाता है. छठ व्रती पूरे दिन उपवास कर शाम में गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद बनाती हैं. शाम में सूर्य अस्त होने के बाद जैसे ही अंधेरा होता है उस वक्त भगवान भास्कर और छठी मां की पूजा करते हैं. खरना की पूजा पर पहले भगवान को अलग से प्रसाद चढ़ाया जाता है जो केले के पत्ते पर रखना शुभ माना जाता है.
छठ पूजा का दूसरा दिन (खरना, 29 अक्टूबर, 2022 शनिवार)
छठ महापर्व का खरना कार्तिक शुक्ल पंचमी के दिन पड़ता है. व्रती इस दिन व्रत करते हैं और स्नान के बाद छठी मैया का प्रसाद तैयार करते हैं. इस दिन गुड़ की खीर बनाई जाती है, जिसे शाम में पूजन के बाद घर के सभी सदस्यों में बांटा जाता है. इसके बाद व्रती भी इस खीर का सेवन करते हैं.
छठ पूजा प्रसाद
छठ पूजा में छठी मईया और सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए नाभ नींबू, नारियल, केला, ठेकुआ, गन्ना, सुथनी, सुपारी, सिंघाड़ा चढ़ाया जाता है.
छठ पूजा का प्रसाद बनाते समय रखें विशेष ध्यान
छठ पूजा के समय प्रसाद में लगने वाले सभी अनाजों की सफाई अच्छे से करें. इसे घर पर ही धोकर, कूटकर और पीसकर बनाया जाता है. छठ के प्रसाद में काम आने वाला अनाज में गलती से भी पैर नहीं लगना चाहिए. ऐसा करने से छठी मईया नाराज हो सकती हैं.
छठ पूजा 2022 की तिथियां (Chaath Puja 2022 Dates)
छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय 28 अक्टूबर 2022, शुक्रवार
छठ पूजा का दूसरा दिन खरना 29 अक्टूबर 2022, शनिवार
छठ पूजा का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य 30 अक्टूबर 2022, रविवार
छठ पूजा का चौथा दिन उषा अर्घ्य 31 अक्टूबर 2022, सोमवार
छठ पूजा का प्रसाद बनाते समय रखें विशेष ध्यान
छठ पूजा के समय प्रसाद में लगने वाले सभी अनाजों की सफाई अच्छे से करें. इसे घर पर ही धोकर, कूटकर और पीसकर बनाया जाता है. छठ के प्रसाद में काम आने वाला अनाज में गलती से भी पैर नहीं लगना चाहिए. ऐसा करने से छठी मईया नाराज हो सकती हैं.
छठ पूजा प्रसाद
छठ पूजा में छठी मईया और सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए नाभ नींबू, नारियल, केला, ठेकुआ, गन्ना, सुथनी, सुपारी, सिंघाड़ा चढ़ाया जाता है.
छठ पर व्रती महिलाएं जरूर करें इन नियमों का प्लान
आज नहाय खाय के साथ शुरू हुआ आस्था का महा पर्व छठ. व्रती महिलाएं आज के दिन सिर्फ एक बार खाना खाती हैं. छठ पूजा के दौरान सात्विक भोजन बनता है. इस पर्व के दौरान घर में साफ- सफाई रखनी चाहिए. इसके अलावा छठ पूजा के दौरान भगवान सूर्य को दूध और जल का अर्घ्य देना चाहिए.
छठी पूजा के दिन भूलकर न करें ये गलतियां
छठ पूजा का व्रत करने वाले व्यक्ति को बेड, गद्दा और पलंग पर नहीं सोना चाहिए. इस दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए. पूजा की चीजों को छूना से पहले हाथों का साफ से धोएं. छठी मैया को चढ़ाने वाली चीजें झूठी और खंडित नहीं होनी चाहिए. नहाय खाय के बाद से व्रत करने वाली महिलाओं को सात्विक भोजन करना चाहिए.
आज किस तरह होगी पूजा?
खरना वाले दिन दूध और गंगाजल, गुड़ एवं अरवा चावल मिलाकर खीर बनाई जाती है. चीनी की अपेक्षा गुड़ को ज्यादा शुद्ध माना जाता है. पिसा हुआ गेहूं के आटे की रोटी बनती है. सभी प्रसाद आम की लकड़ी की आग पर बनाया जाता है. छठ व्रती पूरे दिन उपवास कर शाम में गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद बनाती हैं. शाम में सूर्य अस्त होने के बाद जैसे ही अंधेरा होता है उस वक्त भगवान भास्कर और छठी मां की पूजा करते हैं. खरना की पूजा पर पहले भगवान को अलग से प्रसाद चढ़ाया जाता है जो केले के पत्ते पर रखना शुभ माना जाता है.
छठ पूजा 2022 की तिथियां (Chaath Puja 2022 Dates):
छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय 28 अक्टूबर 2022, शुक्रवार
छठ पूजा का दूसरा दिन खरना 29 अक्टूबर 2022, शनिवार
छठ पूजा का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य 30 अक्टूबर 2022, रविवार
छठ पूजा का चौथा दिन उषा अर्घ्य 31 अक्टूबर 2022, सोमवार
उपवास के दौरान बनता छठी मैया का प्रसाद ठेकुआ, पेडुकिया
इस दौरान खास ध्यान रखना होता है कि खरना वाले दिन घर का कोई भी सदस्य प्याज लहसन या तामसिक भोजन का सेवन ना करें. साथ ही मान्यता यह भी है कि इस दिन घर के सदस्य व्रती द्वारा दिए भोजन ग्रहण करने के बाद ही खाना खाते हैं. खरना के दिन खीर के साथ रोटी भी बनती है. जो खीर होती है वह गुड़ वाली होती है. प्रसाद में खीर और रोटी के साथ मौसमी फल और केला भी शामिल किया जाता. उसे एक साथ रखकर केले के पत्ते पर छठी माता को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. इसके बाद व्रती खुद भी इस प्रसाद को ग्रहण करके बाकी लोगों को खिलाती हैं. इसके साथ ही खरना के उपवास के दौरान छठी मैया को चढ़ने वाले पकवान यानी कि ठेकुआ, पेडुकिया और अन्य सामग्री बनाती हैं. इसे अर्घ्य देने के दौरान टोकरी में रखकर छठी मैया को चढ़ाए जाते हैं.
आम की लकड़ी पर खरना बनाना माना जाता है उत्तम
इस दिन देवता को चढ़ाए जाने वाले खीर को व्रती खुद ही पकाती हैं. खरना के दिन जो प्रसाद बनता है उसे नए चूल्हे पर बनाया जाता. इस दौरान व्रती खीर अपने हाथों से पकाती हैं. इसमें ईंधन के लिए सिर्फ आम की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता. आम की लकड़ी का इस्तेमाल इसलिए करते हैं क्योंकि इसे उत्तम माना जाता है. बता दें कि अलग चूल्हे और अलग स्थान पर खरना बनाया जाता. वहीं आजकल शहरों में लोग नए चूल्हे पर घर में छठ के खरना का प्रसाद बनाते. वहां चूल्हा और आम की लकड़ी उपलब्ध नहीं हो पाती. खास ध्यान रहे कि यह प्रसाद किचन में नहीं बल्कि किसी अन्य साफ-सुथरे स्थान पर बनाई जाती है.
इकट्ठी कर लें पूजा सामग्री
छठ पूजा के लिए बांस की बड़ी टोकरियों या सूप की जरूरत होगी. इसके अलावा लोटा, थाली, दूध और जल के लिए ग्लास, चावल, लाल सिंदूर, धूप, बड़ा दीपक, पानी वाला नारियल, गन्ना, सुथनी, शकरकंदी, हल्दी और अदरक का पौधा, नाशपाती, नींबू, शहद, पान, साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम, चन्दन और मिठाई की जरूरत होगी.
छठ पूजा की हो चुकी है शुरुआत
छठ पूजा में विशेष प्रकार का प्रसाद चढ़ाया जाता है. जैसे गन्ना, ठेकुआ और फल चढ़ाया जाता है. इस व्रत में साफ सफाई का खास ध्यान रखना होता है. छठ पूजा दिवाली के छह दिन बाद मनाई जाती है.आपको बता दें कि छठ में सूर्य देवता के साथ ही छठी मईया की पूजा की जाती है. वैसे बता दें कि पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, छठ का व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है. छठ पूजा में व्रती महिलाओं को पानी में खड़ा होकर ही सूर्य को अर्घ्य देना होता है.
पीत्तल के सूप की भी हुई शुरुआत
वैसे तो आजकल पीतल से बने सूप भी प्रयोग में शुरू हो गए हैं लेकिन फिर भी छठ में बांस के सूप की डिमांड इस दौरान बढ़ जाती है. सूप में फल व प्रसाद को सजाकर घाट ले जाया जाता है और इसी से सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है.
क्या है खरना
छठ पूजा का दूसरा यानी सबसे महत्वपूर्ण दिन खरना का होता है. खरना वाले दिन से व्रत का प्रारंभ होता है और और रात में पूरी पवित्रता के साथ बनी गुड की खीर का सेवन किया जाता है. खीर खाने के बाद अगले 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है. खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद भी तैयार किया जाता है.
खरना व्रत नियम
खरना के दिन प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत शुरू हो जाता है.
खरना व्रत के दिन व्रती को शाम को स्नान करना होता है.
इस दौरान विधि विधान से प्रसाद तैयार किया जाता है.
खरना के प्रसाद में मूली और केला इत्यादि शामिल किया जाता है.
इस दौरान बनने वाले प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर बनाए जाते हैं.
सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद व्रती महिलाएं प्रसाद ग्रहण करती हैं.
रोटी और गुड़ की बनी खीर होती खरना का प्रसाद
इस तरह करते हैं खरना पूजन
खरना के दिन व्रती कुल देवता और सूर्य देवता और साथ में छठ मैया की पूजा करते हैं और गुड़ से बनी खीर बनाते हैं और इसे ही भोग के रूप में अर्पित करते हैं. खरना के प्रसाद में चावल, घी लगी रोटी, गन्ने का रस, गुड़ से बनी रसिया, इत्यादि चीजें बनाई जाती है.
इसके बाद इन सभी चीजों का भगवान सूर्य को भोग लगाया जाता है और उसके बाद सब लोग इस भोग को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं.
छठ पूजा के दूसरे दिन गोधूलि बेला में भगवान सूर्य के प्रतिरूप को लकड़ी के एक पटरी पर स्थापित किया जाता है और उसके बाद इनकी पारंपरिक रूप से पूजा का विधान बताया गया है. खरना के बाद व्रत करने वाले लोग दो दिनों तक साधना में होते हैं.
इस दौरान उन्हें पूरी तरह से ब्रम्हचर्य का पालन करना होता है. इस दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप जमीन पर ही सोयें. इस दौरान बिस्तर पर सोना वर्जित होता है.
खरना पूजा शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)
लोहंडा और खरना 2022: 29 अक्टूबर, दिन शनिवार
सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 31 मिनट पर
सूर्योस्त: शाम 05 बजकर 38 मिनट पर
कब है खरना, तिथि
छठ व्रत का दूसरा दिन खरना के नाम से जाना जाता है. इस बार खरना की तारीख 29 अक्टूबर है. खरना के दिन व्रती महिलाएं गुड़ की खीर का प्रसाद बनाती हैं और रात को इसे खाती हैं. उसके बाद उसे प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाता है. इसी के बाद से 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत शुरू हो जाता है.
तन, मन से शुद्ध रहना होता है, महत्व
खरने का प्रसाद तन और मन की शुद्धता से बनता है. इस दौरान खीर के अलावा पूरियों और मिठाइयों का भी भोग लगाया जाता है. भगवान सूर्य की पूजा करने के बाद इसी प्रसाद को ग्रहण करते हैं और फिर इसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. ऐसे में खरना का दिन बहुत ही खास होता है क्योंकि दो दिन के व्रत के लिए महिलाएं शक्ति और पवित्रता का संकल्प लेती हैं
कल से छठ महापर्व शुरू
28 अक्टूबर यानी कल से आस्था का महापर्व छठ (Chhath Puja 2022) शुरू हो रही है. चार दिन तक चलने वाले इस त्योहार के एक एक दिन बहुत ही श्रद्धा के साथ मनाए जाते हैं. नहाय खाय के साथ इसका आगाज होता है और फिर खरना (Kharna 2022), सुबह और शाम के अर्घ्य बाद पूजा की समाप्ति होती है. छठ का पहला दिन नहाय खाय के साथ शुरू होता है, लेकिन खरने का भी बहुत ही महत्व है. 29 को खरना है और महिलाओं का व्रत भी शुरू हो जाता है.