लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा 2020 पर इस साल महंगाई हावी है. हालांकि फिर भी महंगाई का असर आस्था पर नजर नहीं आ रहा है. लोग पूजा सामग्री की खरीदारी कर रहे है. बाजारों में पूजा सामग्रियों के अनगिनत दुकानें सज गयी है. रविवार के सुबह से ही बाजार में रौनक बनी हुई है. पूजा सामग्री के विक्रेताओं और खरीदारों की माने तो गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष केला सहित अन्य फल के दामों में 50 फीसदी और अन्य वस्तुओं के दामों में 20 से 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
हिंदू धर्मावलंबियों के इस त्योहार के उपर महंगाई का प्रकोप रहने के कारण सबसे अधिक परेशानी मध्यम और निम्न वर्ग के लोगों को हो रही है. कम आय वाले श्रद्धालु पान नहीं तो पान की डंटी सही के तर्ज पर सीमित खर्च में ही इस महापर्व को मनाने की तैयारी में जुटे हुए है. सोमवार को त्योहार की खरीदारी करने पहुंचे मधेपुरा के बाजार में लोगों ने बताया कि महंगाई के कारण केला का घोर नहीं खरीद नहीं खरीद रहे है. दो हत्था केला से ही छठ मैया की अराधना कर लेंगे.
सूर्यदेव की अराधना के त्योहार छठ पूजा में फल का महत्वपूर्ण स्थान है. खास कर केला के घौर की खरीदारी सबसे अधिक होती है, लेकिन कोसी क्षेत्र में केला की वृहत पैमाने पर खेती नहीं होने के कारण त्योहार के मौके पर अत्यधिक मांग की पूर्ति के लिए केला भागलपुर, समस्तीपुर, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर आदि जगहों से मंगवाकर बिक्री की जाती है. नारियल फल का भी इस त्योहार महत्व है, जबकि कोसी क्षेत्र में नारियल की खेती बिल्कुल नहीं होती है. इन फलों के बाहर से मंगवाये जाने के कारण कीमत अत्यधिक बढ़ जाती है. इस वर्ष केला के घौर के दाम व्रतियों को परेशान कर रहा है. वहीं सेब, नारंगी, अनार आदि फल भी डिमांड रहने के कारण अचानक महंगा हो गया है.
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केला – 250 से 400 सौ रुपये प्रति घौर
सेब – 80 से 100 रुपये प्रति किलो
नारंगी – 80 से 100 रुपये प्रति किलो
अनार – 140 से 160 रुपये प्रति किलो
नारियल – 30 से 40 रुपये प्रति पीस
सिंघारा – 80 से 100 रुपये किलो
गन्ना – 07 से 20 रुपये प्रति पीस
अल्हुआ – 20 से 25 रुपये प्रति किलो
सुथनी – 20 से 30 रुपये प्रति किलो
हल्दी – 30 से 35 रुपये प्रति किलो
टाभ नीबू – 10 से 12 रुपये प्रति पीस
नीबू – 03 से 05 रुपये प्रति पीस
मौसमी – 40 से 55 रुपये प्रति किलो
अनानस 50 से 60 प्रति पीस
त्योहार के नजदीक आते ही बांस से बने सूप और डगरा के दामों में भी इजाफा हो गया है. मालूम हो कि छठ पूजा के दौरान बांस से बने इन बर्तनों का खास महत्व है.
सुप – 30 से 40 रुपये प्रति पीस
डगरा – 80 से 100 रुपये प्रति पीस
चंगेरा (दौरा) – 250 से 300 रुपये प्रति पीस
सुपती – 20 से 25 रुपये प्रति पीस
दशहारा, दीपावली व उसके बाद महापर्व छठ को लेकर खाद्य पदार्थ के वस्तुओं में भी महंगाई असर दिखा रही है. किराना दुकानदारों की माने तो त्योहार की इस मौसम में सभी तरह के खाद वस्तुओं के मूल्य में 10 से 25 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है. वहीं छठ त्योहार पर खजूर और पिरिकिया सभी घरों में बनाया जाता है. इन पकवानों का भोग भी सूर्यदेव को लगाये जाने की परंपरा रही है. त्योहार के इस मौसम में इन सामग्रियों के मूल्य में भी भारी इजाफा हुआ है.
आटा – 25 रुपये किलो
चीनी – 40 रुपये किलो
वनस्पति – 90 से 100 रुपये किलो
रिफाइन – 110 से 160 रुपये किलो
सरसो तेल – 120 से 140 रुपये किलो
मैदा – 28 रुपये किलो
सूजी – 30 रुपये किलो
छुहारा – 90 से 200 रुपये किलो
नारियल गड़ी – 280 रुपये किलो
काजू – 700 से 800 रुपये किलो
किशमिश – 320 से 380 रुपये किलो
लोक पर्व छठ के दौरान मनोती पूरा होने पर मिट्टी से बना हाथी चढ़ाने का रिवाज भी मिथिलांचल में परवान पर है. व्रतियों के डिमांड को देखते हुए इस वर्ष हाथी का दाम भी बढ़ गया है. वहीं छठ त्योहार के दौरान घाट पर कलश स्थापित कर चौमुख दीप प्रज्वलित करने और सभी घाट पर दीपावली के तरह मिटटी के दीप जलाये जाने का रिवाज भी है.
मिट्टी के दीप – 01 से 02 रुपये प्रति पीस
चौमुख दीप – 05 से 07 रुपये प्रति पीस
हाथी बड़ा – 150 से 350 रुपये प्रति पीस
हाथी छोटा – 100 से 200 रुपये प्रति पीस
कलश – 10 से 15 रुपये प्रति पीस
Posted by : Thakur Shaktilochan