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डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ समय
आज षष्ठी तिथि है. इस दिन संध्या अर्घ्य देने का मुहूर्त सबसे प्रमुख होता है. संध्या अर्घ्य मुहूर्त में सूर्यास्त के समय सूर्य देव को जल चढ़ाया जाता है. वहीं अगले दिन सप्तमी को ऊषा अर्घ्य मुहूर्त महत्वपूर्ण है. इसमें उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाने का विधान है. षष्ठी तिथि के दिन सूर्यास्त का समय शाम 05 बजकर 26 मिनट पर है.
छठी घाट पर ले जानें के लिए बनाएं ठेकुआ
ठेकुआ, मालपुआ, खीर, खजूर, चावल का लड्डू और सूजी का हलवा आदि छठ मइया को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है.
यहां जानें क्या होता है खरना
यह पर्व चार दिन तक मनाया जाता है. इस पर्व का दूसरा दिन खरना होता है. खरना का मतलब शुद्धिकरण होता है. जो व्यक्ति छठ का व्रत करता है उसे इस पर्व के पहले दिन यानी खरना वाले दिन उपवास रखना होता है. इस दिन केवल एक ही समय भोजन किया जाता है. यह शरीर से लेकर मन तक सभी को शुद्ध करने का प्रयास होता है. इसकी पूर्णता अगले दिन होती है.
यहां जानें खरना में प्रसाद ग्रहण करने का नियम
खरना पर प्रसाद ग्रहण करने का भी विशेष नियम है. जब खरना पर व्रती प्रसाद ग्रहण करता है तो घर के सभी लोग बिल्कुल शांत रहते हैं. चूंकि मान्यता के अनुसार, शोर होने के बाद व्रती खाना खाना बंद कर देता है. साथ ही व्रती प्रसाद ग्रहण करता है तो उसके बाद ही परिवार के अन्य लोग भोजन ग्रहण करते हैं.
खरना पर बनती है रसिया (खीर)
खरना के दिन रसिया का विशेष प्रसाद बनाया जाता है. यह प्रसाद गुड़ से बनाया जाता है. इस प्रसाद को हमेशा मिट्टी के नए चूल्हे पर बनाया जाता है और इसमें आम की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. खरना वाले दिन पूरियां और मिठाइयों का भी भोग लगाया जाता है.
छठ पूजा मुहूर्त 2020
20 नवंबर संध्या अर्घ सूर्यास्त का समय 05 बजकर 25 मिनट पर
21 नवंबर उषा अर्घ सूर्योदय का समय 06 बजकर 48 मिनट पर
छठ पूजा में खरना का होता है खास महत्व
खरना के दिन में व्रत रखा जाता है और रात में पूजा करने के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है. इसके बाद व्रती छठ पूजा की पूर्ण होने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करते हैं. इसके पीछे का मकसद तन और मन को छठ पारण तक शुद्ध रखना होता है.
ऐसे करें छठ पूजा की तैयारी
नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है. आज इस महापर्व का दूसरा दिन है. आज खरना है. नहाय-खाय से पहले ही छठ पूजा की पूरी तैयारी कर ली जाती है. इसकी शुरुआत होती है घर की साफ सफाई से. परंपरा के अनुसार, घर में एक स्थान पर मिट्टी का चूल्हा बनाया जाता है. छठ पूर्व के दौरान प्रसाद और पूरा भोजन वही बनता है. हालांकि आजकल बाजार में मिट्टी के रेडी टू यूज चूल्हे भी मिल रहे हैं. गेहूं को धोखर सुखाया जाता है. इस दौरान कद्दू की सब्जी बनाने का विशेष महत्व है.
छठ पूजा 2020 शुभ मुहूर्त
नहाय-खाय: 18 नवंबर, दिन बुधवार को सूर्योदय 06 बजकर 46 मिनट और सूर्यास्त 05 बजकर 26 मिनट पर होगा
खरना या लोहंडा 19 नवंबर, दिन गुरुवार को सूर्योदय 06 बजकर 47 मिनट और सूर्यास्त 05 बजकर 26 मिनट पर होगा
संध्या सूर्य अर्घ्य 20 नवंबर, दिन शुक्रवार को सूर्योदय 06 बजकर 48 मिनट और सूर्यास्त 05 बजकर 26 मिनट पर होगा
ऊषा सूर्य अर्घ्य 21 नवंबर, दिन शनिवार को सूर्योदय 06 बजकर 49 मिनट और सूर्यास्त 05 बजकर 25 मिनट पर होगा
छठ पूजा पारण का समय 21 नवंबर, दिन शनिवार को ऊषा सूर्य अर्घ्य देने के बाद
मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाएं प्रसाद
छठ पूजा का प्रसाद उस जगह पर नहीं बनाना चाहिए जहां खाना बनता हो. पूजा का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाएं तो बेहतर होगा.
प्रसाद बनाने के समय इन बातों का रखें ध्यान
प्रसाद आम की लकड़ी पर बनानी चाहिए. छठ का प्रसाद बनाते समय याद रखें कि भोजन में प्याज और लहसुन का इस्तेमाल बिल्कुल न किया जाए. भोजन शाकाहारी और शुद्ध देसी घी में ही बनाएं.
प्रसाद बनाने की विधि
छठ पूजा का प्रसाद बिना प्याज, लहसुन और नमक के तैयार किया जाता है. कुछ भक्त सेंधा नमक का उपयोग करते हैं.
छठ मइया का पूजा मंत्र Chhath Puja Mantra
ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करं ।
अर्घ्यं च फ़लं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम् ।।
छठ पूजा नियम
- व्रती छठ पर्व के चारों दिन नए कपड़े पहनें. महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनें.
- छठ पूजा के चारों दिन व्रती जमीन पर चटाई पर सोएं.
- व्रती और घर के सदस्य भी छठ पूजा के दौरान प्याज, लहसुन और मांस-मछली ना खाएं.
- पूजा के लिए बांस से बने सूप और टोकरी का इस्तेमाल करें.
- छठ पूजा में गुड़ और गेंहू के आटे के ठेकुआ, फलों में केला और गन्ना ध्यान से रखें.
छठी मइया की पूजा विधि Chhath Puja Vidhi
- नहाय-खाय के दिन सभी व्रती सिर्फ शुद्ध आहार का सेवन करें.
- खरना या लोहंडा के दिन शाम के समय गुड़ की खीर और पूरी बनाकर छठी माता को भोग लगाएं. सबसे पहले इस खीर को व्रती खुद खाएं बाद में परिवार और ब्राह्मणों को दें.
- छठ के दिन घर में बने हुए पकवानों को बड़ी टोकरी में भरें और घाट पर जाएं.
- घाट पर ईख का घर बनाकर बड़ा दीपक जलाएं.
- व्रती घाट में स्नान कर के लिए उतरें और दोनों हाथों में डाल को लेकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें.
सभी व्रती उगते सूरज को डाल पकड़कर अर्घ्य दें
- सूर्यास्त के बाद घर जाकर परिवार के साथ रात को सूर्य देवता का ध्यान और जागरण करें. इस जागरण में छठी मइया के गीतों (Chhathi Maiya Geet) को सुनें.
- सप्तमी के दिन सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में सारे व्रती घाट पर पहुंचे. इस दौरान वो पकवानों की टोकरियों, नारियल और फलों को साथ रखें.
- सभी व्रती उगते सूरज को डाल पकड़कर अर्घ्य दें.
- छठी की कथा सुनें और प्रसाद का वितरण करें.
- इसके बाद सभी व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलें.
छठ पूजा की सामग्री Chhath Puja Samagri
छठ पूजा का प्रसाद रखने के लिए बांस की दो बड़ी-बड़ी टोकरियां खरीद लें. बांस या फिर पीतल का सूप, दूध और जल के लिए एक ग्लास, एक लोटा और थाली ले लें. इसके अलावा 5 गन्ने, जिसमें पत्ते लगे हों, शकरकंदी और सुथनी, पान और सुपारी, हल्दी, मूली और अदरक का हरा पौधा, बड़ा वाला मीठा नींबू, शरीफा, केला और नाशपाती, पानी वाला नारियल, मिठाई, गुड़, गेहूं, चावल का आटा, ठेकुआ, चावल, सिंदूर, दीपक, शहद और धूप का प्रयोग छठ पूजा में किया जाता है. वहीं, पहनने के लिए नए कपड़े, दो से तीन बड़ी बांस से टोकरी, सूप, पानी वाला नारियल, गन्ना, लोटा, लाल सिंदूर, धूप, बड़ा दीपक, चावल, थाली, दूध, गिलास, अदरक और कच्ची हल्दी, केला, सेब, सिंघाड़ा, नाशपाती, मूली, आम के पत्ते, शकरगंदी, सुथनी, मीठा नींबू (टाब), मिठाई, शहद, पान, सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम और चंदन.
छठी मइया का प्रसाद Chhathi Maiya Ka Prasad
ठेकुआ, मालपुआ, खीर, खजूर, चावल का लड्डू और सूजी का हलवा आदि छठ मइया को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है.