Chhath 2022 Arghya Timing LIVE: थोड़े ही देर में दिया जाएगा उगते सूर्य को अर्घ्य, जानें सूर्योदय का समय

Chhath 2022 Sandhya Arghya Timing LIVE Updates: आज छठ महापर्व में उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है. इस पर्व में सूर्य देव और छठी मैया की अराधना की जाती है. ये व्रत संतान की दीर्घायु और परिवार की खुशहाली के लिए रखा जाता है. व्रती 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखकर डूबते हुए सूर्य और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. मुख्य रूप से ये पर्व बिहार और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. कहते हैं जो व्यक्ति सच्चे मन से छठ व्रत करता है उसे सूर्य देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

By Shaurya Punj | October 31, 2022 5:14 AM

मुख्य बातें

Chhath 2022 Sandhya Arghya Timing LIVE Updates: आज छठ महापर्व में उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है. इस पर्व में सूर्य देव और छठी मैया की अराधना की जाती है. ये व्रत संतान की दीर्घायु और परिवार की खुशहाली के लिए रखा जाता है. व्रती 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखकर डूबते हुए सूर्य और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. मुख्य रूप से ये पर्व बिहार और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. कहते हैं जो व्यक्ति सच्चे मन से छठ व्रत करता है उसे सूर्य देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

लाइव अपडेट

 खगड़िया में 31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय   

                                                         
 सूर्योदय (31 अक्टूबर)     5.51

समस्तीपुर  में 31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय            

                                                       
सूर्योदय (31 अक्टूबर)      5.55

गोपलगंज में 31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय           

                                                         
सूर्योदय (31 अक्टूबर)     6.01

पूर्वी चंपारण में 31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय           

                                           
सूर्योदय (31 अक्टूबर)     5.59

शेखपुरा में 31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय          

                                                   
सूर्योदय (31 अक्टूबर)     5.53

शिवहर में 31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय         

                                       
 सूर्योदय (31 अक्टूबर)     5.57

भभुआ में 31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय        

                                                   
सूर्योदय (31 अक्टूबर)      6.02

समस्तीपुर में 31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय        

                                                             
सूर्योदय (31 अक्टूबर)      5.55

बांका     में 31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय        

सूर्योदय (31 अक्टूबर)    5.49

जहानाबाद  में 31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय        

                                             
सूर्योदय (31 अक्टूबर)      5.57

लखीसराय में 31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय        

                                                             
सूर्योदय (31 अक्टूबर)      5.53

सहरसा में 31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय        

                                             
सूर्योदय (31 अक्टूबर)      5.51

मुंगेर   में 31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय          

                                                     
सूर्योदय (31 अक्टूबर)      5.51

नालंदा  में 31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय          


                                             
 सूर्योदय (31 अक्टूबर)      5.55

बेतिया में 30 अक्टूबर को   सूर्यास्त का समय


बेतिया  में आज 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 5:11  बजे है

सारण में 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय


सारण में आज 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 5:11  बजे है

जामताड़ा में 30 अक्टूबर को  सूर्यास्त का समय


जामताड़ा  में आज 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 5:05 बजे है

लोहरदगा में 30 अक्टूबर को  सूर्यास्त का समय


लोहरदगा   में आज 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 5:14  बजे है

गिरिडीह में 30 अक्टूबर को  सूर्यास्त का समय


गिरिडीह  में आज 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 5:07  बजे है

वैशाली में 30 अक्टूबर को  सूर्यास्त का समय


वैशाली  में आज 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 5:09  बजे है

पूर्णिया में 30 अक्टूबर को  सूर्यास्त का समय


पूर्णिया  में आज 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 5:00 बजे है

खूंटी में 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय

खूंटी में आज 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 5:15 बजे है

कोडरमा में 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय

कोडरमा में आज 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 5:09 बजे है

छपरा में 30 अक्टूबर को  सूर्यास्त का समय


छपरा  में आज 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 5:11  बजे है

अगले साल कब होगा कार्तिक मास में छठ महापर्व

17 नवंबर 2023, शुक्रवार – नहाय-खाय

18 नवंबर 2023, शनिवार – खरना

19 नवंबर 2023 रविवार (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय : सोमवार – डूबते सूर्य का अर्घ्य

20 नवंबर 2023 सोमवार (उषा अर्घ्य) सूर्योदय का समय – उगते सूर्य का अर्घ्य

बोकारो  में 30 अक्टूबर को  सूर्यास्त का समय

बोकारो में आज 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 5:08 बजे है

रोहतास  में 30 अक्टूबर को  सूर्यास्त का समय


रोहतास में आज 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 5:15  बजे है

सिवान में सूर्यास्त और सूर्योदय का समय

सूर्यास्त (30 अक्टूबर) 5.12

सूर्योदय (31 अक्टूबर) 6.01

किशनगंज में सूर्यास्त और सूर्योदय का समय

सूर्यास्त (30 अक्टूबर) 4.58

सूर्योदय (31 अक्टूबर) 5.46

भभुआ में सूर्यास्त और सूर्योदय का समय

सूर्यास्त (30 अक्टूबर) 5.17

सूर्योदय (31 अक्टूबर) 6.02

भागलपुर   में 30 अक्टूबर को  सूर्यास्त का समय


भागलपुर  में आज 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 5:03  बजे है

मुंगेर में 30 अक्टूबर को  सूर्यास्त का समय


मुंगेर  में आज 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 5:03  बजे है

मधुबनी में सूर्यास्त और सूर्योदय का समय

सूर्यास्त (30 अक्टूबर) 5.05

सूर्योदय (31 अक्टूबर) 5.54

रोहतास में सूर्यास्त और सूर्योदय का समय

सूर्यास्त (30 अक्टूबर) 5.15

सूर्योदय (31 अक्टूबर) 6.01

गोपालगंज में 30 अक्टूबर को  सूर्यास्त का समय


गोपालगंज में आज 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 5:11  बजे है

बेगूसराय में 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय


बेगूसराय  में आज 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 5:06  बजे है

बांका में 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय


बांका  में आज 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 5:03  बजे है

औरंगाबाद में 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय


औरंगाबाद  में आज 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 5:55  बजे है

अररिया में 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय


अररिया में आज 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय शाम 5:00  बजे है

4 दिनों तक चलता है छठ महापर्व

छठ का यह त्येहार कुल 4 दिनों तक चलने वाला त्येहार है. छठ पर्व को कई जगह पर डाला छठ, छठी मैया, छठ, छठ पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा इत्यादि अलग-अलग नामों से जाना जाता है.

सूर्य देव की पूजा

आराधना का यह त्यौहार साल में दो बार मनाया जाता है। चैत्र शुक्ल षष्ठी को और दूसरा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को जिसको मुख्य रूप से छठ पूजा के नाम से ही जाना जाता है. कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाए जाने वाली छठ को देश भर में ज्यादा जाना जाता है.

उपवास के दौरान बनता छठी मैया का प्रसाद ठेकुआ, पेडुकिया

छठ पूजा के उपवास के दौरान खास ध्यान रखना होता है कि खरना वाले दिन घर का कोई भी सदस्य प्याज लहसन या तामसिक भोजन का सेवन ना करें. साथ ही मान्यता यह भी है कि इस दिन घर के सदस्य व्रती द्वारा दिए भोजन ग्रहण करने के बाद ही खाना खाते हैं. खरना के दिन खीर के साथ रोटी भी बनती है. जो खीर होती है वह गुड़ वाली होती है. प्रसाद में खीर और रोटी के साथ मौसमी फल और केला भी शामिल किया जाता. उसे एक साथ रखकर केले के पत्ते पर छठी माता को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. इसके बाद व्रती खुद भी इस प्रसाद को ग्रहण करके बाकी लोगों को खिलाती हैं. इसके साथ ही खरना के उपवास के दौरान छठी मैया को चढ़ने वाले पकवान यानी कि ठेकुआ, पेडुकिया और अन्य सामग्री बनाती हैं. इसे अर्घ्य देने के दौरान टोकरी में रखकर छठी मैया को चढ़ाए जाते हैं.

आम की लकड़ी पर खरना बनाना माना जाता है उत्तम

खरना के दिन देवता को चढ़ाए जाने वाले खीर को व्रती खुद ही पकाती हैं. खरना के दिन जो प्रसाद बनता है उसे नए चूल्हे पर बनाया जाता. इस दौरान व्रती खीर अपने हाथों से पकाती हैं. इसमें ईंधन के लिए सिर्फ आम की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता. आम की लकड़ी का इस्तेमाल इसलिए करते हैं क्योंकि इसे उत्तम माना जाता है. बता दें कि अलग चूल्हे और अलग स्थान पर खरना बनाया जाता. वहीं आजकल शहरों में लोग नए चूल्हे पर घर में छठ के खरना का प्रसाद बनाते. वहां चूल्हा और आम की लकड़ी उपलब्ध नहीं हो पाती. खास ध्यान रहे कि यह प्रसाद किचन में नहीं बल्कि किसी अन्य साफ-सुथरे स्थान पर बनाई जाती है.

सूर्यास्त का समय


सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 38 मिनट पर है और छठ पूजा के चौथे दिन सूर्योदय का समय सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर है.

छठ पूजा में क्या करें:

  • छठ पूजा के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है. इस दौरान साफ-सुथरे और अगर मुमकिन हो को नए कपड़े पहनकर ही छठ पूजा करनी चाहिए.

  • छठ पर्व के दौरान व्रती को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए.

  • इस दौरान सात्विक भोजन ही करें और शराब का भी सेवन न करें.

  • जरूरतमंदों की सहायता करें.

  • व्रती की जितना हो सके सेवा करें. उन्हें गलती से भी परेशान न करें.

  • पूजन के लिए बांस के सूप का ही उपयोग करें.

  • छठ का प्रसाद जितना ज्यादा हो सके बनाएं और इसे अधिक से अधिक लोगों में बांटे.

छठ पूजा में क्या न करें?

  • बिना नहाये किसी भी पूजन सामग्री को हाथ न लगायें.

  • प्रसाद बनाते समय नमकीन वस्तुओं को स्पर्श न करें.

  • छठ मैया से अगर कोई मन्नत मांगी हो तो उसके गलती से भी भूले नहीं.

  • चांदी, प्लास्टिक, स्टील या शीशे के बर्तन से सूर्य देव को अर्घ्य न दें.

सूर्यास्त का समय

सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 38 मिनट पर है और छठ पूजा के चौथे दिन सूर्योदय का समय सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर है.

ये है मान्यता

ऐसी मान्यता है कि शाम के समय सूर्य देवता अपनी अर्धांगिनी देवी प्रत्युषा के साथ समय बिताते हैं. यही कारण है कि छठ पूजा में शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है.

डूबते सूर्य को दिया जाता है अर्ध्य


श्रद्धालु घाट पर जाने से पहले बांस की टोकरी में पूजा की सामग्री, मौसमी फल, ठेकुआ, कसर, गन्ना आदि सामान सजाते हैं और इसके बाद घर से नंगे पैर घाट पर पहुंचते हैं. इसके बाद स्नान कर डूबते सूर्य को अर्ध्य देते हैं. छठ (Chhath Puja) पहला ऐसा पर्व है जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है और उन्‍हें अर्घ्य दिया जाता है. बिहार (Bihar), झारखंड और यूपी के कुछ हिस्‍सों में मनाए जाने वाले इस पावन पर्व को बहुत ही शालीनता, सादगी और आस्‍था से मनाये जाने की परंपरा है.

बनता है सूर्य को चढ़ाया जाने वाला भोग

नहाय-खाए और लोहंडा व खरना के बाद तीसरे दिन व्रतधारियों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है. इस दिन भगवान सूर्य (Lord Surya) को चढ़ाया जाने वाला भोग बनाया जाता है. इस भोग को बनाते समय काफी साफ -सफाई का ध्यान रखा जाता है. सूर्यास्त के दौरान व्रत रखने वाले भक्त सूर्य देव की पूजा की तैयारी करते हैं और टोकरी की पूजा करते हैं.

ये है मान्यता

ऐसी मान्यता है कि शाम के समय सूर्य देवता अपनी अर्धांगिनी देवी प्रत्युषा के साथ समय बिताते हैं. यही कारण है कि छठ पूजा में शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है.

मुख्यतः बिहार, यूपी, झारखंड आदि क्षेत्र में मनाया जाता है ये पूजा

28 अक्टूबर 2022 को नहाय-खाय के साथ चार दिनों के छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है. छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है. यह पर्व उत्तर-पूर्वी भारत में मुख्यतः बिहार, यूपी, झारखंड आदि में बड़ी आस्था से मनाया जाता है. छठ की पूजा में साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष ध्‍यान रखा जाता है साथ ही पूजा में उपयोग होने वाली कुछ सामग्री ऐसी होती है जिनके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है.

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