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Chhath Puja 2022 Sandhya Arghya Timing: छठ पूजा का पहला अर्घ्य आज, देखें अपने शहर का सूर्यास्त का समय

Chhath Puja 2022 Date, Puja and Sandhya Arghya Timing: आज छठ महापर्व के तीसरे दिन 30 अकटूबर को अस्ताचलगामी यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. जानिए आपके शहर में आज के सूर्यास्त का समय. यहां देखें छठ पर्व की पूजा विधि, सामग्री, प्रसाद, कथा और आरती

By Shaurya Punj | October 30, 2022 6:35 AM

Chhath Puja 2021 Date, Puja and Sandhya Arghya  Timing: तीन दिन तक चलने वाला छठ पर्व का आज तीसरा दिन है.आज छठ का खरना पर्व देश के कई हिस्सों में धूम-धाम से मनाया जा रहा है. इस साल छठ पूजा की शुरूआत 28 अक्टूबर से हुई है. आज इस महापर्व के तीसरे दिन 30 अकटूबर को अस्ताचलगामी यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. छठ व्रत मुख्य रूप से संतान सुख की प्राप्ति और परिवार की सुख समृद्धि के लिए रखा जाता है.जानिए छठ पर्व की पूजा विधि, सामग्री, प्रसाद, कथा और आरती

छठ पूजा का तीसरा दिन

डूबते सूर्य को अर्घ्य- 30 अक्टूबर 2022

कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि छठ पूजा की मुख्य तिथि होती है. व्रती इस दिन शाम के समय पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की तैयारी करते हैं. बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है. इस दिन व्रती अपने पूरे परिवार के साथ डूबते सूर्य को अर्घ्य देने घाट पर जाती हैं.

छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 2022: 30 अक्टूबर, रविवार

सूर्यास्त: शाम 05 बजकर 38 मिनट पर

शुभ समय

  • सुकर्मा योग: प्रात: काल से शाम 07 बजकर 16 मिनट तक

  • धृति योग: शाम 07 बजकर 16 मिनट से अगली सुबह तक

  • रवि योग: सुबह 07:26 बजे से अगले दिन सुबह 05:48 बजे तक

  • सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06:31 बजे से सुबह 07:26 बजे तक

छठ पूजा का चौथा दिन

उगते सूर्य को अर्घ्य- 31 अक्टूबर 2022

चौथे दिन यानी कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन सूर्योदय से पहले ही भक्त सूर्य देव की दर्शन के लिए पानी में खड़े हो जाते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं.

सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 32 मिनट पर

शुभ समय

  • सर्वार्थ सिद्धि योग: प्रात: 05:48 बजे से सुबह 06:32 बजे तक

  • त्रिपुष्कर योग: प्रात: 05:48 बजे से सुबह 06:32 बजे तक

छठ पूजा से जुड़ी मान्यताएं

इस व्रत से जुड़ी अनेक मान्यताएं हैं. नहाय-खाय से शुरू होने वाले छठ पर्व के बारे में कहा जाता है कि इसकी शुरूआत महाभारत काल से ही हो गई थी. एक कथा के अनुसार महाभारत काल में जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए थे तब द्रौपदी ने चार दिनों के इस व्रत को किया था.

अर्घ्य देते समय पढ़ें सूर्य मंत्र (Chhath Puja Surya Arghya mantra)-

ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।
ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।।

सात्विकता का भी ध्यना रखें

इस दिन सात्विकता का भी विशेष ध्यान रखें. इसलिए इस दिन घर में किसी भी प्रकार से तामसिक गुणों वाली चीजों का इस्तेमाल करने से परहेज करें. और न ही ऐसी चीजों को घर में रखें. यहां तक कि छठ के दौरान घर में लहसुन और प्याज को भी बाहर कर दें.

डूबते सूर्य को दिया जाता है अर्ध्य

श्रद्धालु घाट पर जाने से पहले बांस की टोकरी में पूजा की सामग्री, मौसमी फल, ठेकुआ, कसर, गन्ना आदि सामान सजाते हैं और इसके बाद घर से नंगे पैर घाट पर पहुंचते हैं. इसके बाद स्नान कर डूबते सूर्य को अर्ध्य देते हैं. छठ (Chhath Puja) पहला ऐसा पर्व है जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है और उन्‍हें अर्घ्य दिया जाता है. बिहार (Bihar), झारखंड और यूपी के कुछ हिस्‍सों में मनाए जाने वाले इस पावन पर्व को बहुत ही शालीनता, सादगी और आस्‍था से मनाये जाने की परंपरा है.

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