आज व्रती 36 घंटों तक उपवास रख छठी माता की पूजा अर्चना की जा रही है. व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे. ऐसा मान्यता है कि जो जातक इस व्रत को विधि-विधान और नियम से रखते हैं उन्हें संतान सुख और जीवन में खुशहाली प्राप्त होती है. छठ घाट पर व्रती पूरे परिवार के साथ पहुंचकर पूजा कर रहे है. अब डूबते सूर्य देव को अर्घ्य देकर सुख समृद्धि की कामना करेंगे.
छठ महापर्व का तीसरा दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि आज है. आज का दिन छठ पूजा के लिए सबसे प्रमुख दिन होता है, इस दिन शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. महिलाएं दूध और पानी से सूर्य भगवान को अर्घ्य देती हैं.
पूजन सामग्री में बांस की टोकरी में फल, फूल, ठेकुआ, चावल के लड्डू, गन्ना, मूली, कंदमूल, सेव, संतरा और सूप रखा जाता जाता है, इस दिन शाम को व्रती किसी पवित्र नदी, तालाब या घाट पर एकत्रित होकर एक साथ सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं.
आज व्रती अपने परिवार, बच्चों की लंबी उम्र की प्रार्थना करते हैं. छठी माता और सूर्य देव से घर में सुख समृद्धि की मांग करते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से छठी माता व्रत करने वाली महिलाओं के परिवार और संतान को लंबी आयु और सुख समृद्धि का वरदान देती हैं.
छठ पूजा के तीसरे दिन संध्या अर्घ्य दिया जाता है. आज के दिन व्रती घाट पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. संध्या अर्घ्य हमेशा सूर्यास्त के समय दिया जाता है. छठ पूजा के दिन यानी 19 नवंबर को संध्या अर्घ्य का समय शाम 5 बजकर 25 मिनट पर है. वहीं कल सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देने का समय सुबह 6 बजकर 46 मिनट पर है.
छठ पूजा में सूर्यदेव की पूजा और उन्हें अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है. षष्ठी तिथि पर सभी पूजन सामग्री को बांस की टोकरी में रख लें. नदी, तालाब या जल में प्रवेश करके सबसे पहले मन ही मन सूर्य देव और छठी मैया को प्रणाम करें. इसके बाद सूर्य देव और अर्घ्य दें.